उड़ता सिरसा : अफसरों की टेबल से आगे नहीं सरक रही फाइल

punjabkesari.in Monday, Dec 09, 2019 - 02:12 PM (IST)

सिरसा(सेतिया): नशा नौजवानी उजाड़ रहा है। हजारों नौजवानों की जिंदगी बर्बाद कर रहा है। नशे के चलते जमीनें बिक रही हैं। आपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं। वैवाहिक बंधन टूट रहे हैं। इस बर्बादी से मुक्ति के लिए नशा तस्करों पर लगाम नहीं कसी जा रही है तो बर्बाद हो रही नौजवानी को बचाने के लिए सरकारी स्तर पर नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र भी नहीं है। सिरसा के सिविल अस्पताल में 50 बैड के नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र की फाइल पिछले 6 माह से चंडीगढ़ के आला अफसरान की टेबलों की धूल फांक रही है। 

नशे की दलदल में धंस चुके बहुतेरे नौजवानों खुद इस दलदल से निकलना चाहते हैं। समाज की मुख्य धारा में लौटना चाहते हैं। नशे जैसी बीमारी से उपचार चाहते हैं। पर उनके पास विकल्प नहीं है। दरअसल पंजाब व राजस्थान से सटा सिरसा नशे की शुष्क बंदरगाह बन गया है। अफीम, चूरापोस्त, गांजे के बाद अब यहां पर चिट्टा, आयोडैक्स, सोल्यूशन से लेकर  म्याऊं-म्याऊं व चार्ली जैसे सिंथैटिक नशे की चपेट में लोग आ रहे हैं। कोढ़ में खाज यह है कि तस्करी का सिलसिला जारी है तो दूसरी ओर बर्बादी से मुक्ति के लिए कोई ठोस जगह नहीं है। सिरसा में कालांवाली एवं सिरसा के सिविल अस्पताल में दो नशा मुक्ति केंद्र हैं। इन केंद्रों में ओ.पी.डी. के लिए आने वाले आंकड़ों पर नजर डालें तो हमारी आंखें फटी रह जाएगी।

साल 2018 से लेकर 30 नवम्बर 2019 तक सिरसा के सिविल अस्पताल के नशामुक्ति केंद्र में 44 हजार 500 की ओ.पी.डी. हुई। यही वजह है कि सिरसा में एक बड़े नशामुक्ति केंद्र की आवश्यकता है। इसके लिए करीब 5 माह पहले एक प्रस्ताव बनाकर सामाजिक एवं अधिकारिता विभाग को भेजा गया। 50 बैड के मॉडल अस्पताल एंड रिहेबलिटेशन सैंटर में 2 मनोचिकित्सक, 4 मैडीकल ऑफिसर, मनोचिकित्सा में विशेषज्ञ नॢसज, 8 सिक्योरिटी गार्ड सहित पर्याप्त स्टाफ सहित फिजियोथैरेपिस्ट पर प्रस्तावित यह कार्ययोजना अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है। आलम यह है कि फाइल 5 माह से अफसरों की टेबल पर पड़ी है। कोई ठोस जवाब भी अभी तक नहीं आया है।

डबवाली से अपने बेटे को चिट्टे से मुक्ति दिलाने के लिए आए एक जमींदार ने बताया कि नशा युवाओं को घेर रहा है, पर नशे की चपेट में आने के बाद इस बीमारी के इलाज के लिए कोई अस्पताल नहीं है। पंजाब, राजस्थान में जाकर लोग इलाज कराते हैं। आलम यह है कि इस पूरे क्षेत्र में निजी स्तर पर अनाड़ी लोगों ने नशा मुक्ति केंद्र बना रखे हैं। यहां पर मजबूरी में मां-बाप अपने बच्चों को दाखिल करवाते हैं, जहां पर उनके साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया जाता है। जाहिर तौर पर नशे जैसी बीमारी पर आला अफसर संजीदा नजर नहीं आते हैं।

पंकज शर्मा, मनो चिकित्सक ने कहा कि सिरसा में आधुनिक सुविधाओं वाले नशा मुक्ति केंद्र एवं अस्पताल की सख्त जरूरत है। इसके लिए विभाग के उच्चाधिकारियों को प्रस्ताव भेजा हुआ है। सिविल सर्जन एवं उपायुक्त की ओर से प्रस्ताव भेज दिया गया है। अब विभागीय अधिकारियों की ओर से आने वाले जवाब का इंतजार है।


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Edited By

vinod kumar

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