पूर्व सैनिकों के मेडल लेने से प्रशासन का इंकार

11/10/2015 8:03:22 PM

 अंबाला, (कमल मिड्ढा) :  देश की रक्षा और बहादुरी के लिए सैनिकों को दिए जाने वाले मेडल बने मजाक। बहादुरी के प्रतीक माने जाने वाले मेडल कागजों में ही उलझ कर रह गए। मेडल लौटाने जिला मुख्यालय पहुंचे वन रैंक वन पेंशन की अधिसूचना से नाराज पूर्व सैनिक। पूर्व सैनिक जहाँ मेडल लौटने का दम भर रहे हैं वहीं प्रशासन ने सिर्फ कागजों में ही लिए पूर्व सैनिकों के मेडल।  

पूर्व सैनिक मेडल लौटने की बात कर रहे हैं तो स्थानीय प्रशासन लेने के लिए तैयार नहीं है। अंबाला में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। यहां मेडल लौटने के लिए पूर्व सैनिक पूरे जोर शोर के साथ उपायुक्त कार्यालय पहुंचे और जमकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। ये सरकार निकम्मी है,ये सरकार झूठी है,हमारी मांगें पूरी करो, साढ़ा हक़ एेथे रख़.... जैसे नारे लगा रहे। ये कोई और नही,बल्कि देश के लिए अपनी जान तक न्यौछावर करने वाले पूर्व सैनिक हैं। दरअसल, वन रैंक वन पेंशन की अधिसूचना जारी होने के बावजूद सड़कों पर दीपावली के दिन झंडे उठाकार उतरे पूर्व सैनिक इसे मोदी सरकार का छलावा बता रहे हैं। पूर्व सैनिक एसोसिएशन का आरोप है कि सरकार ने सही तरह ओ आर ओ पी लागू नहीं की। यही वजह है कि उनके अधिकांश साथियों का कोई लाभ नही मिल पाएगा। अंबाला में मेडल लौटाने पहुंचे पूर्व सैनिकों से प्रशासन ने कागजों में तो मेडल ले लिए, लेकिन असली तौर पर मेडल लेने से इनकार कर दिया।
OROP के नोटिफिकेशन के विरोध में अंबाला की सड़कों पर उतरे पूर्व सैनिकों ने मोदी सरकार के ख़िलाफ़ नारे लगाते हुए जमकर रोष प्रकट किया। पूर्व सैनिको ने अपने मेडल इकठे कर जिला प्रशासन को सौंपने को भरपूर कोशिश की, लेकिन प्रशासन ने मेडल नहीं लिए। इसके बावजूद पूर्व सैनिक मेडल लौटाने का दम भरते रहे। सैनिकों ने कहा कि जब तक सरकार OROP को पूरी तरह लागू नहीं करेगी तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
OROP को लेकर सरकार और पूर्व सैनिकों के बीच गर्मा रहे विवाद में शुरू हुई यह मेडल वार कहां जाकर रुकेगी इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है, लेकिन मेडलों का इस तरह से बहादुरी के प्रतीक मेडलों का तिरस्कार कितना सही है यह अभी भी एक बड़ा सवाल बनकर खड़ा है।