आर्टेमिस हॉस्पिटल्स ने की पहले इंडो-यूके कफ सिंपोजियम की मेजबानी, रेस्पिरेटरी हेल्थ के वैश्विक विशेषज्ञों को एक मंच पर लाने की पहल
punjabkesari.in Saturday, Mar 29, 2025 - 01:42 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो : आर्टेमिस हॉस्पिटल्स ने पहले इंडो-यूके कफ सिंपोजियम का सफलतापूर्वक आयोजन किया है। यह क्रोनिक कफ (पुरानी खांसी) की जांच एवं इसके प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण आयोजन है। इस सिंपोजियम में भारत एवं यूके के अग्रणी विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और रेस्पिरेटरी मेडिसिन के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ को बढ़ावा दिया।
इस कार्यक्रम के दौरान रॉयल ब्रॉम्प्टन हॉस्पिटल के रेस्पिरेटरी फिजिशियन प्रोफेसर जेम्स हल और इंपीरियल कॉलेज एनएचएस की ईयर, नोज एंड थ्रोट स्पेशलिस्ट डॉ. रोमना कुचाई जैसी प्रतिष्ठित वैश्विक हस्तियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कफ रिसर्च के मामले में नवीनतम जानकारियों, इलाज के नए तरीकों और मरीजों की बेहतर देखभाल के तरीकों को साझा किया।
उनके अतिरिक्त, आर्टेमिस हॉस्पिटल्स की इंटरनल टीम के प्रतिष्ठित सदस्यों ने भी अपने विचार साझा किए। इनमें डॉ. शशिधर टीबी (हेड, सर्जरी - ईएनटी), डॉ. अरुण चौधरी कोटारू (यूनिट हेड एवं सीनियर कंसल्टेंट – रेस्पिरेटरी डिसीज एंड स्लीप मेडिसिन – यूनिट 1) और डॉ. श्वेता बंसल (सीनियर कंसल्टेंट एवं यूनिट हेड – रेस्पिरेटरी डिसीज एंड स्लीप मेडिसिन – यूनिट 2) के नाम उल्लेखनीय हैं। इन विशेषज्ञों ने अपनी जानकारी एवं अनुभव से इस सिंपोजियम को सार्थक बनाया।
क्लीनिकल प्रमाणों के साथ आर्टेमिस हॉस्पिटल्स के ईएनटी हेड डॉ. शशिधर टीबी की ओर से दी गई जानकारी से गुरुग्राम में क्रोनिक कफ के मामलों और बढ़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लेवल के बीच संबंध सामने आया।
12 महीनों के दौरान डॉ. शशिधर और उनकी टीम ने एक्यूआई के बढ़ते स्तर के साथ-साथ लगातार खांसी वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी का अध्ययन किया। उन्होंने कहा, ‘पैटर्न एकदम साफ है। हवा की खराब गुणवत्ता से सांसों की दिक्कत होती है। यहां तक कि सामान्यत: स्वस्थ लोगों पर भी यह दुष्प्रभाव देखा गया है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘ये प्रमाण शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए नीति निर्माताओं, पर्यावरण विज्ञानियों और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के साथ मिलकर काम करने की तत्काल जरूरत दिखा रहे हैं।’
यूनिट हेड एवं सीनियर कंसल्टेंट – रेस्पिरेटरी डिसीज एंड स्लीप मेडिसिन (यूनिट 1) डॉ. अरुण कोटारू ने कहा, ‘इंडो-यूके कफ सिंपोजियम जानकारियों के आदान-प्रदान का उल्लेखनीय मंच बनकर सामने आया है। इससे हम क्रोनिक कफ की जांच एवं इसके प्रबंधन के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों को जानने में सक्षम हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ गठजोड़ करते हुए हम अपनी समझ को बढ़ाने और अपने मरीजों को बेहतर नतीजे देने के लिए इलाज की रणनीतियों में सुधार में सक्षम हुए हैं।’
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित रही सीनियर कंसल्टेंट एवं यूनिट हेड – रेस्पिरेटरी डिसीज एंड स्लीप मेडिसिन (यूनिट 2) डॉ. श्वेता बंसल ने कहा, ‘एक परेशानी वाली स्थिति होने के बावजूद क्रोनिक कफ की अक्सर अनदेखी हो जाती है। इस सिंपोजियम से हमें शोध एवं क्लीनिकल प्रैक्टिस के बीच के अंतर को मिटाने में मदद मिली है। इससे हमें पेशेंट केयर के इनोवेटिव तरीकों के बारे में जानने का मौका मिला। हम रेस्पिरेटरी मेडिसिन में ऐसे और भी वैश्विक गठजोड़ की संभावनाओं को लेकर उत्साहित हैं।’
सिंपोजियम में डिस्कशन, केस प्रजेंटेशन एवं इंटरैक्टिव सत्रों का आयोजन किया गया। इससे क्रोनिक कफ के मामले में इंटरडिसिप्लिनरी एप्रोच का महत्व सामने आया। सिंपोजियम को प्रतिष्ठित पल्मोनोलॉजिस्ट, ईएनटी स्पेशलिस्ट एवं हेल्थकेयर प्रैक्टिशनर से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
आर्टेमिस हॉस्पिटल्स स्वास्थ्य सेवा के विकास के लिए मेडिकल एक्सीलेंस, इनोवेशन एवं वैश्विक गठजोड़ स्थापित करने के लिए समर्पित है। इस सिंपोजियम की सफलता रेस्पिरेटरी मेडिसिन में वैश्विक गठजोड़ के लिए इस तरह की नई पहलों की शुरुआत है।