एन.सी.आर. के 10 लाख कामगारों पर रोजगार का संकट मंडराया

11/3/2017 1:26:16 PM

फरीदाबाद(महावीर):हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के 22 जिलों के लगभग 10 लाख कामगारों पर रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है। सुप्रीम कोर्ट के पेट-कोक मामले में उद्योगों पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद अब लगभग 1000 उद्योगों का 80 फीसदी कामकाज ठप्प है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद कोई भी उद्योगपति उद्योगों को चलाकर खतरा मोल लेना नहीं चाहता है। इतना ही नहीं पर्यावरण विभाग की ओर से पेट-कोक व फर्नेस ऑयल सप्लाई करने वाली कंपनियों को भी आदेश जारी कर दिए हैं कि वे एन.सी.आर. के प्रतिबंधित क्षेत्र में इसकी सप्लाई न दें।

प्रतिबंध के बाद आज दूसरे दिन भी उद्योगों का लगभग 80 प्रतिशत कार्य ठप्प रहा। औद्योगिक संगठन बैठक कर आम सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं कि कामगारों को बचाने के लिए वे क्या रणनीति अपनाएं। औद्योगिक क्षेत्र में जहां 60 से 80 फीसदी कामगार स्थायी होते हैं, वहीं 20 से 40 फीसदी कामगार अस्थायी रूप से यानी डेली वेजिज पर कार्यरत होते हैं। औद्योगिक समस्या का समाधान यदि नहीं निकला तो सबसे पहली गाज इन्हीं पर गिरेगी। अार्थिक मंदी के दौर में कामगारों के लिए अन्य उद्योगों में भी अब स्थान नहीं है।

ऐसे में यदि उन्हें निकाल दिया गया तो रोजगार का एक बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में अधिकतर लेबर उत्तर प्रदेश व बिहार की है। यह वे लोग हैं जिनके पास अपने क्षेत्र में कोई कार्य नहीं है और पूरी तरह तनख्वाह पर निर्भर हैं। इस सारे मामले में आश्चर्यजनक बात यह भी है कि रोजगार की बात करने वाली केंद्र सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं कर रही है।

वैंटीलेटर पर कामगार
पेट-कोक मामले में उद्योगों पर प्रतिबंध से लाखों कामगार वैंटीलेटर पर आ गए हैं। औद्योगिक संगठनों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई 6 नवम्बर को होनी है। इसलिए उद्योगपति अभी कामगारों पर कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं। उद्योगपतियों को 6 नवम्बर को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का इंतजार है। 

उसके बाद ही उद्योगपति कामगारों पर निर्णय लेंगे। औद्योगिक संगठनों का कहना है कि यदि कोर्ट ने उद्योगों को कोई राहत नहीं दी तो कई महीने कामगारों को खाली बिठाकर तनख्वाह दे पाना संभव नहीं है। इसलिए यदि 6 नवम्बर को कोर्ट का फैसला उद्योगपतियों की उम्मीद के विपरीत आया तो लाखों कामगारों की नौकरी से छुट्टी तय है। ऐसे में बहुत बड़े वर्ग के लिए रोजी-रोटी का संकट पैदा हो जाएगा। फिलहाल कामगार भी 6 नवम्बर को लेकर चिंताग्रस्त है।