हरियाणा के लोकतांत्रिक इतिहास में नई इबारत लिख गया शीतकालीन सत्र, विस अध्यक्ष ने साझा किए आंकड़े

punjabkesari.in Thursday, Dec 23, 2021 - 10:50 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): विधानसभा का शीतकालीन सत्र हरियाणा के लोकतांत्रिक इतिहास में नई इबारत लिख गया। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता द्वारा शुरू की गई शून्यकाल की परंपरा जहां विपक्षी विधायकों के लिए बेहतर मंच साबित हुई, वहीं सरकार को यह इतनी रास आई कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शून्यकाल में उठे मसलों पर संबंधित विभागों द्वारा महीने भर में जवाब देने की घोषणा कर दी। यह परंपरा ठीक संसद की तर्ज पर शुरू हुई है, जहां 17वीं लोकसभा से ही शून्यकाल के जवाब देने का प्रावधान लागू हुआ है। लोकसभा का इतना त्वरित गति से अनुसरण कर हरियाणा विधान सभा ने नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने वीरवार को पत्रकार वार्ता में सत्र की कार्यवाही से संबंधित आंकड़े पत्रकारों के साथ साझा किए। सत्र की 4 बैठकों की कुल कार्यवाही 19 घंटे 53 मिनट चली।

गौरतलब है कि हरियाणा विधान सभा के इतिहास में गत अगस्त माह में आयोजित मानसून सत्र में पहली बार शून्यकाल कार्यसूची का हिस्सा बना था। 17 से 22 दिसंबर को आयोजित शीतकालीन सत्र के दौरान 4 बैठकें हुई, जिनमें से 3 दिन शून्यकाल तथा एक दिन स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा हुई। विधान सभा सचिवालय को 2 स्थगन प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिनमें से एक पर सदन में 3 घंटे 17 मिनट तक चर्चा हुई। विधान सभा के इतिहास में लंबे अरसे बाद स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा हुई है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने एक घंटा 25 मिनट में इसका विस्तार से जवाब दिया। इसके अलावा भाजपा के 2 विधायकों को 16 मिनट, कांग्रेस के 8 विधायकों को 1 घंटा 14 मिनट, इंडियन नेशनल लोकदल के एक विधायक को 10 मिनट और 2 निर्दलीय विधायकों को 12 मिनट का समय दिया गया।

विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि तीन दिन के शून्यकाल में 63 विधायकों ने चर्चा में हिस्सा लिया। इस दौरान भाजपा 23, जजपा के 8, कांग्रेस के 25, इनेलो के एक तथा 6 निर्दलीय विधायकों को अवसर दिया गया। स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा और शून्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा अवसर कांग्रेस के विधायकों को दिया गया। शीतकालीन सत्र में सरकार की ओर से 8 विधेयक पेश किए गए। इन सभी को सदन ने पारित कर दिया।

गुप्ता के मुताबिक विधान सभा सचिवालय द्वारा 206 तारांकित प्रश्न स्वीकृत किए गए थे। चार दिन में 80 प्रश्न कार्यवाही का हिस्सा बने, जिनमें से संबंधित मंत्रियों ने 50 के जवाब सदन में दिए। शेष 30 के जवाब संबंधित सदस्यों को लिखित रूप में भेजे गए। इसी प्रकार 28 विधायकों ने 143 तारांकित प्रश्न भेजे। ये सभी कार्यवाही का हिस्सा बने।

विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि विधान सभा सचिवालय को ध्यानाकर्षण प्रस्तावों के संबंध में 51 सूचनाएं प्रस्ताव प्राप्त हुईं थीं। इनमें समान विषयों के 10 ध्यानाकर्षण प्रस्तावों को संलग्न किया गया, जिसके पश्चात 4 ध्यानाकर्षण प्रस्तावों पर चर्चा हुई। इस प्रकार 14 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव कार्यवाही का हिस्सा बने। 37 ध्यानाकर्षण सूचनाएं अस्वीकृत करनी पड़ीं।

विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने विधान सभा सचिवालय के आंकड़ों के हवाले से बताया कि कांग्रेस के पहले कार्यकाल में 2005 से 2009 तक 12 सत्र हुए थे, जिनमें मात्र 70 बैठकें हुई थीं। कांग्रेस के अगले कार्यकाल में सत्र और सिटिंग दोनों घटाए गए और वर्ष 2009 से 2014 तक 11 विधान सभा सत्रों में मात्र 56 बैठकें हुई थीं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 से विधान सभा के सत्र और बैठकें दोनों बढऩे शुरू हुईं। 2014 से 2019 तक 13वीं विधान सभा में 15 सत्रों का आयोजन हुआ था, जिनमें 84 सीटिंग रही थीं। नवंबर 2019 में गठित 14वीं विधान सभा के अब तक के 7 सत्रों में कुल 35 बैठकें हुई हैं। इस दौरान कुल 151 घंटे 55 मिनट कार्यवाही चली। प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधान सभा उपाध्यक्ष रणबीर सिंह गंगवा और सचिव राजेंद्र कुमार नांदल, अतिरिक्त सचिव सुभाष चंद शर्मा भी मौजूद रहे।
 

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Content Writer

Shivam

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