जब किसी खिलाड़ी के लिए पूरा देश दुआएं करता है, यह बहुत बड़ा सकारात्मक पहलू है: नीरज चोपड़ा

punjabkesari.in Wednesday, Aug 18, 2021 - 03:05 PM (IST)

 

चंडीगढ़ (धरणी) : हिंदुस्तान का सिर ऊंचा करने वाले नीरज चोपड़ा आज देश के सबसे बड़े रोल मॉडल, ब्रांड एमेस्टर बन चुके हैं। देश का हर शख्स- हर युवा की पहली पसंद आज नीरज चोपड़ा है। 23 साल के चोपड़ा देश की सेना में अपनी सेवाएं दे रहे थे और अब जो उन्होंने देश के लिए किया है वह अहसान शायद कभी उतरा नहीं जा सकता। आज नीरज चोपड़ा ने खास बातचीत के दौरान उन्होंने अपनी निजी लाइफ के कई तजुर्बे और घटनाएं हमसे साझा किए।

गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने बताया कि ओलंपिक से पहले जहां उन्हें नींद नहीं आ रही थी। देश के लिए कुछ करने का जज्बा दिलो-दिमाग में घर कर चुका था और अब मेडल जीतने के बाद गौरवान्वित तो महसूस कर ही रहा हूं, साथ ही साथ नींद अभी नहीं आ रही। क्योंकि जो सम्मान उन्हें हर जगह मिल रहा है वह लाजवाब है। साथ ही साथ अभी कॉमनवेल्थ गेम की तैयारियों में लगा हूं और अभी उनकी बायोपिक में और बहुत सी कहानियां जोड़नी है। देश के लिए इतना करना ही काफी नहीं है। अभी तो पहला कदम रखा है। मंजिल बहुत दूर है। उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत है:-

प्रश्न : आपके गोल्ड मेडल जीतने के बाद नौजवान पीढ़ी में क्या बदलाव आने वाला है?
उत्तर : 
अब आने वाले समय में भारत ओलम्पिक में और पदक जीतेगा। भारत के युवा वर्ग में खेलों में  खेल पदक लाने की भूख है। जब हमारी सरकारें युवा वर्ग को खेलों के लिए प्रेरित करेंगी तो निसंदेह परिणाम सार्थक होंगे।

प्रश्न : गोल्ड मेडल जीतने के बाद किस प्रकार की अनुभूति हो रही है?
उत्तर : 
खेल के अंदर पदक जीतना और वो भी अपने देश के लिए जीतना वह भी स्वर्ण पदक यह किसी सपने से कम नहीं होता। उसे पूरा करना अध्भुत लगता है। मुझे ख़ुशी है कि मैंने अपना व अपने देश का नाम रोशन किया है।

प्रश्न : आगामी खेलों को लेकर किस प्रकार की तैयारियां हैं?
उत्तर : 
मेरा अगला निशाना वर्ल्ड चैम्पियनशिप में इससे भी बेहतरीन प्रदर्शन करना है। एथलेटिक्स व जेवलिन थ्रो को भारत में कोई इतना जानता नहीं है। यह दिक्क्त है। जेवलिन थ्रो को अब भारत में बच्चे खेलने  लगे हैं। उससे लगता है कि आने वाले वर्षों में और पदक भारत को आयेंगें। जूनियर्स अच्छा कर रहे हैं। 

प्रश्न : एक छोटे से गांव से निकलकर इस लेवल तक पहुंचना किस प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ा?
उत्तर : 
गावों में खेलने वाले बच्चों को बहुत दिक्क़ते आती हैं। घरों में भी बहुत दिक्क्त होतीं हैं। जो दिक़्कतीं होती हैं वह किसी भी खिलाड़ी की भूख बढ़ाते हैं। लगभग अधिकतर खिलाड़ी मिडिल क्लास फैमिली से ही होते हैं। लेकिन उनकी मेहनत सभी चीजों को मुश्किलों को हराते हुए उपलब्धि हासिल करती है।

प्रश्न : प्रदेश सरकार ने सभी खिलाड़ियों को बहुत सम्मान दिया। सरकार से क्या मांग है?
उत्तर : 
सरकार व मुख्यमंत्री मनोहर लाल से उनकी अपील है कि पानीपत स्थित शिवाजी स्टेडियम को केवल खेलों के लिए इस्तेमाल किया जाए। वहां शिवजी स्टेडियम में केवल खेल होनी चाहिए। वहां मैदान दशहरा पर्व के लिए इस्तेमाल न हो।

प्रश्न : एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल आना एक बड़ी उपलब्धि है। आप कितने संतुष्ट हैं ?
उत्तर : 
100 साल के इंतजार को खत्‍म करते हुए भारत को एथलेटिक्‍स में ओलंपिक मेडल भारत की अमानत है। फाइनल मुकाबले में 87.58 मीटर दूर भाला फेंक गोल्ड मेडल जीता। मैंने अपने दूसरे थ्रो में ही ये दूरी तय की। पहले थ्रो में ही 87.03 की दूरी तय कर नंबर 1 पर जगह बना ली थी। लेकिन इसके बाद मैंने अगले थ्रो में अपना प्रदर्शन और बेहतर किया था। 

प्रश्न : अपने साथ खेलते वक्त बीती कोई एक घटना के बारे में बताएं ?
उत्तर : 
जुलाई 2017 की एशियन एथलेटिक्‍स चैंपियनशिप के समय की है।उस दौरान 80 मीटर के मार्क को भी पार नहीं कर पा रहे था। ऐसे में एक शख्‍स ट्रैक पर मेरे पास आया, जो दिखने में अधिकारी जैसा लग रहा था और उन्‍होंने कहा कि भारत की इज्‍जत बचा लो। इससे मै थोड़ा घबरा गया था। 

प्रश्न : क्या आपने आर्मी अपनी मर्जी से ज्वाइन की थी या मजबूरी में ?
उत्तर : 
बचपन से ही देश की आर्मी बहुत पसंद थी और उनके पास आर्मी के अलावा भी नौकरियों के लिए काफी ऑफर थी। लेकिन आर्मी को ही चुनकर देश की सेवा करना ज्यादा अच्छा समझा और यहां तक पहुंचने में मेरी आर्मी ने मेरी बहुत मदद की है। शायद उनकी मदद के बिना यह नामुमकिन होता।

प्रश्न : आपकी इस उपलब्धि के बाद पूरा देश गदगद है। क्या कहेंगे ?
उत्तर : 
गोल्ड मेडल जीतने के बाद देश के प्रधानमंत्री समेत सभी ने बहुत सम्मान दिया है। बचपन से ही जैवलिन खेल रहा हूं। 2011 से आज तक कड़ा हार्ड वर्क किया है। कड़ी मेहनत के बाद यह मुकाम हासिल हुआ है। लेकिन जब ओलंपिक में कोई खिलाड़ी खेलने जाता है और पूरा देश उनके लिए दुआएं करता है यह बहुत बड़ी बात होती है। यह एक सकारात्मक पहलू है। 

प्रश्न : आप ओलंपिक में दूसरे गोल्ड मेडलिस्ट है। कैसा महसूस करते हैं ?
उत्तर : 
देश को पहला गोल्ड दिलवाने वाले अभिनव बिंद्रा असली हीरो है। उन्होंने देश को पहला मेडल दिलवाकर बिंद्रा ने बहुत बड़ा काम किया था और उसके बाद ही उन्होंने बहुत से मेडल जीते। यह बहुत गौरव की बात है। उन्हें देखकर भी बहुत गौरव महसूस हुआ था और आज बहुत खुश हूं।

प्रश्न : आपकी खूबसूरती में चार चांद लगाने वाले बालों को आपने क्यों कटवाया ?
उत्तर : 
देश को मेडल दिलवाना मेरा सपना था। परिवार ने बहुत मदद की। परिवार भी दिन-रात यही सपने देख रहा था और मेहनत करते वक्त पसीनो से बाल भीग जाते थे और बार-बार आंखों के आगे आकर तंग करते थे। थ्रो करते वक्त काफी मुश्किल होती थी। इस कारण से बालों को कटवाना पड़ा। 

प्रश्न : मेडल जीतने के बाद क्या दूसरे हिंदुस्तानी खिलाड़ियों से भी मुलाकात हुई थी ?
उत्तर : 
जिस समय ओलंपिक में खिलाड़ियों ने मेडल जीते तो उसके बाद जब मुलाकात हुई थी। तो सभी बहुत खुश थे और जो दिमाग में टेंशन थी, वह बिल्कुल समाप्त हो चुकी थी। 

प्रश्न : जानकारी के मुताबिक आपके 5 साल कड़ी मेहनत के बीते। इसके बारे में कुछ बताएं ?
उत्तर : 
मेरे 5 साल कड़ी परिश्रम के बीते हैं। इन 5 सालों में 1117 दिन की कड़ी ट्रेनिंग मैंने की। जिसमें से 450 दिन की कड़ी ट्रेनिंग यूरोप में हुई। फेडरेशन- इंडियन आर्मी इत्यादि ने मुझे 177 जैवलिन उपलब्ध करवाई। क्योंकि मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ। शायद सभी की मदद के बिना इस मुकाम तक पहुंचना नामुमकिन था। लेकिन कड़ी मेहनत और जज्बे को परमात्मा ने कबूल किया। देश ने मेरी हौसला अफजाई की गई और मदद की गई। उस कारण से आज देश का सीना दुनिया में चौड़ा हुआ है।            

 


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Content Writer

Manisha rana

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