गणेशमय माहौल हाे गया है अंबाला का

9/13/2015 8:00:07 PM

अंबाला,(कमल मिड्ढा) : गणेश उत्सव को लेकर इन दिनों अंबाला में श्रद्धा व उत्साह का माहौल है। अंबाला-यमुनानगर रोड पर एक परिवार पिछले 25 वर्षों से गणेश की मूर्ति बनाकर अंबाला के लोगों में गणपति के प्रति श्रद्धा पैदा कर रहा है। परिवार के लोग प्रतिवर्ष गणेश उत्सव पर हज़ारों के लगभग मूर्तियां बेचते हैं। परिवार में बच्चों से लेकर बूढ़े तक मूर्ति बनाने का काम करते हैं। यहाँ तक अपने पुश्तैनी काम के लिए इस परिवार का कोई भी बच्चा स्कूल में पढ़ने नहीं जा पा रहा है। 

अंबाला में ही नहीं, पूरे देश में गणेश उत्सव को लेकर जगह-जगह पर अनेक आयोजन होते हैं। यहां एक परिवार लगातार मूर्तियां बनाकर बेच रहा है। हालांकि लोगों के लिए खासकर गणेश उत्सव पर गणेश की मूर्ति का विशेष महत्व है, लेकिन इस परिवार के लिए अपनी राेजी-रोटी का साधन है। लोग यहां पर विसर्जन करने के के लिए गणेश की मूर्ति खरीदते हैं। यहाँ पर महिला बुजुर्ग भी मूर्ति बनाकर रंग भरने का काम करती हैं। उन्होंने बताया कि वे लगभग 25 बरस से अंबाला में मूर्तियां बेचते हैं और अपना गुजारा कर रही हैं। उन्होंने बताया कि इस काम में उसका पूरा परिवार लगा हुआ है। मूर्ति खरीदने आये एक दम्पति ने बताया कि वे गणेश जी की मूर्ति को घर में स्थापित करेंंगे। बाद में जनसुई हेड नदी में विसर्जन कर देंगे। उन्होंने बताया कि वे दूसरी बार गणेश जी की मूर्ति विसर्जित करेंंगे। 

ये परिवार शुरू से ही मूर्ति बनाने का काम करते हैंं।इस परिवार के बच्चे भी मूर्तियों में सुंदर-सुंदर रंग भरते हैंं। परिवार के सदस्यों ने बताया कि वह मूर्तियां बनाकर ही अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि शुरू में तो सेना के जवान उनसे यह मूर्तियां खरीदते थे, लेकिन अब अंबाला व आसपास के लोग उनसे यह मूर्तियां खरीदते हैं। प्लास्टर आॅफ पेरिस व नारियल के छिलके से मूर्तियों को बनाया जाता है। एक फुट से लेकर 15 फुट तक की विशाल गणेश जी की प्रतिमाएं बेची जाती हैंं। ये लोग जयपुर से आकर अंबाला में रहा रहे हैं। इन्होंने सबसे पहले वहीं से मूर्ति बनानी सीखी थी, 20-25 साल पहले इनके बुजुर्ग अंबाला में आकर बस गए। पहले ये कुछ ही मूर्तियां बनाते थे। बाद में इन्होंने इसे ही अपनी रोजी-रोटी का साधन बना लिया।