लॉकडाउन में मजदूरों के घरों के नहीं जले चूल्हे, भूख से बिलखने को मजबूर हुए बच्चे

punjabkesari.in Sunday, May 16, 2021 - 02:05 PM (IST)

ऐलनाबाद (सुरेंद्र सरदाना) : हरियाणा प्रदेश में कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन का आज लगातार 15वां दिन है। इस लॉकडाउन के दौरान हालांकि कुछ दुकाने नियमित रूप से खुल रही है, कुछ आंशिक रूप से तो कुछ बिल्कुल ही बंद पड़ी है। जिससे इन दुकानदारों का काम तो जैसे तैसे चल रहा है लेकिन इन सबके बीच जो सबसे ज्यादा पीड़ित वर्ग है वह है दैनिक दिहाड़ीदार मजदूर वर्ग। ऐलनाबाद शहर के गांधी चौक में सड़क किनारे बैठे यह दिहाड़ीदार मजदूर अपने घरों का चूल्हा जलाए रखने के लिए हर रोज काम की तलाश में यहां आते हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते अधिकतर काम काज ठप्प और दुकान बंद होने के कारण मज़दूरों की मांग कम हो गई है। ऐसे में कई कई घंटे इंतजार के बाद भी जब उन्हें कोई काम नहीं मिलता तो दोपहर में वे खाली हाथ अपने घर वापस लौट जाते हैं।

हालांकि इस दौरान उन्हें प्रशासन की सख्ती और पुलिस के डंडों का भी शिकार होना पड़ता है लेकिन मजबूरी में इन्हें हर रोज यहां आना ही पड़ता है। क्योंकि पेट का सवाल है। मजदूरों के लिए सबसे बड़ी दुविधा यह है कि अगर लॉकडाउन के नियमों की पालना करते है तो ताजी रोटी कमाने वाले मजदूर के घरों में चूल्हे तक नहीं जलते और उनके बच्चे भूख से बिलखने को मजबूर है। बच्चों की यह दशा देख उनकी रोटी का प्रबंध करने के लिए लॉकडाउन की परवाह किए बिना वह घर से मजदूरी की तलाश में तो निकलते है लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगती है।  

मजदूरों का कहना है कि सरकार ने कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन तो लगा दिया है लेकिन सरकार दिहाड़ीदार मजदूरों को बिल्कुल भूल गई है। इन मज़दूरों के घरों में पिछले 15 दिनों से चूल्हे नहीं जल रहे हैं और उनके छोटे छोटे बच्चे भूख से बिलख रहे हैं। अब उनके समझ नहीं आ रहा कि वे अपने बच्चों को कोरोना से बचाए या भूख से। यदि बच्चों को कोरोना से बचाते हैं तो वे भूखे मर जाएंगे और भूख मिटाने के लिए उन्हें बाजार में आना ही पड़ेगा। ऐसे में सरकार को उनकी सुध लेनी चाहिए।उनका कहना है कि मजदूरों को न केवल सरकार भूल गई है बल्कि जनता का प्रतिनिधि कहलाने वाले नेता जी भी भूल गए हैं। वे भूल गए हैं कि इन लोगों के वोट के कारण वे अपनी नेता गिरी चमकाते हैं और आने वाले दिनों में फिर इन्हीं लोगों का वोट चाहिए होगा। यदि इस घोर संकट के समय में भी वह इन गरीब मजदूरों को नहीं संभालेंगे तो फिर कब संभालेंगे। कुछ मजदूरों ने मिलकर सरकार, नेताओ व सामाजिक संस्थाओं से मांग की है कि वह गरीब मजदूरों के लिए भी कुछ सहयोग अवश्य करें ताकि इनके घरों में भी चूल्हा लगातार जलता रहे और उनके बच्चे भूख से न बिलखें। 

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Content Writer

Manisha rana

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