थेहड़ : रिपोर्ट पर सहमत नहीं हुई अदालत, प्रशासन को दिया 4 हफ्तों का समय

punjabkesari.in Saturday, Jan 18, 2020 - 01:10 PM (IST)

सिरसा(भारद्वाज): थेहड़ पर बसी आबादी के लिए अभी संकट के बादल टले नहीं हैं। बेशक कोर्ट ने अपना अगला फैसला सुनाने से पहले प्रशासन को 4 हफ्तों का और समय देते हुए पुन: ‘जवाब’ रिपोर्ट मांगी है लेकिन इसके बाद कोर्ट का अगला क्या फैसला होगा? इसे लेकर सभी चिंतित जरूर हैं। चूंकि आज हाईकोर्ट में थेहड़ को लेकर सुनवाई थी और इस सुनवाई के तहत अदालत ने सरकार को यह कहते हुए 4 हफ्ते का और समय दे दिया कि जो रिपोर्ट दाखिल की गई है उससे अदालत संतुष्ट नहीं हैं, ऐसे में पुन: इसकी रिपोर्ट तैयार कर अदालत में दाखिल की जाए। लिहाजा, जिला प्रशासन अब नए सिरे से रिपोर्ट तैयार कर निर्धारित 4 हफ्तों की अवधि तक कोर्ट में दाखिल करेगा। डी.सी. का कहना है कि थेहड़वासियों का पुनर्वास करने की योजना बन रही है और जल्द ही इसका वेआऊट निकाल लिया जाएगा।

इसलिए सांसत में जान
थेहड़ पर बहुत बड़ी आबादी वास करती है। कोर्ट में चल रहे इस मामले को लेकर अब तक कोई भी स्थिति साफ न होने के कारण हर पल उन्हें अपने मकान के टूटने का भय सताता रहता है। इस आबादी में जहां कुछ लोगों ने अपने मकान में चल रहा निर्माण कार्य बीच में रुकवा दिया तो अधिकांश मुरम्मत तक नहीं करवा पा रहे हैं क्योंकि इन लोगों को भय है कि कहीं पैसा भी लग जाए और प्रशासन मकान भी खाली करवा दे।  लेकिन ऐसा कोई वक्त नहीं गुजरता जब ये लोग कानूनी फैसले की घड़ी पास आने पर मकानों को लेकर भयभीत न होते हों। 

फ्लैट्स में आ रही दिक्कत
बेशक प्रशासन की ओर से थेहड़ से हटाए गए करीब 788 परिवारों को हुडा सैक्टर में हाऊसिंग बोर्ड के फ्लैट्स में शिफ्ट करवा दिया लेकिन इन फ्लैट्स में भी न केवल रहने वाले लोगों को दिक्कत आ रही है अपितु किसी मामले को लेकर हाऊसिंग बोर्ड द्वारा यहां से हटाए गए स्टाफ के कारण बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी परेशानी खड़ी हो रही है। बताया गया है कि हाऊसिंग बोर्ड को इंकम नहीं हो रही थी और मैंटीनैंस खर्चा बढ़ रहा है और इसी कारण स्टाफ हटाया गया।
 

अशोक गर्ग, डी.सी. सिरसा  ने कहा कि ‘थेहड़ पर रहने वाले लोगों के लिए पुनर्वास की एक योजना बन रही है और जल्द ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। प्रशासन गंभीरता से इस दिशा में काम कर रहा है।’

ये है मामला
सिरसा स्थित प्राचीन दुर्ग जो थेहड़ के रूप में विकसित हो चुका है। इस थेहड़ पर अच्छी खासी आबादी वास करती है। मगर पुरातत्व विभाग ने प्राचीन इतिहास की खोज के लिए इसे धरोहर मानते हुए कोर्ट में शरण ली थी ताकि इस थेहड़ को कब्जा मुक्त करवाकर पुरातत्व विभाग के अधीन किया जाए। इस खोज के लिए विभाग ने यहां करीब 85 एकड़ क्षेत्र को कब्जे के दायरे में मानते हुए पूरा इलाका खाली करवाने की अर्जी दाखिल की थी। हाईकोर्ट के आदेश पर वर्ष 2017 में थेहड़ को खाली करवाने की मुहिम शुरू कर दी गई जिसके तहत 788 परिवारों को यहां से हटाकर उन्हें हाऊसिंग बोर्ड के फ्लैट्स में शिफ्ट कर दिया गया।

 लेकिन अब भी एक बहुत बड़ी आबादी इस थेहड़ पर है और समूल थेहड़ को खाली करवाना प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर भी है। इसी मामले को लेकर पिछले साल दिसम्बर माह में हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था कि थेहड़ को कब्जा मुक्त करवाने व बसी आबादी के शिङ्क्षफ्टग को लेकर क्या योजना है? सरकार की ओर से चीफ सैक्रेटरी ने जवाब दाखिल कर दिया था। लेकिन उस वक्त कोर्ट ने सुनवाई के लिए 17 जनवरी की तिथि मुकर्रर कर दी थी। लिहाजा, आज कोर्ट ने मामले के तहत चीफ सैक्रेटरी के उस जवाब पर असहमति जताते हुए कहा कि इस जवाब से साफ नहीं हो रहा है कि थेहड़ पर रहने वाले परिवारों के लिए क्या और किस रूप में व्यवस्था की जाएगी? इस पर अदालत ने कहा कि 4 हफ्तों के दौरान यह सब सुनिश्चित करते हुए इसकी रिपोर्ट इस अवधि में जमा करवाएं।
    


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Edited By

vinod kumar

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