PGI से विज कोविड -19 की तीसरी लहर को लेकर हो रही तैयारियों व्डायल 112 की खुद कर रहें हैं मोनिटिरिंग

punjabkesari.in Sunday, Aug 29, 2021 - 11:00 AM (IST)

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी):  पीजीआई के अंदर उपचाराधीन हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज 16 से 17 घंटे तक लगातार कुर्सी पर ही बैठते हैं। अनिल विज पीजीआई में भी लगातार गृह विभाग ,स्वास्थ्य विभाग ,निकाय विभाग, टेक्निकल एजुकेशन की ऐसी फाइलें जो उनसे संबंधित है या उनके कार्यालय में आती हैं उनको पढ़ कर निकाल रहे हैं। अनिल विज की दिनचर्या पीजीआई के अंदर भी वही है जो पहले रही है। सुबह 6:00 बजे से लेकर 7:30 बजे तक सभी अखबारों के ईपेपर पढ़ना या समाचार पत्रों को पढ़ना उनकी पीजीआई की दिनचर्या का हिस्सा है। अनिल विज रात 11:30 से लेकर सुबह 5:30 बजे तक जब रात्रि नींद पूरी करते हैं उस वक्त केवल बेड पर लेटते हैं। 

अनिल विज का कहना है कि वह लगातार बेड पर नहीं ले सकते ना ही अपनी दिनचर्या को छोड़ सकते हैं। गौरतलब है कि अनिल विज पिछले कई दिनों से पीजीआई के अंदर उपचाराधीन है क्योंकि उनका ऑक्सीजन लेवल स्थिर हो गया था। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी सुपरविजन कर रही है।कोरोना काल की पहली व दूसरी लहर के दौरान वह बुरी तरह से संक्रमित हुए थे। जिस कारण उन्हें अस्पताल में उपचाराधीन भी रहना पड़ा था। ब्लड शुगर के मरीज होने के कारण चिकित्सकों ने उन्हें लंबे समय तक उपचाराधीन रहने की सलाह दी थी। पहली लहर के दौरान वह बाथरूम में पैर फिसलने के कारण बुरी तरह से चोटिल भी हुए थे। लेकिन अपना पूरा उपचार करवाने की बजाय परिस्थितियों को समझते हुए उन्होंने अपना समय कार्यालय में निभाना ज्यादा उचित समझा था। जिस कारण ही कोरोनाकाल में उनकी हाजिरी चंडीगढ़ स्थित अपने कार्यालय में सभी मंत्रियों से ज्यादा रही है।


प्रदेश में दूसरी लहर के दौरान आई ऑक्सीजन की भारी कमी, दवाइयों और इंजेक्शनो की हो रही कालाबाजारी और प्राइवेट अस्पतालों द्वारा की जा रही ठगी को लेकर कई बड़े फैसले किए। प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी को लेकर दिन-रात एक कर और अपने सभी बेहतरीन अधिकारियों को मैदान में उतारकर इस मोर्चे को संभालने की जिम्मेदारी अपने हाथों में रखी। वहीं प्रदेश के ग्रह, स्वास्थ्य, निकाय मंत्री भी इस दौरान पूरी तरह से एक्टिवेट नजर आए। अस्पताल में दाखिल होने के बावजूद उन्होंने अपनी मॉनिटरिंग की कमांड संभाले राखी । हाईटेक टेक्नोलॉजी और संसाधनों का प्रयोग कर वह लगातार आदेश व दिशा निर्देश अधिकारियों को समय-समय पर देते रहे। उस दौरान दिल्ली के बड़ी संख्या में मरीज आसपास के जिलों सोनीपत, फरीदाबाद, गुड़गांव में उपचार के लिए दाखिल हुए। लेकिन उन्हें दरकिनार करने की बजाय उनकी देखरेख और उपचार के लिए भी प्रदेश के गृह मंत्री ने चिकित्सकों को कड़े निर्देश दिए। 

 कोविड की दो लहरों में गृह मंत्री ने इस मोर्चे पर बहुत अहम जिम्मेदारी निभाते हुए पीड़ित लोगों के फोन आने पर निजी तौर पर इस मामले को अटेंड किया और उनकी मदद की। प्रदेश में जगह-जगह से आ रही प्राइवेट अस्पतालों की ठगी बजारी और कई तरह की दवाइयों और इंजेक्शनों की कालाबाजारी के मामले में प्रदेश के गृह, स्वास्थ्य मंत्री ने बड़ा एक्शन लेते हुए कई अस्पतालों के खिलाफ बड़ी कार्यवाही की।  प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज हमेशा अपने कार्य करने के स्टाइल को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। गृह विभाग संभालने के बाद उन्होंने प्रदेश के कई अस्पतालों और थानों में अचानक पहुंचकर जहां जनता को अचंभित किया, वहीं एक साफ संदेश अधिकारियों को दिया था कि अब पहले जैसा नहीं चलेगा। लेकिन स्वास्थ्य कारणों के कारण लंबे समय तक वह शांत दिखाई दिए। लेकिन अब फिर से उनका वही स्वभाव-स्टाइल और बेबाक अंदाज दिखने लगा है। 

 

अनिल विज द्वारा डायल 112 की की जा रही पूरी तरह मॉनिटरिंग
 हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज डायल 112 की पूरी तरह मॉनिटरिंग कर रहे हैं | उनका कहना है की कि इस नई पहल के बहुत ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। ईआरवी की वजह से प्रदेश में पुलिस प्रैजेंस बढी है जिससे नागरिकों में सुरक्षा का भाव मजबूत होने के साथ-साथ अपराधियों व असामाजिक तत्वों में भय पैदा हुआ है। नए सिस्टम से नागरिकों को आस भी बंध गई है कि अगर आपात स्थिति में 112 पर सूचना दी तो सुरक्षा के साथ-साथ आरोपित भी पकड़े जाएंगे। हरियाणा 112 से लोगों को समय पर पहुँचाई जा रही मदद से एक तरफ जहां लोगों का पुलिस के प्रति विश्वास और अधिक बढ़ा है, वहीं पुलिस की कार्यप्रणाली में भी काफी पारदर्शिता आई है। ‘‘हरियाणा-112  हरियाणा आपातकालीन त्वरित सहायता प्रणाली’’ की शुरुआत होने से एक ओर जहां अपराधियों में भय का माहौल पैदा हो रहा है वहीं दूसरी ओर इसके जरिए पुलिस, एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड जैसी इमरजेंसी सेवाएं 600 से अधिक इमरजेंसी रिस्पांस व्हीकल्स यानि ‘ईआरवी’ के जरिए 15 से 20 मिनट की समयावधि में जरूरतमंद नागरिकों तक पहुंचाई जा रही हैं।

उन्होंने नागरिकों से अनुरोध करते हुए कहा कि किसी भी समय पुलिस सहायता व आपराधिक वारदात की सूचना के लिए तुरंत 112 पर कॉल करें।   उन्होंने बताया कि पुलिस थानों में 112 ईआरवी वाहन होने से प्रदेश में जहां सैंकडों दुर्घटनाग्रस्त लोगों को तुंरत अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाई गई, अनेकों संभावित आपराधिक गतिविधियों को रोका गया, वहीं महिलाओं को 112 का सबसे अधिक लाभ मिल रहा है। स्कूल, कॉलेज, बाजार जैसे स्थानों पर जहां ज्यादा छेड़छाड़ की घटना होती है तो वे सीधे 112 डॉयल कर सकती हैं। इससे पुलिस सीधे घटनास्थल पहुंच कर महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करती है।

 

 कोविड -19 पर बोले विज 
विज ने बताया कि राज्य में पहला मामला 17 मार्च, 2020 को जिला नागरिक अस्पताल, गुरुग्राम में दर्ज किया गया था और उसके बाद तुरंत स्वास्थ्य अधिकारी सचेत हुए और राज्यव्यापी प्रोटोकॉल को अमल में लाया गया। इसके अलावा, कोविड परीक्षण की मांग को पूरा करने के लिए 31 मार्च, 2020 तक दो कोविड जांच की प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं। आरटी-पीसीआर परीक्षण क्षमता को प्रतिदिन एक लाख 30 हजार तक बढ़ाने के लिए अब तक 18 नई सरकारी और 21 निजी प्रयोगशालाओं को जोड़ा जा चुका हैै। इसके अलावा, अब तक 11 लाख से ज्यादा टेस्ट किए जा चुके हैं। संभावित तीसरी लहार को लेकर भारत सरकार ने कोविड संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए अप्रैल 2020 में देश में 40 दिनों से अधिक के लिए पूर्ण लॉकडाउन लागू किया, जिसका हरियाणा राज्य में सख्ती से पालन किया गया। इसे चरणबद्ध छूट के साथ महीनों तक जारी रखा गया। दूसरी लहर के दौरान भी, राज्य ने प्रसार को नियंत्रित करने के लिए आंशिक लॉकडाउन लागू किया|  उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे की कमियों को दूर करने के लिए 40 हजार से अधिक बिस्तरों वाले माइल्ड रोगियों के लिए डेडीकेटिड कोविड केयर सेंटर स्थापित किए गए हैं। सभी 22 जिलों के अस्पतालों में 24 हजार से अधिक डेडीकेटिड कोविड बेड उपलब्ध कराए गए हैं। सभी सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर और बाई-पैप सेवाओं के साथ आईसीयू बेड स्थापित किए गए थे तथा सिविल अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों और निजी/कॉर्पाेरेट अस्पतालों में क्षमता बढ़ाई गई।

 विज ने संभावित तीसरी लहार को लेकर बताया कि हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग यानी एचएमएससीएल की खरीद शाखा ने कोविड रोगियों के इलाज के लिए आवश्यक उपकरणों, दवाओं और उपभोग्य सामग्रियों की आपूर्ति सुनिश्चित की। साथ ही, मानव संसाधन में अंतर को पाटने के लिए 1000 से अधिक चिकित्सा और पैरा-मेडिकल कर्मियों की भर्ती की गई। वेबिनार के माध्यम से ऑनलाइन प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का आयोजन वरिष्ठ चिकित्सकों द्वारा नैदानिक परिणामों में सुधार के लिए किया गया। संभावित तीसरी लहार को लेकर पिछले उठाए गए सक्रिय उपायों के संबंध में कहा कि लॉकडाउन के प्रभावी कार्यान्वयन, मॉलीक्यूलर परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना और कोविड देखभाल केंद्रों में बढौतरी, दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन हेल्पलाइन की स्थापना, किए गए विभिन्न सर्वेक्षण ताकि कोविड संक्रमण का आंकलन किया जा सके, टेली-मेडिसिन, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के लोगों को मुफ्त चिकित्सा उपचार और चिकित्सा सहायता प्रदान करना, राज्य और जिला स्तरीय समितियों का गठन करना, ग्रामीण क्षेत्रों में समर्पित हरियाणा ग्राम सामान्य स्वास्थ्य जांच योजना आदि के प्रसार के सहयोग से कोविड संक्रमण को रोकने व लोगों की जान बचाने में सहयोग मिला है। 

उन्होंने कहा कि 2021 में कोविड की दूसरी लहर की शुरुआत के साथ, पहली लहर के दौरान 20 हजार मामलों की तुलना में सक्रिय मामलों की संख्या लगभग 1.15 लाख बढ़ गई, जिसके परिणामस्वरूप अस्पतालों में लोगों के भर्ती होने में वृद्धि हुई; तदनुसार, ऑक्सीजन, दवाओं, बेड उपभोग्य सामग्रियों आदि की मांग को पूरा करने की चुनौती सामने आ खड़ी हुई। उन्होंने कहा कि कोविड अस्पतालों की ऑक्सीजन की मांग का आंकलन करने के लिए विभिन्न प्रशासनिक सचिवों की राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया। जिला अस्पतालों की आवश्यकता का विश्लेषण करने के लिए ऑक्सीजन ऑडिट को लागू किया गया। 

संभावित तीसरी लहार को लेकर ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि कोविड रोगियों के लिए ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नौ ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित किए गए थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की योजना 50 बेड या उससे अधिक बिस्तर क्षमता वाले सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के लिए 130 ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने की योजना हैै। साथ ही, इतने कम समय में 700 वेंटिलेटर, 650 बाई-पैप मशीन और 5 हजार ऑक्सीजन कंसंटेटर चालू किए गए हैं।

 इसके अलावा, सभी सरकारी अस्पतालों में आईसीयू देखभाल और दवाओं और प्रायोगिक दवाओं जैसे रेमेडिसविर, टोसीलिज़ुमैब सहित निशुल्क परीक्षण और उपचार किया गया। निजी अस्पतालों में रेफर किए जाने वाले मरीजों के लिए भी उपचार सेवाएं मुफ्त थीं। स्वास्थ्य विभाग ने सभी निजी अस्पतालों में कोविड जांच और इलाज के लिए शुल्क की ऊपरी सीमा तय की है। गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के कोविड रोगियों को होम आइसोलेशन और 5 हजार रुपये का अनुदान और मृत्यु के मामले में 2 लाख रूपए की अनुग्रह राशि देने का काम किया गया। कोविड ड्यूटी के लिए तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को 50 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर दिया गया। कोविड सेवाओं के अलावा, सभी आवश्यक सेवाएं, जैसे, नियमित टीकाकरण, संस्थागत प्रसव और बीमार नवजात देखभाल, सर्जरी सहित 24 घंटे आपातकालीन सेवाएं महामारी के दौरान चालू थीं।

 

 


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Content Writer

Isha

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