जानिए क्या है SYL नहर विवाद, अदालत का फैसला आने पर भी हरियाणा को क्यों नहीं मिल पा रहा पानी ?

punjabkesari.in Wednesday, Apr 20, 2022 - 07:38 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी): SYL सतलुज-यमुना लिंक को लेकर हरियाणा और पंजाब अक्सर ही आमने सामने दिखाई देते हैं। बेशक दोनों राज्य आपस में भाई का रिश्ता रखते हों लेकिन जब मामला एसवाईएल का आता है तो टकराव की स्तिथि बन जाती है। बीतते समय के साथ ही मामला राजनीतिक बनना स्वभाविक है। हरियाणा और पंजाब व केंद्र में कई सरकारें आई लेकिन इस मुद्दे का हल नहीं निकल सका। फिलहाल के लिए एसवाईएल का मुद्दा मानों केवल वोटों के लिए ही बनकर रह गया है। सुप्रीम कोर्ट ने दो बार हरियाणा के पक्ष में फैसला भी सुनाया, लेकिन बड़ा भाई पंजाब हक देने को तैयार नहीं।

यहां तक कि कई बार तो संयोग ऐसा भी बना कि हरियाणा, पंजाब और केंद्र में एक ही पार्टी या सहयोगी दलों की सरकारें बनी। लेकिन एसवाईएल का मामला ज्यों के त्यों ही रहा। किसी ने भी इस मामले को सुलझाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।

70 और 80 के दशक में SYL के निर्माण की शुरुआत चौधरी देवीलाल ने की। बाद के दशकों में वोट के लिहाज से नहरी पानी भले ही ज्यादा फायदेमंद न रहा हो, मगर राजनेताओं ने मुद्दे को मरने नहीं दिया। 1976 में फिर एसवाईएल का जिन्न बाहर निकला और तत्कालीन सीएम बनारसी दास गुप्ता की अगुवाई में हरियाणा ने अपने हिस्से में नहर की खोदाई शुरू की। 1980 में नहर निर्माण का काम पूरा कर लिया गया। चुनावों में इसका पूरा फायदा कांग्रेस को मिला और तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने फिर सरकार बनाई।

इसके बाद 1987 में चौधरी देवीलाल को सत्ता दिलाने में SYL ने मुख्य किरदार निभाया। नहर को लेकर राजीव-लोंगोवाल समझौते का लोकदल व भाजपा ने पुरजोर विरोध किया। तब तक भजनलाल केंद्र में चले गए थे और बंसीलाल के हाथों में कमान आ चुकी थी।समझौते में हरियाणा के हिस्से के पानी को घटाने पर देवीलाल ने न्याय युद्ध छेड़ा और 23 जनवरी 1986 को जेल भरो आंदोलन किया। नतीजन, 1987 में लोकदल व भाजपा ने हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 85 पर जीत दर्ज करते हुए इतिहास रच दिया।

कहां से शुरू हुआ एसवाईएल का विवाद ?

  • ये विवाद कोई आज का नहीं बल्कि काफी पुराना है, साल 1976, 24मार्च को तब केंद्र सरकार ने SYL की अधिसूचना जारी करते हुए हरियाणा के लिए 3.5 मीट्रिक एकड़ फीट पानी तय किया।
  • जिसके बाद 31 दिसंबर 1981 में हरियाणा में एसवाईएल का निर्माण पूरा हो गया ।
  • 8 अप्रैल 1982  तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पटियाला के कपूरी गांव में नहर की नींव रखी। आतंकवादियों ने इसे मुद्दा बना लिया जिससे पंजाब में हालात बिगड़ गए।
  • इसके बाद 24 जुलाई 1985 में राजीव-लौंगोवाल समझौता हुआ।
  • इसके बाद 5 नवंबर साल 1985 में पंजाब विधानसभा में जल समझौते के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित हुआ ।
  • लेकिन 30 जनवरी 1987 को राष्ट्रीय जल प्राधिकरण ने पंजाब को उसके हिस्से में नहर निर्माण तुरंत पूरा करने का आदेश दिया।
  • जब मामला सुलझता नहीं दिखाई दिया तो हरियाणा 1996 में मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ।
  • जिसके बाद 15 जनवरी 2002 को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को एक साल में SYL बनाने का निर्देश दिया। फिर  4 जून 2004 को  सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पंजाब की याचिका खारिज हुई।
  • साल 2004 में पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने 12 जुलाई को विधानसभा में 'पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट्स एक्ट 2004' लागू किया। संघीय ढांचा खतरे में देख राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से रेफरेंस मांगा फिर 12 साल मामला ठंडे बस्ते में रहा।
  • 14 मार्च 2016 पंजाब विधानसभा में सतलुज-यमुना लिंक कैनाल (मालिकाना हकों का स्थानांतरण) विधेयक पास कर नहर के लिए अधिगृहीत 3,928 एकड़ जमीन वापस किसानों को वापस कर दी गई। पंजाब में SYL के लिए कुल 5,376 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई थी जिसमें 3,928 एकड़ पर SYL और बाकी हिस्से में डिस्ट्रीब्यूट्रीज बननी थी। पंजाब ने हरियाणा सरकार का 191 करोड़ रुपये का चेक लौटा दिया जिसके बाद स्थानीय किसानों ने नहर को पाट दिया।
  • इसके बाद हरियाणा की मनोहर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति के रेफरेंस पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ गठित करने का अनुरोध किया और 10 नवंबर 2016 में कोर्ट का फैसला हरियाणा के पक्ष में रहा लेकिन पंजाब ने अभी  तक नहर का निर्माण शुरू नहीं किया ।

अब जाने आखिर एसवाईएल की स्थिति है क्या ?

  • इस नहर की कुल लंबाई 212 किलोमीटर की है। हरियाणा ने 91 किमी के अपने हिस्से की नहर बना दी है और ये नहर अंबाला से करनाल के मूनक तक जाती है।
  • इसके बाद 121किमी नहर पंजाब में बनाई जानी थी लेकिन टुकड़ों में निर्माण के बाद अधिकतर हिस्सा फिर पाटा और 42 किमी हिस्सा पटियाला-रोपड़ में किसानों ने समतल कर दिया ।


हरियाणा के किन जिलों को मिलेगा फायदा ?

अब अघर एसवाईएल नहर बनती है तो हरियाणा के 6 जिलों को मुख्य रूप से सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। जिसमें रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, मेवात, गुरुग्राम, फरीदाबाद और झज्जर जिले शामिल हैं।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vivek Rai

Recommended News

Related News

static