एन.सी.आई.एस.एम. एक्ट 2017 के चलते, निजी अस्पतालों पर लटके रहे ताले

11/7/2017 11:45:53 AM

बवानीखेड़ा(पंकेस):सोमवार को बवानीखेड़ा के निजी चिकित्सकों के अस्पतालों पर शटर नीचे दिखे व उन पर ताले लटके हुए दिखाई दिए। गौरतलब है कि बवानी खेड़ा में नाममात्र के ही बी.ए.एम.एस. चिकित्सक हैं, जिन्होंने अपने अस्पताल खोले हुए हैं। जिनसे कस्बा व आसपास के मरीज आकर अपना इलाज करवाते हैं व संतुष्टि पाते हैं। नैशनल इंटिग्रेटिड मैडीकल एसोसिएशन के जिला प्रधान आर.बी.गोयल व बवानीखेड़ा के अरोड़ा अस्पताल के चिकित्सक जगदीश अरोड़ा ने बताया कि जब बी.ए.एम.एस. का कोर्स किया था तब एलोपैथी व आयुर्वैदिक दोनों की शिक्षा उन्होंने ग्रहण की थी। 1912 में उन्हें ये अधिकार मिला था और 105 वर्षों से वे इस अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। 
 

उन्होंने बताया कि बी.ए.एम.एस. चिकित्सक 80 प्रतिशत से अधिक लोगों को सेवाएं दे रहे हैं, वे लोग जो गांव, पहाड़ों, आदिवासी क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं, जहां एम.बी.बी.एस. चिकित्सक नहीं पहुंच सकता वहां पहुंचकर वे उनका इलाज कर रहे हैं। यदि एलोपैथी उनसे छीन ली गई तो देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ जाएगी और गरीब आदमी मरने के लिए मजबूर होगा क्योंकि एलोपैथी की फीस बड़े चिकित्सकों की हालिया लगभग 300 रुपए है फिर ये अपनी मोनोपोली अपनाते हुए इसे एक हजार वसूल करेंगे, जिससे सारी कसर गरीब आदमी पर पड़ेगी। 

उन्होंने बताया कि एन.सी.आई.एस.एम. एक्ट 2017 जो नवम्बर माह में पेश किया जाना है, इसे रोकने के लिए एक माह पहले 6 अक्तूबर 1000 शाखाओं ने डी.सी. को प्रधानमंत्री के नाम मांगपत्र बारे ज्ञापन सौंपे थे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह लागू हो जाता है तो बहुत ही नुक्सान होगा और इस नुक्सान को रोकने के लिए सोमवार को हजारों की संख्या में चिकित्सक दिल्ली स्थित शांति देसाई स्टेडियम में एकत्रित होकर राजघाट पहुंचे पावर हाऊस में मीटिंग करके सरकार के अधिकारियों को ज्ञापन दिए। उन्होंने बताया कि वे सरकार के खिलाफ नहीं लेकिन हमारी मांगें मानी जाए यदि उनकी मांगें नहीं मानी जाती है तो उनका आंदोलन तेज होगा, चाहे उसके लिए उन्हें भूख हड़ताल करनी पड़े या और सख्त कदम क्यों न उठाना पड़े।