देश के लिए जीतना चाहते थे मेडल...आज चाय बेचने को मजबूर (Watch Pics)

8/30/2016 12:52:11 PM

अंबाला:  कुछ ऐसे खिलाड़ी जिनके हाथों में कभी हॉकी स्टिक हुआ करती थी। आज उन्ही हाथों में चाय की केतली है, कोई खिलाड़ी अॉटो तो कोई स्टेशन में कुली का कार्य कर रहा है। इन खिलाड़ियों का सपना था कि ये ध्यानचंद और धनराज पिल्लई जैसा खिलाड़ी बनकर देश के लिए मेडल जीतकर लाएं, परंतु ऐसा न हुआ। आइए जानें ये खिलाड़ी ऐसा कार्य करने को क्यों मजबूर हैं- 

 

सिद्धांत शर्मा चलाते हैं चाय की दुकान

अंबाला के निवासी सिद्धांत शर्मा नेशनल लेवल पर अंडर-19 खेल चुके हैं, लेकिन आज चाय की दुकान चलाते हैं। इस खिलाड़ी को सरकार से कोई मदद न मिलने के कारण अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए चाय की दुकान चला रहे हैं। 

 

सिद्धांत का सपना था कि वह देश के लिए खेलें, भले ही उनका सपना टूट गया हो परंतु वे सुबह-शाम अभ्यास करते हैं अौर दूसरे बच्चों को भी हॉकी सिखाते हैं। सिद्धांत के अनुसार उन्हें खेलों के लिए किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलती। हॉकी खिलाड़ियों के लिए अंबाला कैंट के खालसा स्कूल का मैदान जहां वे प्रैक्टिस  करते हैं वहां के हालात भी खराब हैं। प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ियों का कहना है कि यह मैदान कभी भी अच्छी हालत में नहीं मिला अैर न ही यहां नियमित कोच होता है।

 

नेशनल लेवल पर हॉकी खेल चुका ये खिलाड़ी करता है कुली का काम

अंबाला के तारा सिंह ने भी नेशनल लेवल पर हॉकी खेल कर बहुत सारे मेडल हासिल किए परंतु सरकारी सिस्टम में फंसने के कारण उनका पूरा करियर खत्म हो गया। सरकार की अोर से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली। परिवार का पेट भरने के लिए तारा सिंह ने हॉकी को छोड़ अंबाला के कैंट रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करना शुरु कर दिया। इतनी मुश्किल आने के पश्चात भी हॉकी के लिए उनका मोह खत्म नहीं हुआ। तारा सिंह अपने बच्चों को हर शाम स्टेडियम हॉकी खेलने लेकर जाते हैं अौर उन्हें हॉकी सीखने को कहते हैं। जब उनके बच्चे उनसे पूछते हैं कि हॉकी खेलकर क्या होगा उनकी तरह मजदूरी का काम करना है तो उनकी आंखों से आंसू निकलने लगते हैं।

 

खिलाड़ी होने की बात सुन हंसते हैं लोग

तारा सिंह 1999 की नेशनल हॉकी प्रतियोगिता में हरियाणा के लिए खेले थे अौर अपना शानदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने अपनी टीम को कई मैच जितवाए थे अौर आज ये खिलाड़ी स्टेशन पर कुली का काम कर रहा है। तारा सिंह ने कहा कि जब वह किसी को बताते हैं कि वे हॉकी खिलाड़ी हैं तो लोग हंसते हैं। उन्हें विश्वास नहीं होता।

 

हरियाणा की टीम से खेलने वाला ये खिलाड़ी चलाता है अॉटो

तारा सिंह की भांति ही उनके बड़े भाई बिजेन्दर सिंह आज अॉटो चलाते हैं। ये भी जूनियर लेवल पर हरियाणा की टीम से खेलने के बाद राष्ट्रीय कैम्प तक पहुंचे थे। इनकेे एक अौर भाई भी हॉकी खेलते थे लेकिन वे डिस्ट्रिक्ट लेवल तक ही रहे। इन तीनों भाईयों के बेटे हॉकी खेलते हैं। तारा सिंह का 4 वर्ष का बेटा  मंगल भी हॉकी खेलता है।