दिल की सेहत के लिए व्यायाम और योग ज़रूरी : डॉ. अर्पित आहूजा

punjabkesari.in Saturday, Oct 11, 2025 - 05:17 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो : भारत में हृदय रोग अब केवल बुज़ुर्गों तक सीमित नहीं रहे। बदलती जीवनशैली के कारण 30–40 साल की उम्र में ही लोग दिल की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। विश्व हृदय दिवस नज़दीक आते ही विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते आदतें नहीं बदलीं तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।

 

फरीदाबाद स्थित प्रीषा हेल्थ केयर के डॉ. अर्पित आहूजा का कहना है, “दिल की सेहत के लिए व्यायाम और योग सबसे ज़रूरी दवाएं हैं। रोज़ाना हमारे पास युवा मरीज़ आते हैं जिन्हें हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर और तनाव से जुड़ी बीमारियाँ होती हैं। इसका कारण सिर्फ़ जेनेटिक नहीं बल्कि जीवनशैली है। लंबे समय तक बैठकर काम करना, जंक फूड खाना, धूम्रपान और लगातार तनाव लेना दिल को कमजोर कर देता है। अगर कोई व्यक्ति हर दिन सिर्फ़ 30 मिनट तेज़ चाल से चले, साइकिल चलाए या योग करे, तो इससे खून का संचार बेहतर होता है, ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और दिल की मांसपेशियाँ मज़बूत होती हैं। योग तनाव को कम कर मन और शरीर दोनों को संतुलित करता है।”

 

डॉ. आहूजा मानते हैं कि व्यायाम और योग को आदत बनाना ज़रूरी है। “जैसे मरीज दवा छोड़ नहीं सकता, वैसे ही व्यायाम और योग छोड़ना दिल के लिए हानिकारक है। साधारण आदतें—सुबह की सैर, सीढ़ियाँ चढ़ना या भुजंगासन और शवासन जैसे आसान योगासन—दिल के दौरे और स्ट्रोक का ख़तरा 30–40 प्रतिशत तक घटा सकते हैं। ये उपाय सबके लिए सुलभ और कम खर्चीले हैं,” उन्होंने कहा। हरियाणा समेत पूरे देश में हृदय रोग के मामले बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि इसे रोकने के लिए सामूहिक प्रयास भी ज़रूरी हैं। अगर स्कूलों में योग शामिल किया जाए, कॉलोनियों में मॉर्निंग वॉक को बढ़ावा मिले और दफ़्तरों में वेलनेस ब्रेक हों, तो समाज की सेहत में बड़ा बदलाव आ सकता है। विश्व हृदय दिवस से पहले संदेश साफ है—दिल को मज़बूत बनाने के लिए दवाओं के साथ-साथ रोज़ाना व्यायाम और योग को जीवनशैली का हिस्सा बनाना ज़रूरी है।


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Content Editor

Gaurav Tiwari

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