अम्बाला में शैलजा-कटारिया में खिताबी भिड़ंत लगभग तय

3/23/2019 10:45:39 AM

नारायणगढ़ (सुशील): अम्बाला लोकसभा क्षेत्र के लोग 17वीं लोकसभा के लिए आगामी 12 मई को अपना सांसद चुनेंगे। इस समय रत्न लाल कटारिया अम्बाला से सांसद हैं और ऐसा माना जा रहा है कि तमाम कयासों व प्रयासों को दरकिनार करते हुए पार्टी उनकी वरिष्ठता व पार्टी के प्रति वफादारी को देखते हुए संभवत: उन्हीं को मैदान में उतारे। उधर, दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से भी पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं मौजूदा राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा का भी अम्बाला से ही चुनावी समर में उतरना तय माना जा रहा है। यदि ऐसा होता है तो इस सुरक्षित सीट से ये दोनों नेता तीसरी बार आमने-सामने होंगे और खिताबी भिडंत भी इन्हीं में होने की प्रबल संभावना है। बस देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या शैलजा कटारिया के खिलाफ जीत की हैट्रिक बना पाएगी या फिर सांसद कटारिया पूर्व केंद्रीय मंत्री शैलजा के हाथों दो बार मिली पटखनी का बदला चुकता कर पाएंगे।

2004 व 2009 में हो चुके हैं आमने-सामने : शैलजा व रत्न लाल कटारिया 2 बार एक-दूसरे के आमने-सामने चुनावी समर में कूद चुके हैं। पहली बार 14वीं लोकसभा चुनावों में 2004 में दोनों का मुकाबला हुआ जिसमें कुमारी शैलजा ने कटारिया को लगभग अढ़ाई लाख मतों से पटखनी देते हुए अम्बाला से पहली बार जीत हासिल की थी। वहीं, 2009 में 15वीं लोकसभा में फिर से दोनों में ही खिताबी भिडं़त हुई, जीत फिर से शैलजा के नसीब में लिखी हुई थी, लेकिन इस बार उनकी जीत का अंतर मात्र 14,000 तक सिमट गया व कटारिया को फिर शिकस्त हासिल हुई।

कटारिया भी 2 बार जीते : इस क्षेत्र से जहां शैलजा 2 बार जीती वहीं, मौजूदा सांसद रत्न लाल कटारिया को भी लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचाने का श्रेय अम्बाला वासियों को जाता है। कटारिया पहली बार इस सीट से कारगिल युद्ध के बाद बनी लहर के चलते 1999 में व दूसरी बार 2014 में मोदी लहर के चलते सांसद बन पाए। कटारिया ने 1999 में कांग्रेस नेता फूलचंद मुलाना को व 2014 में राजकुमार वाल्मीकि को चित्त किया था। 2014 में 16वीं लोकसभा के चुनाव में तो कटारिया ने कुल 6,12,121 मत हासिल कर कांग्रेस के उम्मीदवार राजकुमार वाल्मीकि को 3 लाख 40 हजार 74 वोटों के बड़े अंतर से हराया था लेकिन शैलजा के मुकाबले कटारिया अतीत में जीत दर्ज नहीं कर पाए। 

कटारिया से सीधी बात
चुनावों को लेकर सांसद कटारिया से फिर से टिकट मिलने बारे जब बात की तो उन्होंने कहा मुझे टिकट नहीं मोदी प्रधानमंत्री चाहिए। 5 साल के मौजूदा कार्यकाल की उपलब्धि के जवाब में कटारिया का कहना था कि पार्टी के प्रति वफादारी उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि व पूंजी है, वैसे क्षेत्र में विकास ने भी रिकार्ड तोड़े हैं। उनका कहना था कि इस बार वे शैलजा से अपनी 2 बार की हार का हिसाब चुकता करने के लिए तैयार हैं। वह पार्टी द्वारा उनको पुन: उम्मीदवार बनाने के प्रति आश्वस्त नजर आए। बहरहाल 17वीं लोकसभा चुनाव में जीत का सेहरा किसके सिर पर बंधेगा यह तो जनादेश द्वारा ही तय होगा, लेकिन शैलजा व कटारिया के एक बार फिर आमने-सामने आने से मुकाबला दिलचस्प होंने के आसार हैं।

Deepak Paul