लापरवाही : देश की ‘जवानी’ छीन रहा धूम्रपान

punjabkesari.in Friday, Mar 13, 2020 - 04:08 PM (IST)

सिरसा : धूम्रपान भारतीयों की जवानी छीन रहा है और उन्हें दमा और कैंसर जैसी बीमारियों की तरफ धकेल रहा है। बीड़ी-सिगरेट के लगातार बढ़ते दामों की किसी को परवाह नहीं। जिले में धूम्रपान की लत लगातार बढ़ती जा रही है। एजैंसी से माल होलसेलर के पास पहुंचता है। होलसेलर से रिटेलर तक। शहर में सिगरेट बीड़ी की खपत पिछले कुछ सालों में बढ़ गई है। लागत बढ़ी है तो दुकानों की संख्या भी बढ़ गई है। तंबाकू उत्पादों के रेटों में काफी उछाल आने के बावजूद इनकी बिक्री किसी तरह कम नहीं हुई।

हालात यह हैं कि ब्लैक में भी विक्रेताओं को इसकी खरीद करनी पड़ती है। शहर के लोग धूम्रपान पर महीने में लाखों रुपए फूंक देते हैं। दुनिया के यूरोपीय देश जहां धूम्रपान की लत को छोड़कर योग और प्राणायाम की तरफ बढ़ रहे हैं, वहीं एशियाई देशों में धूम्रपान एक नासूर बनता जा रहा है। धुएं से गम उड़ता नहीं है, बल्कि गम गले पड़ जाता है। न ही इससे जिंदगी का साथ निभाया जा सकता है। कानून अपनी जगह है, लेकिन किसी को कानून की परवाह नहीं।

धूम्रपान सार्वभौमिक खतरे के रूप में सामने आ रहा है। इसके प्रति न तो सरकार गंभीर दिखाई दे रही है और न ही समाज। आलम यह है कि धूम्रपान टीनेजर्स को भी अपनी जद में ले रहा है। स्कूलों-कालेजों में पढऩे वाले किशोर व युवा बड़े पैमाने पर धूम्रपान करने लगे हैं। 

सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक 
सिगरेट के पैकेट पर अवश्य लिखा है कि सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और अब इन पैकेटों पर डेंजर साइन छपकर आने लगा है परंतु इसकी बिक्री पर कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है। सार्वजनिक स्थानों पर धड़ल्ले से धूम्रपान होता है, वहीं इन चीजों के विक्रेता भी कानून की धज्जियां उड़ाते हुए 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को धूम्रपान की चीजें खुलेआम बेची जा रही हैं। 

शौक-शौक में पड़ जाती है लत
शुरूआत में एकाध सिगरेट के कश लगाने वाला धीरे-धीरे इसका आदी हो जाता है और बाद में इससे छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है। स्कूल व कालेज में पढऩे वाले विद्यार्थी छिप-छिपकर कभी कभार सिगरेट पीते हंै और यह शौक का नशा उनकी लत बन जाता है। धूम्रपान करने वालों में बड़ी संख्या युवा व किशोर वर्ग की है। धूम्रपान शौक से शुरू होकर लत तक पहुंचता है। पनवाड़ी की दुकान पर वही लोग धूम्रपान करने आते हंै जो लंबे समय से इसके आदी हैं। किशोर  वर्ग गली-मोहल्ले में खुली परचून की दुकानों पर चोरी-छिपे सिगरेट का स्वाद चखता है और बाद में इसकी गिरफ्त में आ जाता है। लालचवश कुछ दुकानदार बच्चों को बेझिझक न केवल सिगरेट बीड़ी बेचते हैं बल्कि बैठने के लिए जगह भी मुहैया करवाते हंै। 


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Isha

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