IFFCO घोटाले में सजा का मामला: महंगी पड़ी बचाव पक्ष की गवाही

8/27/2016 1:17:32 PM

नई दिल्ली (मनीषा): इफको घोटाले मामले में फंसे हरियाणा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सतबीर कादियान को कोर्ट में अपना खुद का बचाव करना महंगा पड़ गया। कादियान ने अपने बचाव करने के लिए कई गवाह पेश किए, इन गवाहों में इफको का एक अधिकारी ए.के. सोनी भी थे, परंतु सोनी की गवाही कादियान के पक्ष में जाने के बजाय खिलाफ चली गई। 

 

विशेष जज जितेंद्र कुमार मिश्रा ने इस मामले में कादियान को दोषी करार देते हुए कहा कि सोनी ने अपनी गवाही में इफको के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर  की उस बैठक के वह मिनट पेश किए थे,जिनमें इफको के अतिरिक्त पैसे को निवेश करने की बात कही गई थी। अदालत ने कहा कि इस मामले में कादियान ने अपने बचाव में गलत बयान दिया है। उसने ए.के. सोनी को बचाव पक्ष के गवाह के तौर पर पेश करके इस मामले में पूरे षड्यंत्र के परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की उस कड़ी को जोड़ दिया,जिसे अभियोजन पक्ष जोड़ नहीं पा रहा था। 

 

अदालत ने कहा कि पूरा षड्यंत्र कादियान ने ही रचा था। इसके तहत कम ब्याज दर पर पैसा निवेश करवाया और इफको को 15 लाख का नुकसान हुआ। अदालत ने आरोपी विनायक नारायण को भी इस पूरे षड्यंत्र में भागीदार पाया। वहीं, आरोपी अनिल कुमार मल्होत्रा के बारे में कहा कि भले ही उसने कोई पेपर साइन न किया हो, परंतु वह इस पूरे लेन-देन को करवाने में शामिल रहा है। उसी ने आरोपी हर्षद मेहता को प्रपोजल दिया था कि वह इफको का अतिरिक्त पैसा ले ले, जिसके तहत हर्षद मेहता को 4 करोड़ रुपए दिए।

 

अदालत ने अपने 178 पेज के फैसले में आरोपी सुनील गोरावरा व करुणापति पांडेय की भूमिका के बारे में बताते हुए कहा कि मामले के एक गवाह के बयान से साफ जाहिर है कि सुनील को पूरे मामले का पता था। पूरा षड्यंत्र ऐसे रचा कि इफको द्वारा यूको बैंक में निवेश करने के लिए जारी किया 4 करोड़ रुपए आरोपी हर्षद मेहता के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया। 

 

बाद में यह पैसा यूको बैंक की मुबई ब्रांच में टेलिग्राफिक तौर पर ट्रांसफर कर दिया गया, जिससे कि हर्षद मेहता व विनायक इस पैसे का प्रयोग कर सकें। हालांकि बाद में यह पैसा हर्षद मेहता के खाते से इफको को ब्याज सहित दे दिया। अदालत ने कहा कि आरोपी सुनील व करूणापति ने अपनी ड्यूटी नहीं निभाई और षड्यंत्र को अंजाम देने के लिए सलाह दी। हालांकि आरोपी करूणापति ने सब कुछ सुनील के कहने पर किया था। इसलिए उसके प्रति कोर्ट ने सजा में नरमी बरती है।

 

दोषियों का विवरण
-सतबीर कादियान-इफको के पूर्व चेयरमैन व हरियाणा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष,पानीपत,हरियाणा निवासी।  7 साल कैद व 50 लाख रुपए जुर्माना। जुर्माना न देने पर 21 माह की अतिरिक्त कैद

-हर्षद मेहता-मौत हो चुकी है।

-विनायक नारायण देओस्थली-यूको बैंक की मुंबई ब्रांच के पूर्व असिस्टेंट मैनेजर,मुबई निवासी। 7 साल कैद व 5 लाख रुपए जुर्माना। जुर्माना न देने पर 21 माह की अतिरिक्त कैद


-अनिल कुमार मल्होत्रा-प्राइवेट व्यक्ति,लेन-देन करवाने में शामिल,ग्रेटर कैलाश-एक,दिल्ली निवासी। 7 साल कैद व 25 लाख रुपए जुर्माना। जुर्माना न देने पर 21 माह की अतिरिक्त कैद


-सुनील गोरावरा-यूको बैंक के पूर्व सीनियर मैनेजर (डिपॉजिट),वसंतकुंज, दिल्ली निवासी। 7 साल कैद व 10 लाख जुर्माना। जुर्माना न देने पर 21 माह की और कैद
-करूणापति पांडेय-यूको बैंक के पूर्व सीनियर मैनेजर(नकदी),जिला गोंडा,यू.पी. निवासी। 2 साल कैद व पचास हजार रुपए जुर्माना। जुर्माना न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद।


इस तरह चला घटनाक्रम
जून 1996-सी.बी.आई. ने दिल्ली की अदालत में आरोप पत्र दायर किया। 
10 जनवरी 2002-आरोपी हर्षद मेहता के खिलाफ केस बंद किया।
21 अप्रैल 2005-सतबीर कादियान सहित 5 आरोपियों पर आरोप तय किए।
13 नवबर 2015-अभियोजन पक्ष की गवाही समाप्त हुई। कुल 20 गवाह पेश किए।
2 जुलाई 2016-अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
20 अगस्त 2016-सतबीर कादियान सहित 5 को दोषी करार दिया।
23 अगस्त 2016-सजा पर बहस हुई। अभियोजन पक्ष ने अधिक्तम सजा की मांग की, वहीं बचाव पक्ष ने नरमी बरतने की मांग की।26 अगस्त 2016-अदालत ने सतबीर कादियान व तीन अन्य को 7-7 साल कैद की सजा दी। एक आरोपी करूणापति पांडेय को 2 साल कैद की सजा दी गई।