निकाय चुनाव: नोटा बिगाड़ेगा कइयों का खेल!

12/14/2018 10:28:03 AM

अम्बाला (रवीन्द्र पांडेय): राज्य में सत्ता का सैमीफाइनल माने जाने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में नोटा (नन ऑफ द् एबव) का विकल्प कई उम्मीदवारों का गणित गड़बड़ा सकता है। हरियाणा में पहली बार निकाय चुनाव में नोटा का इस्तेमाल होना है। अभी हुए पांच राज्यों के चुनाव में खासकर राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में जिस तरीके से करीब 10 लाख मतदाताओंं ने नोटा का इस्तेमाल किया है,उससे लग रहा है कि निकाय चुनाव में पहली बार इस्तेमाल हो रहा यह विकल्प असरदायक रह सकता है। मेयर पदों के लिए 76 तो म्युनिसिपल एवं नगरपालिकाओं के लिए 757 नामांकन उल्लेखनीय है कि 16 दिसम्बर को हरियाणा में हिसार, रोहतक, यमुनानगर, पानीपत एवं करनाल में मेयर तथा म्युनिसिपल काऊंसिल के अलावा फतेहाबाद के जाखल एवं कैथल के पूंडरी में नगरपालिका के चुनाव हैं।

सत्तासीन भाजपा के अलावा मुख्य विपक्षी दल इनैलो-बसपा गठबंधन सिम्बल पर चुनावी समर में हैं तो कांग्रेस बिना सिम्बल के मैदान में उतरी है। 5 मेयर पदों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग के पास 76 नामांकन आए हैं जबकि 5 म्युनिसिपल एवं 2 नगरपालिकाओं के लिए कुल 757 नामांकन आए हैं। इस चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने 1092 मतदान केंद्र बनाए हैं। 5 राज्यों के चुनाव में भी बड़े पैमाने पर हुआ नोटा का इस्तेमाल रोचक पहलू यह है कि हरियाणा में पहली बार स्थानीय निकाय चुनावों में नोटा बटन का विकल्प भी रहेगा यानि किसी भी उम्मीदवार पर मतदाता की सहमति नहीं हुई तो वह नोटा का इस्तेमाल कर सकता है। चुनाव प्रक्रिया से पहले इसी साल 22 नवम्बर को राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त ने नोटा का विकल्प इलैक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में होने का ऐलान किया था। जिक्र योग्य यह भी है कि अभी इसी माह हुए 5 राज्यों के चुनाव में बड़े पैमाने पर मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया।

सियासी पर्यवेक्षक मानते हैं कि पिछले कुछ चुनावों से मतदाताओं में मतदान को लेकर जागरूकता आई है। नोटा का विकल्प आने के बाद हुए चुनाव में मतदाताओं का इस तरफ रुझान होना भी जागरुकता को इंगित करता है। सियासी पर्यवेक्षक यह भी मानते हैं कि अतीत के चुनावों में नोटा के न होने से मतदाता के पास किसी भी उम्मीदवार पर सहमति न होने पर विकल्प नहीं होता था। अब नोटा के चलते मतदाता को अगर किसी उम्मीदवार पर भरोसा नहीं या उम्मीदवार उसकी पसंद का नहीं है तो वे उसको वोट देने की बजाय नोटा का इस्तेमाल कर सकता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि नोटा का असर अभी इसी 16 दिसम्बर को होने वाले नगर निगम व नगरपालिकाओं के चुनाव में असर दिख सकता है।

2014 लोकसभा चुनाव में भी बड़े पैमाने पर हुआ था नोटा का प्रयोग उल्लेखनीय है कि मई 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बड़े पैमाने पर नोटा का प्रयोग हुआ था। देश में लोकसभा चुनाव में 59 लाख 97 हजार 54 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था। हरियाणा में करीब 0.3 प्रतिशत यानि 34 हजार 225 ने नोटा का इस्तेमाल किया था। जाहिर है कि अब निकाय चुनाव में नोटा का विकल्प आने के बाद यह असरकारक हो सकता है। इससे कइयों के समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि निकाय चुनावों में हार-जीत का अंतर सैंकड़ों से लेकर हजारों मतों तक ही रहता है। ऐसे में अगर नोटा पर इतने ही हाथ चल गए तो कइयों का सियासी गणित बिगड़ सकता है।

Deepak Paul