पिछले 20 दिनों से रसोई गैस की भारी किल्लत

punjabkesari.in Saturday, Feb 23, 2019 - 12:37 PM (IST)

फतेहाबाद/टोहाना(ब्यूरो/विजेंद्र): 21वीं सदी में ग्रामीण इलाकों में तो दूर की बात आज कल शहरी इलाकों में भी महिलाएं लकडिय़ां जलाकर खाना बनाने का कार्य करने को मजबूर हैं। इसका मुख्य कारण है लगभग पिछले 20 दिनों से गैस सिलैंडर का न आना। लोगों को सिलैंडरों की बुकिंग करवाएं लगभग 15 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें सिलैंडर नहीं मिल रहे हैं। आखिरकार लोग लाइनों में लगने को मजबूर हैं। 

एक सवाल यह भी उठता है कि क्या जनता लाइनों में ही खड़ी रहेगी फिर चाहे वो लाइन कोई सरकारी दस्तावेज बनवाने के लिए हो या फिर रसोई गैस के लिए। देश की जनता नेभाजपा सरकार को यह सोचकर देश के शासन की बागडोर सौंपी थी कि अटल बिहारी वाजपेयी के समय का वो स्वॢणम युग वापस आएगा जब गैस सिलैंडर के लिए रेहड़ी-रिक्शा चालक हर घर में आवाज लगाकर कहते थे कि माता जी-बहन जी, रसोई गैस का सिलैंडर ले लो। 

पूरे देश में रसोई गैस इतनी आसानी से मिलने लगी थी कि जनता अपने गैस कनैक्शन की कॉपी भी रखकर भूल गई थी, लेकिन अब हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि जो गैस सिलैंडर की बुकिंग के 15 दिनों बाद तक भी जनता को गैस नहीं मिल रही। उपभोक्ताओं का कहना है कि उन्हें गैस एजैंसी से सिलैंडर न मिलने के कारण बाजार से महंगे दामों में सिलैंडर खरीदना पड़ रहा है जिससे उन्हें आॢथक नुक्सान सहना पड़ रहा है।


गांवों में हालात बदतर
दूरदराज के गांवों के लोग सुबह गैस लेने एजैंसी आते हैं। उन पर उस समय क्या बीतती है जब पूरा दिन लाइन में खड़े रहने के बावजूद उन्हें खाली सिलैंडर लेकर लौटना पड़ता है। इन ग्रामीण लोगों का कहना है कि भाजपा सरकार के घर बैठे खुले रूप में सिलैंडर देने के दावे कहां गए। पहले जनता को लाइन में लगकर सिलैंडर लेना पड़ता है, उसके बाद सबसिडी के पैसे निकलवाने के लिए बैंकों में लाइनों में लगो। लाइनों में लगे लोगों का कहना था कि एक तो रेट बढ़ा दिए, फिर भी गैस नहीं मिलती।
 


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Deepak Paul

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