भाजपा की सर्वे रिपोर्ट तय करेगी रोहतक से जाट या गैर जाट होगा उम्मीदवार

4/7/2019 8:42:49 AM

फरीदाबाद(महावीर): हरियाणा की रोहतक लोकसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिवार का गढ़ मानी जाती है। यही कारण है कि वर्ष 2014 के चुनावों में मोदी लहर होने के बावजूद भी यह सीट कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र हुड्डा ने जीती थी। इसी सीट पर 1952 व 57 में दीपेंद्र हुड्डा के दादा रणवीर हुड्डा चुनाव जीते थे। उसके बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा 4 बार रोहतक से सांसद रहे हैं। वर्ष 2005 से लगातार इस सीट पर दीपेंद्र हुड्डा सांसद हैं। यही कारण है कि जोश से भरपूर भाजपा इस बार कांग्रेस के गढ़ रोहतक लोकसभा सीट को धराशायी करने के लिए काफी बेचैन है।

यह सीट इसलिए भी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है क्योंकि हरियाणा के जननायक माने जाने वाले स्व. देवीलाल को भी इस सीट से हार का सामना करना पड़ा था। मौजूदा भाजपा सरकार में मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ पिछले चुनाव में लगभग 2 लाख वोटों से हारे थे। वर्तमान में भाजपा भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामले, जाट आरक्षण के दौरान हिंसा के मामलों को भुनाकर रोहतक सीट पर कब्जा करने के मूड में है। इतना ही नहीं भाजपा इस बात पर भी गहराई से मंथन कर रही है कि रोहतक में दीपेंद्र हुड्डा के मुकाबले जाट प्रत्याशी को मैदान में उतारा जाए या गैर जाट को।

रोहतक को हरियाणा की राजनीतिक राजधानी भी कहा जाता है क्योंकि इसमें रोहतक जिले के अलावा अन्य जिलों के क्षेत्र भी शामिल हैं। रोहतक सीट पर भाजपा की पसंद क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग और पूर्व सेना अध्यक्ष दलबीर सुहाग थे लेकिन दोनों ने ही चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया। इसके बाद बाबा मस्तनाथ मठ के बाबा बालक नाथ भी भाजपा के लिए रोहतक से मजबूत दावेदार थे लेकिन उन्हें भाजपा ने राजस्थान की अलवर सीट से टिकट दे दिया। भाजपा रोहतक सीट पर अलग-अलग एजेंसियों से अंतिम सर्वे भी करवा रही है।

सर्वे की रिपोर्ट के बाद ही भाजपा तय करेगी कि रोहतक सीट पर भाजपा को जाट प्रत्याशी मैदान में उतारना है या गैर जाट। इतना ही नहीं भाजपा विभिन्न संभावित नामों पर भी सर्वे करवा रही है। सर्वे में अग्रिम रहने वाले प्रत्याशी को ही भाजपा रोहतक लोकसभा से उम्मीदवार बनाएगी। भाजपा रोहतक सीट पर कब्जा कर यह दिखाना चाहती है कि हरियाणा में लोगों की पसंद अब केवल भाजपा है। यही कारण है कि किसी भी रूप में भाजपा रोहतक के मामले में रिस्क उठाने के मूड में बिल्कुल नहीं है। बल्कि हर हाल में इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए बेचैन है। 

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