जोरों पर है मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री

9/24/2019 10:44:19 AM

रतिया (ललित): क्षेत्र में पिछले लंबे समय से मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री जोरों पर है और संबंधित विभाग कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है।सूत्र बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि विभाग को पता नहीं है यह सब मिलीभगत से चल रहा है। त्यौहारों के दिनों में तो मिलावट का यह धंधा और अधिक फलता-फूलता है। सूत्रों की मानें तो सीमा पार (पंजाब) से यह कारोबार हो रहा है, क्योंकि पंजाब सीमा से ऐसे अनेक रास्ते हैं, जहां कोई भी चैक पोस्ट नहीं है। अनेक रास्तों से दूसरे राज्यों से क्षेत्र में मिलावट का सामान बिक्री के लिए क्षेत्र में आ रहा है।

जिनमें सरसों का तेल, मसाले, आटा, दाल, नकली घी, चायपत्ती, मावा, पनीर, मिठाइयां शामिल हैं। इनमें सबसे अधिक पेठे की मिठाई, पतीसा, पैकेट वाला जूस व डूप्लीकेट नेम से अन्य कुछ खाद्य पदार्थ भी ऐसी बिक्री के लिए उपलब्ध है। जिसके ऊपर ऐसे कैमिकल का लेप होता है जो सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो रहा है।

सबसे अधिक बिक रहा बच्चों का सामान
मिलावटखोरों ने तो बच्चों तक को भी नहीं छोड़ा है। उनके खाने का सामान, जिसमें टॉफी, कमलस्वीट व अन्य घटिया तेल व घटिया रंगों के साथ तैयार हुए अनेक आइटम हैं जो आसानी से परचून व कन्फैक्शरी की दुकानों पर उपलब्ध हैं। यह लोग सीधे उन दुकानदारों को सप्लाई देते हैं जहां कम पढ़े-लिखे लोग व गरीब तबका रहता है। एक से 5 व 10 रुपए में बिकने वाले नमकीन के पैकेट जिनमें भुजिया, मुंगफली गिरी, चिप्स, चॉकलेट, कुरकरे व न जाने कितने ऐसे बच्चों के खाने वाली नकली वस्तुएं हैं जो आसानी से मिल जाती हैं। परचून की दुकानों से सीधे सप्लाई करने वाले लोग लोडिंग गाडिय़ों में पूरी की पूरी दुकानें लेकर चलते हैं।

न कोई इन्कम टैक्स, सेल टैक्स और न जी.एस.टी. का फंडा और मुनाफा 10 गुना। दुकानदार भी इनके चक्रव्यू में यह सोच कर फंस जाते हैं कि उन्हें अपनी दुकान छोड़कर बाजार नहीं जाना पड़ता है और सस्ता भी मिलता है।  जानकर बताते हैं कि जो तेल में तले जाने वाले खाद्य पदार्थ हैं उनके लिए तेल या घी यह लोग नया नहीं इस्तेमाल करते हैं उनके लिए तेल या घी यह उन दुकानों से खरीद लेते हैं जो कैटरिंग आदि का कार्य करते हैं। एक बार इस्तेमाल किया गया घी दूसरी बार इस्तेमाल किया जाए तो उसमें तले जाने वाले पदार्थ की गुणवत्ता बिल्कुल जीरो हो जाती है और कुछ पदार्थ जो दूसरी बार इस्तेमाल तेल में तले जाते हैं वह तो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होते हैं पर ऐसे मिलावटखोरों को किसी की सेहत से कोई मतलब नहीं होता।

उन्हें तो मोटा मुनाफा कमाना है और वहीं खाद्य सुरक्षा विभाग को अपना कमीशन चाहिए।  वहीं सबसे अधिक बिकने वाली चाय की पत्ती जोकि 80 रुपए से 110 रुपए प्रति किलो बड़े आराम से मिल जाती है, जिसमें इतनी जबरदस्त व सफाई से मिलावट होती है कि आप अंदाजा ही नहीं लगा सकते। काले रंग से इस तरह रंगी यह चाय की पत्ती हमारे शरीर के लिए इतनी घातक है कि लगातार इस्तेमाल करने से गंभीर बीमारी का शिकार हो सकते हैं। इस मिलावट के कारोबार में अनेकों कारोबारियों को करोड़पति बना दिया है।

कभी कभार अगर खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा खानापूर्ति के लिए सैंपलिंग होती भी है तो उन्हीं पदार्थों की सैंपलिंग की जाती है जो लैबोरेट्री में आसानी से पास हो जाते हैं, जिनमें कंपनी के कोल्ड ड्रिंक, बढिय़ा कंपनी के घी, तेल व अन्य पदार्थ होते हैं। उच्चाधिकारियों को दिखाने के लिए और खानापूर्ति के लिए जो सैंपल लेने का ड्रामा किया जाता है वह किसी से छिपा नहीं है। परचून की दुकान करने वाले एक दुकानदार ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ऐसे मिलावट का सामान बेचने वाले संबंधित विभाग को प्रत्येक महीने दुकानों से इकट्ठा करके नजराना भेजा जाता है उसकी एवज में यह नकली सामान का कारोबार होता है ।
 

Isha