कोरोना की दोहरी मार से पोल्ट्री उद्योग को रोजाना 2500 करोड़ का नुक्सान, 75 प्रतिशत फार्म बंद

punjabkesari.in Sunday, Apr 05, 2020 - 01:57 PM (IST)

कुरुक्षेत्र (सिंधवानी) : मार्च 2019 से मंदी से जूझ रहे पोल्ट्री फार्मरों की हालत पहले ही खस्ता थी, उस पर चीन से चला कोरोना वायरस पोल्ट्री फार्मरों पर न्यूक्लीयर बम बनकर फटा, जिसने पोल्ट्री उद्योग से जुड़े सभी फार्मरों को चारों खाने चित्त कर दिया। एक अनुमान के अनुसार आज 50 से 75 प्रतिशत फार्म बंद हो चुके हैं और बाकी बचे हुए फार्मों की हालत वैंटीलेटर पर पड़ी जैसे है, वहीं किराए पर लिए हुए फार्म लगभग 100 प्रतिशत खाली हो चुके हैं।

बता दें कि पोल्ट्री उद्योग की बुरी हालत तब शुरू हुई जब सरकार ने किसानों के साथ राजनीतिक दांव खेलते हुए बाजरे का समर्थन मूल्य 1200 से बढ़ाकर 1850 रुपए प्रति किंविंटल कर दिया तथा फार्मर तक पहुंचते-पहुंचते अनेक बिचौलियों से होते हुए यह बाजरे के पोल्ट्री फार्मर को 2100 से 2250 रुपए प्रति किंविंटल अदा करने पड़ रहे हैं। यह मुर्गी के दाने में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख अनाज है, जो लगभग 60 प्रतिशत इस्तेमाल होता है यानी कि 100 किलो फीड में 60 किलो का मिश्रण बाजरे का होता है।  

इसके विपरीत अंडे का भाव भी लगभग 300 रुपए औसत लम्बे समय तक चला, जिसका लागत मूल्य 4 रुपए पड़ रहा, जिसके कारण पोल्ट्री फाॄमग घाटे का सौदा बन गया व परिणाम स्वरूप 25 से 30 प्रतिशत फार्म बंद हो गए। अगर यही स्थिति रही और सरकार ने स्थिति को गम्भीरता से न लिया तो वह दिन दूर नहीं जब मजबूर किसानों की तरह देनदारी और कर्जों में डूब जाएगा। 

पोल्ट्री एसोसिएशन कुरुक्षेत्र के प्रैस सचिव सोम सिंधवानी ने पोल्ट्री फार्मरों की तरफ से सरकार से पोल्ट्री फार्मरों के हित और पोल्ट्री उद्योग को बचाने के लिए पर्याप्त कदम उठाने की मांग करते हुए बाजरे व सोयाबीन की खल सबसिडी रेट पर मुहैया करवाने तथा अंडे का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने की मांग की है। किसानों की तर्ज पर बैंक लोन न्यूनतम ब्याज दर देने की स्कीम चलाए और हालातों को देखते हुए कुछ कर्ज और ब्याज माफ करे ताकि इस विपरीत स्थिति में फार्मरों को कुछ सहारा मिल सके और अपने उद्योग को फिर से खड़ा करने का हौसला मिले।  


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Isha

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