नरेंद्र सिंह यादव के समर्थन में उमड़ा जन सैलाब
punjabkesari.in Monday, Jul 22, 2024 - 01:27 PM (IST)
गुड़गांव, (ब्यूरो): सोहना की अनाज मंडी में पूर्व सूचना आयुक्त नरेंद्र सिंह यादव द्वारा सोहना-तावडू़ विधानसभा के अपने चुनाव कार्यालय का उद्घाटन किया गया। इस उद्घाटन कार्यक्रम में सर्व धर्म संगम हुआ। सर्वजातीय संगम हुआ। सर्व जन हिताय, सर्व जन सुखाय की बात हुई। यहां पहुंचे लोगों ने उन्हें आश्वस्त किया कि वे इस बार के चुनाव में क्षेत्र की जनता अपने समुचित विकास के लिए उन्हें ही अपना प्रतिनिधि चुनेगी।
सोहना की अनाजमंडी में हवन-यज्ञ के साथ चुनाव कार्यालय की शुरुआत हुई।
अपने संबोधन में नरेंद्र सिंह यादव ने कहा कि यह सभी का प्यार है जो इतनी बड़ी संख्या में पहुंचे हैं। इसके वे आभारी हैं और सदा रहेंगे। अक्सर लोग सरकारी सेवा से सेवानिवृत होकर आराम का जीवन व्यतीत करने में विश्वास रखते हैं। उन्होंने ऐसा नहीं सोचा। राजनीति में आने का उनका इतना सा मकसद है कि लोगों को उनका हक दिया जाए। उन्हें वह सब सुविधाएं दी जाएं, जिनके वे हकदार हैं। जिनके लिए वे सरकार को टैक्स देते हैं। अब से पहले उन्होंने लगभग पूरे हल्के का दौरा एक बार कर लिया है।
इस दौरान कई तरह की जनसमस्याएं उनके सामने आई हैं। कुछ समस्याएं तो छोटी-छोटी हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों का उन तक ध्यान ही नहीं जाता। उन्होंने क्षेत्र की जनता से अपील की कि उन्हें विधानसभा पहुंचाने की जिम्मेदारी जनता ले, उनकी हर समस्या के समाधान की जिम्मेदारी मैं लेता हूं। बेहद ही सादगी भरी बातों से नरेंद्र सिंह यादव ने जनता से कहा कि नेता भी इसी मिट्टी में पैदा होता है और जनता भी। राजनीति में सफल होकर जनता से दूर होने पर नेताओं को जनता भी दूर कर सकती है। इसलिए जनता के हितों का हर नेता, हर प्रतिनिधि को ख्याल रखना चाहिए।
बता दें कि सरकारी अधिकारी के तौर पर अनेक पदों पर सेवाएं देकर सेवानिवृत हुए नरेंद्र सिंह यादव के राजनीति में आने को सोहना-तावड़ू के लोग अपनी किस्मत बदलने जैसा मान रहे हैं। उनके कार्यालय के उद्घाटन समारोह में पहुंचे आम और खास लोगों ने इस बात को सत्यापित किया कि उनके दिलों में नरेंद्र सिंह यादव के प्रति कितना प्रेम है। उनके लिए कितना उत्साह है। भीषण गर्मी के बीच भारी संख्या में विधानसभा से लोगों ने सोहना की अनाजमंडी को भी एक तरह से राजनीति के क्षेत्र में ऐतिहासिक बना दिया। लोग यह कहते सुनाई दिए कि अब से पहले किसी ऐसे व्यक्ति की जनसभा इतनी बड़ी नहीं हो पाई। वह भी ऐसे व्यक्ति की, जो बड़े राजनीतिक दलों के सामने अकेला खड़ा है।