विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विज ने लगाई हैट्रिक

punjabkesari.in Saturday, May 29, 2021 - 03:58 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा कद रखने वाले अनिल विज के बारे में प्रदेश में बहुत कम लोग जानते हैं। अनिल विज वह नाम जिसकी चर्चा केवल प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत में होना एक आम बात है।साधारण जीवन शैली वाले अनिल विज एक ऐसे साधारण परिवार से संबंध रखते हैं जिसका राजनीति से कभी कोई सरोकार हीं नही रहा। अनिल विज ने 37 साल की उम्र में अपने दम पर राजनीति में पैर रखे और 6 बार चुनाव जीत चुके अनिल विज आज बेहद जनप्रिय नेता बन चुके हैं।

वह बैंक की नौकरी को छोड़ पहली बार 27 मई 1990 को अंबाला कैंट उप चुनाव में जीत दर्ज कर विधायक बने। लेकिन राजनीति से पहले भी लोगों की मदद करना, लोगों के दुख दर्द में शामिल होना उनकी आदतों में शुमार था। वह एक कर्मचारी होने के बावजूद जनसेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहते थे। जो कि आज तक उन्होंने अपनी इस आदत को बरकरार रखा है। कुछ समय पहले कोरोना संक्रमित होने पर वह आईसीयू में भर्ती हुए। लेकिन छुट्टी मिलने के तुरंत बाद समेत ऑक्सीजन सिलेंडर अपने कार्यालय पहुंचे और बहुत से लोगों की समस्याओं का समाधान किया। जिस उपचुनाव से अनिल विज ने अपने राजनीतिक कैरियर का आगाज किया था उस समय प्रदेश में सिरसा की डबवाली विधानसभा क्षेत्र में भी उपचुनाव हुआ था। जहां से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने जनता दल के टिकट पर चुनाव जीता था।

ऐसा नहीं है कि हर बार अनिल विज भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर ही चुनाव जीते हो। बल्कि इतिहास गवाह है कि विज की जनता में बेहद मजबूत पकड़ है। कैंट की जनता किसी भी राजनीतिक पार्टी को नहीं बल्कि केवल अनिल विज के नाम पर मुहर लगाती है। विज द्वारा इस सीट से दो बार निर्दलीय चुनाव जीतना इस बात को साबित करता है। जी हां, बता दें कि पहला चुनाव 1990 में जीतने के बाद अप्रैल 1991 में हरियाणा विधानसभा समय से पूर्व ही भंग कर दी गई थी। जून 1991 में विधानसभा आम चुनाव करवाए गए। जिसमें विज भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर विजयी नहीं हो पाए थे। कुछ वर्ष बाद किसी कारणवश अनिल विज ने भारतीय जनता पार्टी का त्याग कर दिया था। अप्रैल 1996 और फरवरी 2000 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और विधायक बने।

वर्ष 2007 में उन्होंने एक राजनीतिक पार्टी विकास परिषद के नाम से भारतीय चुनाव आयोग से पंजीकृत करवाई। जिसका नारा था, काम किया था-काम करेंगे। हालांकि अक्टूबर 2009 में 12वीं विधानसभा के आम चुनावों से ठीक पहले वह फिर से भाजपा में शामिल हो गए और 2009, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में लगातार तीन बार चुनाव जीतकर उन्होंने हैट्रिक लगाई और वह आज हरियाणा के बेहद ताकतवर वरिष्ठ मंत्री है। उनके पास गृह, स्वास्थ्य और निकाय जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं। एक बैंक कर्मचारी से छह बार विधायक और हरियाणा के वरिष्ठ मंत्री तक पहुंचने का श्रेय केवल और केवल अनिल विज खुद को जाता है। क्योंकि विज हमेशा स्वार्थ और लालच की राजनीति से दूर रहे और जनता का दुख दर्द हमेशा उनके लिए दुखदाई रहा।

प्रदेश के गृह, स्वास्थ्य और निकाय मंत्री अनिल विज की लोकप्रियता और उनकी सुप्रसिद्धि से लगभग सभी परिचित हैं। लेकिन उनकी इस लोकप्रियता का मूल मंत्र आखिर क्या है। कैसे वह अपने विभिन्न विभागों को नियंत्रण में रखते हैं। किस प्रकार से वह प्रदेश और देश की राजनीति में इतने एक्टिवेट रहते हैं। इसके बारे में बहुत कम लोगों को ज्ञात है। इसका मूल कारण है वह पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हैं। प्रदेश के गृह, स्वास्थ्य और निकाय मंत्री स्वयं स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैब, इंटरनेट और सोशल मीडिया का उपयोग करना पूरी तरह से जानते हैं। न केवल प्रयोग बल्कि इसका सही लाभ कैसे लेना है इसकी भी पूरी तरह से जानकारी वह रखते हैं। इस आयु में पहुंचने के बावजूद भी टेक्नोलॉजी को लेकर पूरी तरह से अनिल विज हाईटेक नजर आते हैं। उनके फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम अकाउंट को देखकर उनकी जागरूकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। 

एक वह दौर था जब युवा पीढ़ी गुल्ली डंडा, कंचे और पतंग जैसे खेलों में भाग लेती थी। लेकिन मौजूदा पीढ़ी इंटरनेट के जाल में फस कर घरों में कैद होकर रह गई है। लेकिन अधिकतर युवाओं द्वारा इंटरनेट के अनेकों प्लेटफॉर्मो का प्रयोग केवल मनोरंजन के लिए किया जाता है। वही सोशल मीडिया का सही और सकारात्मक प्रयोग अगर किया जाए तो उसके बेहतरीन परिणाम हो सकते हैं यह अनिल विज की लोकप्रियता को देखकर सिद्ध होता है। सोशल मीडिया पर ट्विटर अकाउंट होने के कारण वह प्रदेश ही नहीं देश से भी जुड़े किसी भी बड़े मामले पर अपनी बात को बेबाक तरीके से रखते हैं। भले ही विपक्ष द्वारा सरकार, प्रधानमंत्री या प्रदेश के मुख्यमंत्री पर किए गए कटाक्ष का जवाब देना हो या प्रदेश के अधिकारियों को दिशा निर्देश या आदेश देने हों, वह हाईटेक टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। जिसके कारण ही वह सुर्खियों में रहते हैं।

प्रदेश के मंत्री अनिल विज का मानना है कि सरकारी तंत्र के माध्यम किए जाने वाले पत्राचार की स्पीड काफी धीमी होने के कारण आदेश और दिशा निर्देश की पालना में काफी वक्त लगता है। लेकिन टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर तुरंत प्रभाव से अधिकारियों तक बात पहुंचाई जा सकती है। वही सोशल मीडिया के माध्यम से जनता को भी पता चलता है कि सरकार क्या कर रही है। इससे सरकार द्वारा की गई कार्यवाही में भी पारदर्शिता नजर आती है। कुछ समय पहले अस्वस्थ होने पर वह अस्पताल में भी इसके जरिए अपने विभिन्न विभागों को नियंत्रित करते रहे थे। 

प्रदेश के सबसे साधारण दिखने वाले मंत्री अनिल विज हाईटेक संसाधनों के उपयोग में रुचि रखते हैं। वह अपने सभी विभागों पर नियंत्रण रखने के लिए जहां संसाधनों का प्रयोग करते हैं। वही वह मीडिया तक अपनी बात पहुंचाने के लिए केवल लोक संपर्क विभाग पर निर्भर नहीं रहते। वह खुद मीडिया तक अपनी बाइट्स, अपने बयान और प्रेस नोट पहुंचाते हैं। पुराने जमाने में जब हाईटेक जमाना नहीं था तब भी वह अपने हाथ से लिख कर प्रेस नोट मीडिया तक भिजवाते थे यानि मीडिया से वह दूरियां बनाने में विश्वास नहीं रखते। वह 35 साल से राजनीति में है और 6 बार चुनाव जीत चुके हैं। भाजपा सरकार के सबसे सीनियर मंत्री हैं जो कि जनता में बेहद लोकप्रिय हैं।

प्रदेश में जब भारतीय जनता पार्टी का अस्तित्व न के बराबर था तब भी यह अपने क्षेत्र से चुनाव जीतते रहे हैं। जनता हमेशा उनकी प्राथमिकता पर रही है। कुशल नेतृत्व के मालिक,  बेबाक और सख्त अंदाज, स्टीक दिशा निर्देश और अनुशासन प्रिय अनिल विज दूरदर्शी सोच रखते हैं। उनकी सुदृढ़ कार्यशैली, फैसले लेने की शक्ति और काम करने का अंदाज जो भी देखता है वह उनका मुरीद हुए बिना नहीं रह सकता। प्रदेश के मंत्री अनिल विज जो अपने सख्त रवैया के लिए विख्यात हैं। लेकिन उनकी प्रसिद्धि केवल हवा-हवाई नहीं है। अनिल विज केवल अपने अधिकारियों और स्टाफ पर ही पूरी तरह से निर्भर नहीं रहते। वह अपना काम और अपने विभागों की कार्य शैली पर खुद नजर बनाए रखते हैं। अब बात करते उनकी दूरदर्शिता का। 

कोरोना की पहली वेव के आने पर ही उन्होंने मेडिकल कॉलेज और हेल्थ विभाग के डॉक्टरस की एक टीम का गठन कर दिया था। जिसका काम केवल कोरोना महामारी क्या है, क्या-क्या इंतजाम किए गए, कौन सी दवाइयां इस्तेमाल की गई, क्या ट्रीटमेंट इस्तेमाल किया गया और क्या-क्या कदम जैसे लाक डाउन, मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग आदि की पालना की गई यह सारा डाटा नोट करना था। ताकि कभी भविष्य में 50-100-200 साल के बाद भी इस प्रकार का प्रकोप आए तो पिछला रिकॉर्ड उठाकर सभी जानकारियां हासिल की जा सके। ताकि जिन कठिनाइयों से आज देश-प्रदेश गुजर रहा है। भविष्य की पीढ़ी को इतनी दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। यानि यह वह मंत्री हैं जिन्हें केवल अपने 5 साल के कार्यकाल की चिंता नहीं बल्कि देश की अगली नस्लों की भी वह चिंता कर रहे हैं। 

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Content Writer

Manisha rana

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