खुले आसमान के नीचे गुजरी मजदूर परिवार की रात

10/21/2016 11:03:17 AM

कलायत (कुलदीप): उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना करते प्रशासनिक कार्रवाई से ढहाए गए आशियाने के कारण मजदूर परिवार ने पूरी रात मलबे के आस-पास बैठकर खुले आसमान के नीचे गुजारी। जयभगवान, पत्नी दर्शना और पुत्र विक्रम की इन हालातों में रहना मजबूरी है। ईंट भट्ठे पर काम करने वाले इस परिवार के पास सिर छिपाने के लिए और कोई छत नहीं है। परिवार के लोग अपनी तबाही के मंजर को देखकर रात भर फूट-फूटकर रोते रहे। न चूल्हा जला और न नींद आई।

 

बेबस परिवार अंधेरे और हल्की ठिठुरन के बीच इधर-उधर करवटें बदलता रहा। दर्शना बार-बार डर-डरकर आवाजें लगाती रही वह यही दोहरा रही थी कि कृपया करवाचौथ के  त्यौहार पर उन्हें बेघर न करो। कार्रवाई करने पहुंचे प्रशासन का कहना था कि पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार यह सब करना उनका फर्ज है। उधर, पीड़ित परिवार चीख-चीखकर कह रहा है कि उन्होंने जमीन पर कब्जा नहीं किया। इस भूखंड को उन्होंने एक अन्य व्यक्ति से 2, 48,200 रुपए में खरीदा था। इसके  इकरारनामे के कागजात परिवार दिखा रहा है। 

 

इनका कहना है कि 21 नवम्बर 2008 को इन्होंने जमीन को खरीदा था। दम्पति निरक्षर है इसलिए गवाहों के हस्ताक्षर सहित बयान हल्फिया इनके पास है। मेहनत की पाई-पाई से उन्होंने जमीन खरीदी और इधर-उधर से उधारी लेकर सिर छिपाने के लिए घर बनाया। राजस्व विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी बताए कि इसमें उनका क्या कसूर है? 

 

दलालों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें 
मुनाफाखोरी के लिए न्यायालय और जिला प्रशासन को गच्चा देने वालों की मुश्किलें प्रशासनिक कार्रवाई के साथ-साथ बढ़नी शुरू हो गई हैं। जिस मजदूर परिवार का बुधवार को आशियाना ढहाया गया वह जमीन बेचने व दलाली करने वालों के खिलाफ एक-एक सबूत लिए बैठा है। उनका कहना है कि वे चुपके-चुपके दर्द नहीं सहेंगे बल्कि अन्याय करने वालों के विरुद्ध राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, मानव आयोग और न्याय के हर दरवाजे को खटखटाएंगे।