एक टूटे नारियल ने बदल दी निकुंज की पूरी जिंदगी...मिल चुका है नेशनल अवॉर्ड

2/7/2016 11:49:57 AM

फरीदाबाद: 30वें इंटरनेशनल सूरजकुंड मेले का आज सातवां दिन है। देश-विदेश से आए पयर्टक इसका खूब लुत्फ उठा रहे हैं। वहीं मेले प्रदर्शनी लगाने आए लोग भी अपने आर्ट से लोगों को अपनी ओर खींचने में भी कामयाब हो रहे हैं। ऐसे ही एक आर्टिस्ट हैं निकुंज। इनमें टूटे नारियल को नया रूप देकर उसको अलग ढंग से  पेश करने का हुनर है।
 

दरअसल 25 साल पहले एक टूटे नारियल को उठा कर उसे नए रूप में ढालने की सोची और कुछ समय बाद ही उनकी मेहनत रंग लाई और इन्होंने खुद को एक एग्रो आर्टिस्ट के रूप में स्थापित किया। इसके लिए 2008 में इन्हें नेशनल अवॉर्ड भी मिला। निकुंज को कचरा जमा करने का शौक था। पहले वे मेडिकल स्टोर में काम करते थे और उसी से घर का गुजारा चलता था। इन्होंने ऐसे दिन भी देखें कि रोटी को तरसते थे।
 

निकुंज एक दिन बुझे मन से मंदिर के बाहर बैठे थे किसी ने नारियल फोड़ तो उसका एक गोल हिस्सा उनके पास आकर गिरा। निकुंज ने उसको उठया और उसमें पुरानी घड़ी का कब्जा लगाकर एक पॉट बना दिया। निकुंज के दोस्त ने जब उसे देखा तो उसे बहुत पंसद ऐयै और उसने उनके इश काम की काफी तारीफ की बस फिर क्य था निकुंज ने पुराने टूटे-फूटे सामान को उठाकर उसे नया रूप देना शुरू कर दिया। अब निकुंज के बनाए सामानों के देश में ही नहीं विदेशों में भी काफी धूम है। नाबार्ड ने उनकी आर्ट को समझा और उन्हें इसमें बेहतर करने के लिए फाइनेंशियल सपोर्ट की।

निकुंज की लॉक वाली गुल्लक पेटेंट हैं। इसमें नंबर वाले लॉक लगे हैं। नारियल के इस गुल्लक को बनाने वाले वह दुनिया में एक मात्र आर्टिस्ट हैं। जबकि गणपति-शिवा की बनाई मूर्ति के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया है। वहीं निकुंज का कहना है ये काम अब उनका नशा बन गया है और उनके इस काम से अब तक 1000 लोग जुड़ चुके हैं। निकुंज ने बताया कि जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं वह उनको काम सिखाते हैं और अपने साथ जोड़ते है।
 

निकुंज ऐसे लोगों को खुद ही ढूंढते हैं। निकुंज ने बताया कि उन्होंने नाबार्ड के सहयोग से ही प्रणव प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की इन सभी आर्टिस्ट को लेकर एक संस्था बनाई है। केरला कोकोनट बोर्ड से भी उन्हें अब हेल्प मिल रही है। जिसके द्वारा उनसे जुड़े लोगों की चीजों को देश-विदेश में भेजा जाता है। निकुंज ने बताया अभी तक वह किचन, सजाने, ज्वैलरी एवं विभिन्न प्रकार के 6 हजार से अधिक नारियल के आइटम बना चुके हैं। इन्हीं आइटमों का 25 फीसदी वे मेले में लेकर आए हैं। उनके बनाए किचन के सामान में माउस्चर नहीं आता। सूरजकुंड मेले में वे अपनी यूनिक कला का नमूना पेश कर रहे हैं। उनके साथ उन्हीं से स्टूडेंट मालाकुमारी वर्मा भी आई हैं। जो 2011 में स्टेट अवॉर्ड जीत चुकी हैं।