बड़ा सवाल: किसके सिर बंधेगा ऐलनाबाद विधानसभा का ताज ?

punjabkesari.in Thursday, Feb 18, 2021 - 07:29 PM (IST)

ऐलनाबाद (सुरेंद्र सरदाना): राजस्थान की सीमा के साथ सटा हुआ ऐलनाबाद हरियाणा का अंतिम शहर है। तीन कृषि कानूनों की खिलाफत को लेकर यहां के विधायक अभय सिंह चौटाला ने अपने पद से 27 जनवरी को इस्तीफा दे दिया था, इस इस्तीफा को स्पीकर द्वारा मंजूर कर लिया गया था। जिसके बाद अब ऐलनाबाद में 6 माह के अंदर चुनाव करवाना जरूरी है। 

ऐलनाबाद सीट से विधानसभा उपचुनाव कोई पहली मर्तबा नहीं होना है, उपचुनाव का ऐलनाबाद से पुराना रिश्ता है। इससे पहले भी वर्ष 2010 में तब उपचुनाव हुआ था, जब प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश ने उचाना व ऐलनाबाद की सीट से जीत हासिल कर ली थी, लेकिन बाद में उन्होंने ऐलनाबाद की सीट से इस्तीफा दे दिया था। उपचुनाव में अभय सिंह चौटाला में ऐलनाबाद विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमाई और उन्होंने कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल को शिख्शत देते हुए इस सीट पर विजय हासिल की। 

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सिरसा जिले की इस विधानसभा सीट पर इनेलो का जबरदस्त कब्जा रहा है। 1968 व 1991 को छोड़कर सभी चुनावों में यहां से उसी पार्टी का विधायक बना है, जिससे देवीलाल या उनका परिवार जुड़ा हो। 1977 से 2005 तक आरक्षित रही इस सीट पर उस दौरान लोक दल के भागीराम पांच बार विधायक बने। उन्हें सिर्फ 1991 में कांग्रेस के मनी राम केहरवाला से हार मिली थी। इनेलो की तरफ से डॉ. सुशील इंदौरा भी 2005 में यहां से विधायक बने, जो उससे पहले सिरसा सीट से सांसद थे। 

2008 में सामान्य सीट बन जाने के बाद से यहां चौटाला परिवार से ही विधायक बन रहे हैं। इससे पहले 1967 में चौधरी देवीलाल के बेटे प्रताप सिंह यहां से विधायक बने थे और 1970 में हुए उपचुनाव में ओम प्रकाश चौटाला यहां से चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे।

2014 चुनाव में अभय सिंह चौटाला के लिए एलेनाबाद सीट पर चुनौती बड़ी थी। उनके करीबी और सहयोगी रहे पवन बेनीवाल उनके सामने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। बेहद कड़े दिख रहे मुकाबले को आखिरकार अभय सिंह ने 11000 से ज्यादा वोटों से जीता। इस प्रकार ऐलनाबाद सीट पर चौधरी देवी लाल प परिवार का ही वर्चस्व रहा। अब ऐलनाबाद में उपचुनाव तय हैं। ऐसे में देखना बाकी है कि ऐलनाबाद से हरियाणा विधानसभा के लिए किस की ताजपोशी होती है और ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र की जनता जनार्धन किस के सिर पर सेहरा बांध कर अपने क्षेत्र की नुमाइंदगी के लिए हरियाणा के विधानसभा में भेजती है। 

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देखना बाकी है कि सत्तासीन सरकार बीजेपी जिस ने कभी भी इस ऐलनाबाद विधानसभा सीट से कभी खाता नही खोला तो क्या सत्ता के चलते साम दंड भेद की नीति से इस चुनाव में अपनी ही पार्टी के किसी कैंडिडेट को टिकट दे कर अपना खाता खोलेगी या फिर यह सीट चौधरी देवी लाल के वंशज दुष्यंत चौटाला, जिन के साथ बीजेपी-जेजेपी गठबंधन है, के खाता में यह टिकट डाल परिवार को ही परिवार से लड़वाने का काम करेगी। 

अभी तो कुछ भी कह पाना नामुमकिन है कि ऐलनाबाद का अगला विधायक कौन होगा और किसके सिर पर ताजपोशी होगी। चूंकि चुनाव आयोग ने अभी चुनाव की डेट ही तय नहीं की है। बावजूद भी लोगों के बीच ऐलनाबाद के विधायक को लेकर चर्चाओं का बाजार जरूर गर्म है।

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बता दें कि अभय चौटाला को 2010 उपचुनाव में भी कड़ी चुनौती मिली थी और वह सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के उम्मीदवार से लगभग 6000 वोटों से जीते थे। 2014 में ऐलनाबाद सीट से भाजपा ने पवन बेनीवाल को टिकट दी थी जिनका यह पहला चुनाव था। पवन बेनीवाल काफी समय तक अभय चौटाला की टीम में ही थे और कुछ मतभेद होने के बाद उन्हें छोड़ कर भाजपा में चले गए थे। मतभेद इस कदर थे कि पवन ने अभय के खिलाफ ऐलनाबाद से भाजपा की टिकट पर चुनाव पूरी ताकत से लड़ा। 

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Content Writer

vinod kumar

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