‘सरकारी स्कूलां म्हं पढ़ाई सुधर जा तो प्राइवेट म्हं जाण की जरूरत ए कोनी पड़ै’

4/20/2019 10:03:33 AM

भिवानी(पंकेस): सरकारी स्कूलां म्हं पढ़ाई सुधर जा, तो प्राइवेट म्हं जाण की जरूरत ए कोनी पड़ै। सरकार की नीत होवै तो सरकारी स्कूलां म्हं ए पढ़ाई बढिय़ा करवा देवै, हमनै म्हारे बालकां खात्तर धक्के खाण की जरूरत ए न पड़ैगी। ये बातें बच्चों के अभिभावकों ने अपने बच्चों के नियम 134ए के तहत हुई परीक्षा के रिजल्ट देखते हुए कही। गुरुवार शाम को रिजल्ट तो ऑनलाइन कर दिया गया और शुक्रवार को इसकी लिस्ट भी चस्पा दी गई।

सुबह से ही अभिभावक अपने बच्चों का रिजल्ट देखने के लिए आते रहे। जिनका बच्चा पास नहीं हुआ, उनको निराश होना पड़ा और जिनका बच्चा पास हो गया, वे इस इंतजार में हैं कि उनके बच्चे की एडमिशन किस प्राइवेट स्कूल में होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी तक सभी प्राइवेट स्कूलों ने खाली सीटों के आंकड़े नहीं बताए हैं और अभिभावकों को अभी यही कहकर टरकाया जा रहा है कि उनके फोन पर इस बारे में मैसेज डाल दिया जाएगा।

55 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले बच्चों को क्वालीफाई माना जा रहा है लेकिन खाली सीटें फाइनल होने के बाद मैरिट के आधार पर ही बच्चों की एडमिशन उनके द्वारा चयनित प्राइवेट स्कूलों में हो पाएगी। अभिभावकों में राजेश, अमन, सीमा आदि ने कहा कि सरकारी स्कूलों में अच्छे अध्यापक होने के बावजूद पढ़ाई नहीं होती, इसलिए वे अपने बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में करवाना चाहते हैं। नियम 134ए के तहत उनको यह मौका मिला है।

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टैस्ट क्वालीफाई करने के लिए सरकार द्वारा 55 प्रतिशत की शर्त रखी गई है। जो बच्चे इस सीमा से अधिक नंबर लाएंगे वे क्वालीफाई माने जाएंगे। यानी कि जिन बच्चों ने सरकारी स्कूलों में पढ़ते हुए पास प्रतिशत सीमा को पार किया वे सरकारी स्कूल को छोड़कर निजी स्कूल में फ्री में पढ़ें। यह उन सरकारी स्कूलों के अध्यापकों के साथ नाइंसाफी है जो बच्चों को ईमानदारी से पढ़ा रहे हैं और उनका अच्छा रिजल्ट सामने ला रहे हैं।

निजी स्कूल में पढऩा गलत नहीं है लेकिन सरकारी स्कूल में ही अगर क्वालिटी एजुकेशन मिलनी शुरू हो जाए तो निजी स्कूल की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। सरकार को प्रयास करना चाहिए कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठे और बेहतर परिणाम आएं ताकि बच्चे सरकारी स्कूल से प्राइवेट में जाने की बजाय प्राइवेट से सरकारी में आने के बारे में सोचें। 

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