धान की खेती पर रोक लगाने के ‘हिटलरशाही हुक्मनामे’ के खिलाफ जनसंघर्ष होगा: सुरजेवाला

punjabkesari.in Monday, May 25, 2020 - 05:48 PM (IST)

गुहला: कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता व राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने धान बंदी के आदेश काे लेकर खट्टर सरकार पर जमकर हमला बाेला। उन्हाेंने कहा कि खट्टर सरकार की तानाशाही अब सब हदें पार कर गई है। 9 मई को एक हिटलरशाही हुक्मनामा जारी कर खट्टर सरकार ने गुहला चीका, सीवन, शाहबाद, बबैन, इस्माईलाबाद, पीपली सहित हरियाणा के 19 ब्लॉक्स में धान की खेती पर पाबंदी लगा दी है। उन्हाेंने कहा कि धान की खेती पर रोक लगाने के ‘हिटलरशाही हुक्मनामे’ के खिलाफ अब जनसंघर्ष होगा

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उन्हाेंने कहा कि साफ है कि अन्नदाता किसान को चोट पहुंचाना ही भाजपा-जजपा सरकार का राजधर्म है। क्योंकि खट्टर सरकार ने कुरुक्षेत्र व कैथल के किसान की खेती उजाड़ने, आढ़ती व दुकानदार का धंधा बंद करने तथा राईस शैलर व चावल उद्योग पर पूरी तरह तालाबंदी करने का निर्णय कर लिया है। 

हरियाणा राज्यपाल के नाम एसडीएम गुहला को ‌‌ज्ञापन सौंपा
गुहला चीका सीवन में खट्टर सरकार द्वारा धान की खेती पर पाबंदी के विरोध में कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज गुहला एस डी एम कॉम्प्लेक्स में धरना दिया और हरियाणा राज्यपाल के नाम एसडीएम गुहला को ‌‌ज्ञापन सौंपा।

कैथल व कुरुक्षेत्र के किसान की सबसे बड़ी दुश्मन सरकार
सुरजेवाला ने कहा कि पहले दादूपुर नलवी नहरबंदी, फिर नौकरीबंदी और अब धानबंदी। साफ है कि खट्टर सरकार ही हरियाणा व खास तौर से कैथल व कुरुक्षेत्र के किसान की सबसे बड़ी दुश्मन है। 

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गुहला चीका - सीवन - कैथल तथा कुरुक्षेत्र जिले के खिलाफ षडयंत्र की परतों पर प्रकाश डालते हुए सुरजेवाला ने कहा कि 

1. कैथल जिला के गुहला चीका व सीवन ब्लॉक में किसान धान की खेती नहीं कर सकता। यही पाबंदी कुरुक्षेत्र जिला के शाहबाद, पीपली, बबैन, इस्माईलाबाद में लगाई गई है। इन 6 ब्लॉक्स समेत पूरे प्रदेश के 19 ब्लॉक्स में किसान के द्वारा धान की खेती पर रोक लगाई गई है। धान की खेती पर रोक लगाई गई कैथल व कुरुक्षेत्र की कुल 1,08,314 हैक्टेयर जमीन या 2,67,644 एकड़ जमीन है ( कैथल 51,937 हैक्टेयर = 1,28,336 एकड़; कुरुक्षेत्र 56,377 हैक्टेयर = 1,39,308 एकड़)। अकेले गुहला चीका - सीवन में किसान की मल्कियत वाली 1,28,336 एकड़ भूमि (गुहला चीका = 1,01,951 एकड़ व सीवन = 26,385 एकड़) पर धान की फसल लगाने की रोक लगा दी गई है। 9 मई, 2020 के आदेश के मुताबिक कैथल व कुरुक्षेत्र का किसान इस 2,67,644 एकड़ भूमि में से 1,33,822 एकड़ भूमि पर धान की खेती नहीं कर सकता। 

2. कैथल-कुरुक्षेत्र के उपरोक्त 6 ब्लॉक्स में अगर किसान ने 50 प्रतिशत से अधिक भूमि में धान की खेती की तो किसान को बिजली, खाद व बीज सहित सरकार की सब तरह की सब्सिडी से इंकार होगा व किसान का धान भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जाएगा।

3. कैथल-कुरुक्षेत्र के 9 ब्लॉक्स में व प्रदेश के कुल 26 ब्लॉक्स में पंचायती भूमि पर धान की खेती पर रोक लगा दी गई है। कैथल के पुंडरी, सीवन व गुहला ब्लॉक में तथा कुरुक्षेत्र के थानेसर, बबैन, शाहबाद, पेहवा, पीपली व इस्माईलाबाद ब्लॉक में पंचायती भूमि पर धान की खेती पर रोक लगा दी गई है। इन 9 ब्लॉक्स में लगभग 14,000 हैक्टेयर या 34,600 एकड़ में पंचायती भूमि में धान की खेती नहीं की जा सकेगी। इसमें से 10,000 एकड़ भूमि अकेले गुहला चीका में है। 

4. अब सबसे ताजा तुगलकी फरमान यह है कि 50 इंच की मोटर वाले ट्यूबवेलों का कनेक्शन काटा जाएगा। लाखों नए ट्यूबवेल का कनेक्शन तो दे नहीं रहे, उल्टा किसान के मौजूदा ट्यूबवेल कनेक्शन को काटने की तैयारी कर ली है।  

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उन्होंने कहा कि भूजल का संरक्षण आवश्यक है, पर भूजल संरक्षण के नाम पर उत्तरी हरियाणा, खासतौर से कैथल-कुरुक्षेत्र के किसान के मुंह का निवाला छीन लेना कदापि मंजूर नहीं किया जा सकता। वो भी एक ऐसी खट्टर सरकार के द्वारा जिन्होंने बनी बनाई ‘दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना’ की भी तालाबंदी कर दी तथा पूरे उत्तरी हरियाणा के किसान को न भरपाई होने वाला नुकसान पहुंचाया।

गिरते भूजल की दुहाई दे किसान के मुंह का निवाला छीन रही सरकार
सुरजेवाला ने कहा कि एक तरफ तो खट्टर सरकार 400 करोड़ से अधिक लागत से बनी दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना को बंद करती है, तो दूसरी ओर गिरते भूजल की दुहाई दे किसान के मुंह का निवाला छीनती है। यह अपने आप में किसान विरोधी चेहरे को उजागर करता है।

उन्हाेंने कहा कि पिछले साल भी खट्टर सरकार ने धान की फसल की जगह मक्का पैदा करने के लिए ‘जल ही जीवन’ स्कीम 7 ब्लॉक में शुरू की थी। इन 7 ब्लॉक्स में भी कैथल का पुंडरी ब्लॉक व कुरुक्षेत्र का थानेसर ब्लॉक शामिल किया गया था।

इन इलाकों में धान की जगह मक्का की खेती करने के लिए 2000 रु. प्रति एकड़ कैश, 766 रु. प्रति एकड़ बीमा प्रीमियम व हाईब्रिड सीड देने का वादा किया था व 50,000 हेक्टेयर यानि 1,37,000 एकड़ में धान की बजाए मक्का की खेती होनी थी। परंतु न तो किसान को प्रति एकड़ मुआवज़ा मिला, न बीमा हुआ, हाईब्रिड सीड फेल हो गया और पूरी स्कीम केवल एक कागजी पुलिंदा बनकर रह गई। अब नाम बदलकर कैथल कुरुक्षेत्र के किसान की रोजी रोटी पर हमला बोलने के लिए खट्टर सरकार ‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ स्कीम  ले आई है, जो पूरी तरह तानाशाही व गैरकानूनी है।

खट्टर सरकार से मांग करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 
1. 9 मई का धान की खेती पर पाबंदी लगाने वाला हिटलरशाही हुक्मनामा फौरन खारिज हो।
2. खट्टर सरकार 23 अप्रैल का पंचायती जमीन पर धान की खेती पर रोक लगाने वाला किसान विरोधी आदेश फौरन वापस करे।
3. दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना को दोबारा शुरू किया जाए व इसे बंद करने के सब आदेश खारिज हों।
4. किसान के 50bhp की मोटर वाले ट्यूबवेल कनेक्शन काटने का आदेश फौरन खारिज किया जाए।
5. किसान की सब्सिडी वापस लेने व अन्नदाता किसान को परेशान करने वाले भिन्न भिन्न आदेश फौरन वापस हों।


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Edited By

vinod kumar

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