उत्तर रेलवे के GM ने किया कालका-शिमला रेल सेक्शन का निरीक्षण

4/26/2016 8:28:17 PM

अंबाला  (कमलप्रीत सभरवाल) : भारतीय रेलवे इन दिनों विश्वधरोहर पखवाडा मना रहा है। इसके तहत उत्तर रेलवे के महाप्रबन्धक एके पूठिया ने आज कालका-शिमला रेल सेक्शन का निरीक्षण किया। यह निरीक्षण उत्तर रेलवे के प्रमुख मुख्य इंजीनियर एवं मुख्य वाणिज्य इंजीनियर प्रबंधक के साथ किया गया। अम्बाला के मंडल रेल प्रबंधक ने उनकी आगवानी की। उन्होंने विभागाध्यक्षों की उपस्थिति में स्पेशल रॉलिंक स्टॉक अर्थात् टूरिस्ट कोच एवं पर्यटकों के लिए उपलब्ध विशेष ट्रेनों का निरीक्षण किया। पूठिया ने कालका-शिमला विश्वधरोहर रेल सेक्शन उत्तर रेलवे की ऑफीशियल वेबसाइट www.nr.indianrailways.gov.in से संबंधित डेडीकेटिड पेज का शुभारम्भ भी किया। 

गौरतलब है कि यह रेल सेक्शन विश्वधरोहर साइट यूनेस्को की सूची में शामिल है। यह  अम्बाला मंडल, उत्तर रेलवे के अधिकार क्षेत्र में आती है। कालका शिमला रेल को विश्वधरोहर का दर्जा यूनेस्को द्वारा 7 जुलाई, 2008 को दिया गया था। शिमला (तब स्पेल्ट शिमला) को प्रथम एंग्लो-गोरखा युद्ध के शीघ्र बाद ही ब्रिटिश द्वारा सैटल किया गया था। वर्ष 1830 वर्ष ब्रिटिश शासन में ही शिमला का विकास हो चुका था। इसे 1864 में ब्रिटिश इंडिया की ग्रीष्म राजधानी बनाया गया और भारत में ब्रिटिश आर्मी का मुख्यालय भी बनाया गया। 

ब्रिटिश शासन के दौरान शिमला को भारतीय रेल लाइन से जोडने के लिए कालका-शिमला रेल लाइन का निर्माण किया गया। भारत की सबसे नैरोगेज रेल लाइन के रूप में कलका-शिमला रेल लाइन को“रेल फेक्टस एवं फीटस” की गिनीज बुक में दर्ज किया गया। 103 सुरंगों (102 वर्तमान में) का निर्माण 5 मील की दूरी में 800 पुल का 3 वर्षों के दौरान निर्माण कर इस रेल को बिछाना वास्तव में एक सपना था। कलका-शिमला के बीच दुर्गम क्षेत्रों में यह कार्य करना आसान नहीं था।

लगभग 111 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक कालका-शिमला रेल लाइन को यात्री यातायात के लिए 9 नवम्बर, 1903 में खोला गया था। इस रेल लाइन की एक रोचक विशेषता यह है कि प्रारम्भ में इसका निर्माण गर्डर पुल के बगैर किया गया।