यहां मौत के साए में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे

4/27/2016 3:34:21 PM

फतेहाबाद (रमेश भट्ट): देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ''बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ'' का भले ही नारा दे रहे हो और प्रदेश के मुख्यमंत्री भले ही हरियाणा प्रदेश को शिक्षा का हब बनाने की बात करते है। लेकिन प्रदेश के सरकारी स्कूलों की जमीनी हकीकत कुछ ओर ही नजर आती है। अापको बता दें कि जब मीडिया ने स्कूलों का जायजा लिया तो नजारा कुछ और ही देखने को मिला और सरकार की शिक्षा नीति की पोल खुलती नजर आई।

जानकारी के मुताबिक फतेहाबाद के ठाकर बस्ती में एक ऐसा ही सरकारी स्कूल मौजूद है, जो कि सरकार की इन दावों को झूठा साबित कर रहा है। इस सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे मौत के साये में पढ़ने को मजबूर है। इस स्कूल में एक नहीं  बल्कि कई समस्याओं का अंबार है जो कि कभी भी किसी बड़े हादसे में तब्दील हो सकता है। वहीं दूसरी ओर बाकी के बच्चे स्कूल की छत पर पढ़ते है। इस स्कूल की छतों पर टीन की चदरों को डाला गया है। जोकि गर्मी के दिनों में तपती है और सर्दी के दिनों में बच्चों को खूब सर्दी का सामना करना पड़ता हैं।

इस मामले में जब स्कूल की टीचर रेखा रानी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस स्कूल का निर्माण 1955 में कच्ची मिट्टी से किया गया था और अब इसकी छते और दिवारे काफी जर्जर हालत में आ चुकी है। जिसके चलते कभी भी बड़ा हादसा हो सकता हैं। वह स्कूल में मिड डे मिल स्कूल की छत पर तेयार किया जाता है जहां पर बच्चों की क्लासेे लगाई जाती हैं ऐसे में अगर सिलैंडर में आग लग जाती है तो सैकड़ों बच्चे इसका शिकार हो सकते है।

उन्होंने बताया कि इस बारे में वह जिला उपायुक्त से लेकर प्रदेश की शिक्षा मंत्री ओर सी.एम. तक गुहार लगा चुके है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि स्कूल की ईमारत काफी छोटी हैं इसमें केवल 3 कमरे है जहां पर 300  बच्चों को वह पढा रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजने में डर लगता है कि उनके बच्चें स्कूल से वापिस घर आएगें या नहीं।