पेयजल सुविधाओं पर 77.43 करोड़ रुपए खर्च : सर्राफ

2/5/2016 5:06:31 PM

भिवानी, (अशोक भारद्वाज) : जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री घनश्याम सर्राफ ने कहा कि राज्य को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत 105.57 करोड़ रुपए (61.57 करोड़ रुपए के पिछले बकाया सहित) की उपलब्ध धनराशि में से 31 जनवरी 2016 तक 77.43 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। यह प्राप्त धनराशि का 73 प्रतिशत के लगभग है। 

वे नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राज्यों के मंत्रियों और सचिवों के साथ ग्रामीण स्वच्छता और पेयजल योजनाओं की राष्ट्रीय स्तर की समीक्षा बैठक के बाद आज भिवानी में पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने भिवानी विश्राम ग्रह में लोगों की समस्याएं भी सुनीं। 

जनस्वास्थ्य मंत्री घनश्याम सर्राफ ने बताया कि मरुस्थल विकास कार्यक्रम के तहत 32.96 करोड़ रुपए की उपलब्ध धनराशि में से 31 जनवरी 2016 तक 31 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। यह प्राप्त धनराशि का 94 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जल घरों के कुशल संचालन एवं रख-रखाव के निर्देश दिए गए हैं। नहर आधारित जल घरों के फिल्टरों की सफाई के लिए तथा पानी की शुद्धता अंतिम छोर पर मापदंडों के अनुसार सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। 

मंत्री ने  कहा कि हरियाणा राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में हाल में किए गए सर्वे अनुसार 508 स्रोत फ्लोराइड प्रभावित तथा 10 स्रोत आरसेनिक प्रभावित पाए गए हैं। उन्होंने बताया कि 50 प्रतिशत से अधिक फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में वैकल्पिक स्रोत प्रदान किए गए हैं। शेष क्षेत्र में वैकल्पिक स्रोत प्रदान करना वर्ष 2016-17 की वार्षिक कार्ययोजना में प्रस्तावित है। जिन बस्तियों में पानी की गुणवत्ता खराब पाई जाती है उन बस्तियों में राज्य द्वारा वैकल्पिक भू-जल स्रोतों तथा सतही जल स्रोतों को प्रदान किया जाता है। जिन बस्तियों में मीठा भू-जल सतही जल उपलब्ध नहीं है केवल उन बस्तियों में सामुदायिक जल शोधन संयंत्र लगाए जा रहे हैं। ऐसी बस्तियों को कवर करने का विवरण 2016-17 की वार्षिक कार्ययोजना में दिया जाएगा। 

सर्राफ ने बताया कि हरियाणा राज्य द्वारा स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत 85 प्रतिशत घरों में शौचालय की सुविधा प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त निर्धारित लक्ष्य के अनुसार 93 प्रतिशत सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का निर्माण भी किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि हरियाणा को दिसंबर 2017 तक खुले में शौच मुक्त करने के लिए कलस्टर विधि अपनाई गई है। इसके तहत एक कलस्टर में पांच-पांच ग्राम पंचायतों, जिनमें लगभग 2000 घर होंगे का समूह बनाया गया है।  राज्य के छह जिलों को वर्ष 2016 तक खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य की 932 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है।