कोरोना के प्रभाव को कम करने में वैक्सीनेशन का भी रहा है सहयोग: पीवीएम लक्ष्मी
punjabkesari.in Thursday, Feb 03, 2022 - 01:40 PM (IST)
चंडीगढ़ (धरणी) : देश के तमाम राज्यों हरियाणा- पंजाब- हिमाचल- चंडीगढ़- जम्मू कश्मीर और उत्तर प्रदेश के विश्वास पर पूर्ण रूप से खरा उतरकर सेवाएं देने वाला पीजीआई चंडीगढ़ भी बच्चों की वैक्सीनेशन पर हो रहे अनुसंधान करने वाले संस्थानों में शामिल है। चंडीगढ़ पीजीआई एक ऐसा संस्थान जिसने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब पूरा देश ऑक्सीजन की भारी कमी से त्राहि-त्राहि मचा रहा था, तब सबसे पहले ऑक्सीजन के इंतजाम कर हजारों लोगों के लिए जीवन रक्षक साबित हुआ था।
हाल ही में अपने अंत समय पर पहुंची तीसरी लहर और पिछली दो लहरों में किस प्रकार के अंतर देखने को मिले और भविष्य की सावधानियों को देखते हुए देश के बच्चों की वैक्सीनेशन को लेकर आज देश कहां खड़ा है और कब तक बच्चों की वैक्सीन के रूप में बड़ी राहत का तोहफा देश के लोगों को सुपुर्द किया जाएगा, इन बेहद महत्वपूर्ण विषयों पर चंडीगढ़ पीजीआई की डायरेक्टर पीवीएम लक्ष्मी से पंजाब केसरी ने साक्षात्कार किया और भी कई महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत हुई। जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-
प्रश्न : तीसरी लहर और पहली- दूसरी लहरों के मुकाबले क्या भिन्नता मानती हैं ?
उत्तर : पहली व दूसरी लहर में संक्रमित मरीज कम तेजी से बढ़े और कम तेजी से ही घटे। पहली और दूसरी वेव को कंट्रोल करने में 3 से 4 महीने का समय लगा था। अब तीसरी लहर में केसों का बढ़ना और नीचे आना 1 महीने के अंदर-अंदर हो गया।
प्रश्न : दूसरी लहर की तरह क्या तीसरी लहर में भी ऑक्सीजन की जरूरत देखने को मिली ?
उत्तर : दूसरी लहर में बहुत से मरीजों को लंगस की परेशानी देखने को मिलती थी। इसलिए ऑक्सीजन की भारी शॉर्टेज एकदम हुई। लेकिन तीसरी लहर में ऑक्सीजन की जरूरत बहुत कम लोगों को पड़ी। फिलहाल आम रूटीन में होने वाला ऑक्सीजन खर्च हो रहा है।
प्रश्न : तीसरी लहर की शुरुआत में और अब कोरोना के कितने एक्टिव मरीज हैं ?
उत्तर : दूसरी लहर के कम होने और तीसरी लहर के शुरू होने के दौरान लगभग 20 मरीज देखने को मिल रहे थे। आज लगभग 100 मरीजों की संख्या मौजूद है। लेकिन एक्सीडेंट या अन्य किसी कारण से दाखिल हुए मरीजों के टेस्ट करवाने के बाद ही कोविड के मरीजों की संख्या ज्यादा देखने को मिली है। क्योंकि कोविड के लक्षणों को देखते हुए बहुत कम मरीज आए हैं।
प्रश्न : लगभग किस आयु पर यह संक्रमण अधिक प्रभावी हो रहा है ?
उत्तर : इसमें लगभग सभी आयु के मरीज प्रभावित हुए हैं। लेकिन घरों में अधिकतर बड़े सदस्यों के ही आमतौर पर टेस्ट करवाए गए। बच्चों पर कम प्रभाव मानते हुए टेस्ट की संख्या भी कम रही। इसलिए बच्चों के संक्रमित मिलने के मामले भी सामने कम आए हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि बच्चों पर इसका असर कम रहा हो।
प्रश्न : पहली- दूसरी लहर के दौरान सरकार की सख्ती देखने को मिली और इस समय केवल होम आइसोलेशन को कितना जायज मानती हैं ?
उत्तर : पहली व दूसरी लहर में इस संक्रमण बारे ज्यादा जानकारी ना होने की वजह से ज्यादा सख्त नियम बनाने की जरूरत थी। अब दो लहरों पर काम करने के बाद काफी जानकारियां भी बढ़ी है। होम आइसोलेशन पहली लहर में ही शुरू हुआ था। पहली लहर में ही सारे प्रोटोकॉल बनाए गए थे। इस वेव में करीब 2000 हेल्थ केयर वर्कर संक्रमित हुए। जिन्हें केवल हल्का बुखार, हल्का सिरदर्द, हल्की थकावट इत्यादि के लक्षण थे। कोई भी गंभीर केस नहीं था। इसीलिए आमजन जिन्हें भी संक्रमण हो रहा है, वह होम आइसोलेशन में ही रहना चाहते हैं। अस्पताल में भर्ती नहीं होना चाहते।
प्रश्न : क्या आप मानती हैं कि वैक्सीनेशन के कारण तीसरी लहर का प्रभाव कम रहा ?
उत्तर : इस बारे में शत-प्रतिशत तो कहना मुश्किल है, लेकिन यह जरूर है कि वैक्सीनेशन इसके प्रभाव को कम करने में सहयोगी है। लेकिन कितनी सहयोगी है यह नहीं कहा जा सकता। तीसरी लहर में संक्रमण का असर काफी कम देखने को मिला है। इसलिए यह जरूर है कि वैक्सीनेशन का इफेक्ट जरूर रहा।
प्रश्न : नए वेरिएंट के आने की खबरों के चलते क्या सावधानियां उचित मानती हैं ?
उत्तर : नए वेरिएंट बारे सूचनाएं चाइना से आ रही हैं। अगर सच में वह सूचनाओं के मुताबिक ही घातक है तो इसके लिए क्योंकि इंटरनेशनल ट्रैवलर के माध्यम से ही वेरिएंट देश में पहुंचता है, इसीलिए इंटरनेशनल ट्रैवलरों को सख्त रुप से क्वॉन्टाइल करना अति आवश्यक है। एक सप्ताह तक क्वॉन्टाइन करने के बाद दोबारा टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही उसे भेजा जाए सरकार द्वारा इंटरनेशनन ट्रैवलर की पॉलिसी को सख्त रूप से पालना के बाद हमें घबराने की कोई जरूरत नहीं रहेगी।
प्रश्न : किस प्रकार की सख्ती के बारे में कहना चाहती हैं ?
उत्तर : क्वॉन्टाइन पॉलिसी की सही तरीके से पालना हो। किस- किस देश में यह वैरीएंट ज्यादा प्रभावी है उन देशों से आने वाले लोगों पर बाद में भी ज्यादा नजर रखते हुए सख्ती और सावधानी से काम करने की जरूरत है। बेशक आने वाले ट्रैवलर को वैक्सीन लगी भी हो उसे क्वॉन्टाइन किया जाए और 1 हफ्ते के बाद नेगेटिव रिपोर्ट को पोर्टल पर अपलोड करनी चाहिए और साथ ही क्वारंटाइन के हर नियम की वह पालना कर रहा है या नहीं इस पर भी नजर रखनी चाहिए।
प्रश्न : बच्चों की वैक्सीन आने की संभावना कब तक है ?
उत्तर : अभी इस पर रिसर्च चल रही है। कुछ बच्चों पर इसका ट्रायल भी किया गया है और काफी कामयाबी भी मिल चुकी है। जल्द ही डीसीजीआई की अप्रूवल मिलने के बाद जल्द बच्चों की वैक्सीन आने की उम्मीद है और हमारी डॉक्टर मधु गुप्ता वैक्सीन ट्रायल में शामिल हैं।