मुगल बादशाह बाबर की ओर से बनाई गई जुल्म की बिल्डिंग मेरे सामने हुई थी धराशाहीः अनिल विज

punjabkesari.in Sunday, Jan 21, 2024 - 09:38 PM (IST)

चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी): राम मंदिर निर्माण के संघर्ष में गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के निजी बैंक खाते को भी केंद्र सरकार द्वारा बंद कर दिया गया था! लखनऊ की जेलें पूरी भर चुकी थी,इस कारण उन्होंने उन्नाव जेल में करीब 10-15 दिन विज ने साथियों के साथ बिताए थे! विज के अनुसार, उस समय तक लखनऊ की सारी जेलें भर चुकीं थी, तब राम भक्त वहां तक पहुंच थे!

500 सालों से जिस घड़ी का देशवासियों को इंतजार था चंद घंटों जैसे ही सूर्य देव प्रकट होंगे, उसके बाद अयोध्या सहित पूरे देश में एक नई सुबह का आगमन होगा। विज ने कहा कि आंदोलन को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए देशभर के अनगिनत राम भक्तों ने जहां अपने प्राणों की आहुति दी है, वहीं देश के करोड़ों लोगों की आस्था भी इससे जुड़ी हुई है!, विज ने बताया कि वे अयोध्या  में साल 1990 और 1992 में हुई कारसेवा में शामिल हुए थे!  उन्होंने  बताया कि वह उस वक्त के साक्षी रहे हैं। वे 1990 में कुछ साथियों के साथ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे थे इसके बाद वह 1992 में भी अयोध्या गए थे!

विज ने बताया कि 1990 में यूपी में मुलायम सिंह  की सरकार थी। हरियाणा के सभी कार सेवक अंबाला से ट्रेन से रवाना हुए। जिसमें दिल्ली तक सफर ठीक रहा, लेकिन दिल्ली के बाद पुलिस ने उनके कई साथियों को  दबोच लिया था! जबकि वे कुछ साथियों के साथ वहां पहुंचने में कामयाब रहे! ट्रेन में सवार कुछ लोगों ने सलाह दी कि स्टेशन पर भारी पुलिस पुलिस फोर्स लगाई गई है। इसलिए आप यहीं उतर जाओ।  मौके की नजाकत को देखते हुए उनकी सलाह मान उनके अन्य साथी वहीं उतर गए!

विज के अनुसार, जब वहां पहुंचे हर तरफ मोटरसाइकिल खड़ी थी। थोड़ी देर बाद कुछ साथी  वहां पहुंचे उन्होंने बताया कि आगे एक मंदिर है।  इस समय आपके लिए वह सबसे सुरक्षित स्थान है। जिसके बाद सभी साथी बिना समय गवाए वहां पहुंचेष  विज ने कहा तब तक हमें भी समझ आ चुका था हम गलत स्टेशन पर उतर चुके थे। विज ने यूपी पुलिस की  सरहना करते हुए कहा कि यूपी पुलिस कार सेवकों के साथ थी! अयोध्या पहुंचते ही उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। विज के अनुसार  उस समय हालात जैसे भी रहे हों, लेकिन पुलिस ने उनके साथ ठीक  बर्ताव  किया।

बताया कि उस दौरान पुलिस द्वारा उनके साथ किया गया व्यवहार भी बहुत ही प्रशंसनीय रहा! जैसे अयोध्या में राम भक्तों का जमवाड़ा होता रहा वैसे-वैसे ही उत्तर प्रदेश की लखनऊ सहित सभी जेलें खचाखच भर गईं थी।  विज ने 1992 की यादें ताजा करते हुए  भावुक हो फिर कहा कि 6 दिसंबर 1992 से एक हफ्ते पहले ही अयोध्या पहुंचने की ड्यूटी मिल चुकी थी। उन्होंने एक आम नागरिक की तरह अयोध्या  का जगह किया। उन्होंने पाया कि वहां सभी हिंदू आराध्य देवताओं के मंदिर थे, लेकिन भगवान श्री राम का मंदिर नहीं था! उन्हें बहुत ही आघात लगा था।

विज बताया कि 6 दिसंबर को अयोध्या में बहुत बड़ी रैली हुई थी।  प्रतीकात्मक कारसेवा के रूप में सिर्फ सरयू नदी से एक मुट्‌ठी रेत भरकर लाई जाएगी और उसे मंदिर के आगे रखकर सभी लोग शांतिपूर्वक वहां से निकल जाएंगे! लेकिन प्रभु श्री राम के प्रति भक्तों की आस्था के समक्ष कुछ भी न टिक सका और कुछ पलों में ही प्रभु श्री राम के भक्तों ने  मस्जिद का ढांचा गिरा दिया!

 उन्होंने बताया कि वे उस वक्त ढांचे के बिल्कुल नजदीक थे! सभी साथी पहले ढांचे पर हाथ-पैर मार रहे थे, लेकिन जब ढांचा नहीं टूटा तो कुछ लोग नीचे उतरकर आसपास के घरों में पहुंचे। घरों में जिसे जो मिला, उठा लाए। लोगों के हाथों में हथौड़े, कस्सी, गैंतियां थीं। प्रभु श्री राम के भक्तों ने पलों मे ही रामजन्म भूमि पर मुगल बादशाह बाबर की ओर से बनाई गई जुल्म की बिल्डिंग को धराशाही कर दिया। विज ने कहा कि वह अपने आपको सबसे धन्य समझते हैं यह सब उनकी आंखों के सामने हुआ!

मुलायम सिंह के बाद यूपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने सभी कार सेवकों का पूर्ण बचाव किया। यूपी के तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह ने कहा कि वे किसी भी राम भगत के ऊपर गोली नहीं चलाएंगे। जिस वक्त ढांचा गिराए जा रहा था मंच पर लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, अशोक सिंहल, साध्वी ऋतंभरा और दूसरे नेता मौजूद थे। लेकिन उस वक्त ये किसी ने नहीं देखा कि कौन किसकी अगुवाई कर रहा है। 200-300 लोगों के समूह के सामने जो कुछ आया, ढह गया।

विज के अनुसार, ढांचा गिराने वाले कारसेवकों के खिलाफ पुलिस ने उस दिन कोई एक्शन नहीं लिया। यूपी में तब भजपा की सरकार थी। तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह ने पहले ही कह दिया था कि वह कारसेवकों पर गोली नहीं चलवाएंगे। 1990 में जहां यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने कारसेवकों पर गोलियां चलवाईं। वहीं 1992 में कल्याण सिंह ने ऐसा कुछ नहीं किया।

 अनिल विज बताते हैं कि 6 दिसंबर को विवादित ढांचा ढहने के बाद भाजपा नेताओं ने सभी कारसेवकों को अपने-अपने घर लौटने के निर्देश दिए। हम भी अपनी गाड़ी से अंबाला के लिए चल पड़े। रास्ते में कई गांवों से गुजरते समय हमारी गाड़ियों पर जबरदस्त पथराव किया गया। हालांकि हम सकुशल अंबाला पहुंचने में कामयाब हो गए। जिसके बाद केंद्र सरकार द्वारा उनके निजी बैंक खाते को भी बंद कर दिया गया था।

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Content Editor

Saurabh Pal

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