कबीर महाकुंभ में दिखी मिनी इंडिया की झलक : राष्ट्रपति

7/16/2018 11:00:21 AM

फतेहाबाद(सुखराज): राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि संत कबीर दास किसी एक समाज के नहीं, बल्कि सर्वसमाज के पथ प्रदर्शक थे, उनकी वाणी में एक ऐसे समाज की रचना की, जिसमें ऊंच-नीच, जात-पात व अन्य किसी भी प्रकार के भेदभाव की कोई जगह नहीं है। वे फतेहाबाद में संत शिरोमणि कबीर दास के प्रकटोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित कबीर महाकुंभ को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। 
इससे पूर्व भोडिया खेड़ा स्थित खेल स्टेडियम में बनाए हैलीपैड पर हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, प्रदेश के परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार, राज्य मंत्री मनीष ग्रोवर, डी.सी. डा. हरदीप सिंह ने पुष्प गुच्छ भेंटकर राष्ट्रपति का स्वागत किया। 

फतेहाबाद की नई अनाज मंडी में आयोजित कार्यक्रम में दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, बुंदेलखंड के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों से जनसमूह पहुंचा। राष्ट्रपति ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि आज का कार्यक्रम तब आयोजित किया जा रहा है, जब पूरे देश में मानसून सक्रिय हो चुका है। आज का दिन इसलिए भी ऐतिहासिक और गौरवशाली है क्योंकि इसी दिन जिला फतेहाबाद की स्थापना भी हुई थी। फतेहाबाद के स्थापना के 22 वर्ष पूरे होने पर जिलेवासियों को बधाई देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि एक प्रगतिशील जिले की वर्षगांठ पर आयोजित कबीर महाकुंभ में पहुंचने पर उन्हें हर्ष है।

उन्होंने कहा कि देश की लोकसभा के साथ-साथ विभिन्न राज्यों की विधान सभाओं में आने वाले मानसून सत्रों में संविधान के मूलमंत्र को ध्यान में रखते हुए चर्चा, परिचर्चा और संवाद के माध्यम से जनता के हितों को सर्वोपरी रखकर निर्णय लिए जाएंगे। उन्होंने हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी के कार्यकलापों का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्यपाल समाज के उन वर्गों के प्रति बहुत संवेदनशील हैं जो दिव्यांग या किसी बीमारी से पीड़ित हैं। आपदा पीड़ितों के लिए भी राज्यपाल सदैव सहयोग के लिए तत्पर रहते हैं।   कबीर के परिवारजन बुनकर का काम करते थे और अपने जीवनयापन के लिए संत कबीर ने भी यह काम किया। संत कबीर एक समाज सुधारक भी थे। 

उन्होंने जाति-पाति, ऊंच-नीच और उस समय की कुरीतियों के साथ-साथ भेदभाव जैसी कुरीति को समाप्त करने का काम किया। उन्होंने कहा कि संत कबीर की सरलता दुर्लभ है और यह आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा था कि जो सच्चा है उसके दिल में ईश्वर रहता है। हमारे समाज की यह विडम्बना है कि हमें कुल, जाति, क्षेत्र से जाना जाता है जबकि असल में मानव को गुणों और अवगुणों से पहचाना जाना चाहिए, जिसके गुण श्रेष्ठ हैं वह महान हो जाता है। संत कबीर की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक है और भविष्य में भी रहेगी।
 

 
 


 


 

Rakhi Yadav