महिलाओं के दिल हुए कमजोर,बीमारियों का खतरा दोगुना

2/15/2016 8:57:46 PM

फरीदाबाद (ब्यूरो): दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात-दिन.... जब अपने लिए और अपने अपनों के लिए समय की तंगी नहीं थी ये फिर शायद अब नहीं। दिल ये सब अब नहीं ढूंढता क्योंकि दिल अब तेज़ी से धडक़ता है। उसे आदत हो गई है आगे रहने की, तेज़ चलने की, अव्वल आने की। अब इस दौड़भाग में जो छूट रहा है उसका पता फौरन तो चलता नहीं और जब पता चलता है तो देर हो चुकी होती है,आदत पड़ जाती है। तब तक हमारा दिल बीमारियों की चपेट में आ चुका होता है। महिलाएं यहां पुरुषों से आगे हैं। 

भागदौड़ और तनाव भरी इस जिंदगी में दिल दगा दे रहा है। पाया गया है कि महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले दिल की बीमारी होने का खतरा दोगुना हो गया है। निशाने पर हैं 35 से 55 साल की महिलाएं। इसकी शिकार वो महिलाएं हो रही हैं। जिन्हें घर और ऑफिस दोनों जगह काम करना पड़ रहा है।

 दोगुना तनाव झेलती हैं

मैक्स हेल्थकेयर के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ रजनीश मल्होत्रा बताते हैं कि महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले दोगुना तनाव होता है। अब महिलाओं के दिल पर ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। हाइपरटेन्शन,हाई बल्ड प्रेशर और हार्ट अटैक अब महिलाओं के साथी बन गए हैं। नए शोध के मुताबिक अब महिलाओं को दिल की बीमारी होने की आशंका, पुरुषों से कहीं ज्यादा हो गई है। हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल के मुताबिक महिलाओं में बढ़ती दिल की बीमारी खास तौर पर 35 से 55 साल में हो रही है। पहले महिलाओं में दिल की बीमारी 60 साल की उम्र के बाद यानि मोनेपोज के बाद ही होती थी। 

उन्होंने बताया कि मेनोपोज से पहले उनका मेटाबालिज़म पुरुषों से बेहतर होता था। इसी वजह से पुरुषों में दिल की बीमारी ज़्यादा होती थी,लेकिन पिछले कुछ सालों में ये सब बदल गया है। शहरीकरण के साथ महिलाओं की जीवनशैली में परिवर्तन आया है और 35 से 55 की उम्र में उनका होर्मोनल बैलेन्स बिगड़ता जा रहा है। नतीजा ये कि अब वो भी पुरुषों की तरह, बल्कि पुरुषों से ज़्यादा, दिल की बीमारी का शिकार हो रही हैं।