अंबाला जेल में हुई थी नाथूराम को फांसी, परिजनों को नहीं सौंपा गया था शव

10/1/2015 4:20:54 PM

अंबाला: 19 मई 1910 को जन्मे नाथूराम विनायक गोडसे वैसे तो एक पत्रकार और  हिन्दू राष्ट्रवादी था लेकिन महात्मा गांधी की हत्या के बाद वह अधिक चर्चा में आए। भारत की आजादी के बाद पहली फांसी महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को दी गई थी। गोडसे को 15 नवंबर 1949 में अंबाला की जेल में फंसी की सजा दी गई।

फांसी के बाद गोडसे का शव उनके रिश्तेदारों को नहीं दिया गया था। जेल के अधिकारियों ने घग्घर नदी के किनारे पर उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। जेल में नाथूराम और आप्टे को बी कैटेगरी में रखा गया था। फांसी दिए जाने से एक दिन पहले परिजन उससे मिलने अंबाला जेल गए थे। उनके रिश्तेदारों के अनुसार गोडसे की पत्नी और उसकी ढाई साल की बेटी अंबाला जेल में मुलाकात के लिए गए थे। गोडसे को फांसी के बाद सरकार ने ही उसका अंतिम संस्कार किया था।

सूत्रों के मुताबिक गोडसे के शव को जिस वाहन में रखकर घग्घर नदी ले जाया गया। उस वाहन के पीछे-पीछे चुपके से हिंदू महासभा के अत्री नाम का एक कार्यकर्त्ता भी गए। जब गोडसे की चिता शांत हुई तो अत्री ने एक डिब्बे में उनकी अस्थियों को रख लिया। बताते हैं कि गोडसे की अस्थियां आज भी उनके परिजनों के पास सुरक्षित रखी हैं।