ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के इको-क्लब्स के साथ आयोजित किया क्लाइमेट चौपाल
punjabkesari.in Wednesday, Sep 17, 2025 - 08:51 PM (IST)

गुड़गांव, ब्यूरो : ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के तीन इको-क्लब्स—पारितंत्र (आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज), अद्वेका (दयाल सिंह कॉलेज) और पृथ्वी (श्री अरविंदो कॉलेज) के सहयोग से क्लाइमेट चौपाल का आयोजन किया। इस चौपाल का उद्देश्य युवाओं को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए जागरूक और सक्षम बनाना था। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) लगातार गंभीर प्रदूषण, जल संकट और बढ़ते कचरे की समस्या से जूझ रहे हैं। वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2023 के अनुसार, दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया था। वहीं, जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दे जैसे गर्मी की लहरें, भूजल का दोहन और प्लास्टिक प्रदूषण भी राजधानी की जीवन गुणवत्ता को सीधे प्रभावित कर रहे हैं। इसी संदर्भ में क्लाइमेट चौपाल जैसी पहलें युवाओं को संवाद और सामूहिक समाधान की दिशा में जोड़ती हैं। ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन के संस्थापक व निदेशक सैंडी खांडा ने कहा कि “क्लाइमेट चौपाल को एक जन आंदोलन के रूप में डिजाइन किया गया है। युवाओं द्वारा संचालित इको-क्लब्स सामुदायिक बदलाव की शक्ति रखते हैं और स्थिरता को जीवनशैली का हिस्सा बना सकते हैं। हमारा लक्ष्य 2030 तक कम से कम 20 लाख लोगों तक पहुँचना है।”
अद्वेका – दयाल सिंह कॉलेज की आवाज़ें
अद्वेका क्लब के अध्यक्ष अमन कुमार ने कहा, “दिल्ली में जलवायु परिवर्तन एक जीता-जागता सच है। ऐसे आयोजन छात्रों को चिंता से आगे बढ़कर जलवायु कार्रवाई करने की ताकत देते हैं।” संयुक्त सचिव प्रिया त्यागल ने कहा, “स्थिरता छोटे-छोटे जीवनशैली बदलावों से शुरू होती है। यदि हम पुन: प्रयोज्य विकल्प चुनें, तो मिलकर हरित भविष्य बना सकते हैं। अन्य पदाधिकारियों—साहिल सिद्दीकी, जिज्ञासा, नमन कुमार, सपना कुमारी और उर्वशी शर्मा—ने युवाओं की नेतृत्व क्षमता और सामूहिक जिम्मेदारी पर बल दिया।
पारितंत्र – आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज की आवाज़ें
अध्यक्ष पूर्णिमा ने कहा, “हमारा मानना है कि विज्ञान और स्थिरता साथ-साथ चलने चाहिए। क्लाइमेट चौपाल हमें शोध और ज़मीनी कार्रवाई को जोड़ने का अवसर देता है।” उपाध्यक्ष प्रतीक्षा ने दिल्ली के कचरा संकट को छात्रों के लिए सीधी चुनौती बताया, वहीं सदस्य सनम देवोलाल और खुशी ने कहा कि अन्य कॉलेजों को भी कक्षा से बाहर स्थिरता अपनानी चाहिए।
पृथ्वी – श्रीअरविंदो कॉलेज की आवाज़ें
अध्यक्ष रुहानिका वर्मा ने कहा, “हमारा मिशन ‘पृथ्वी’—यानी धरती की रक्षा है। क्लाइमेट चौपाल हमारी सोच को समुदाय आधारित कार्रवाई से जोड़ता है।” सचिव भाटी ने कॉलेज द्वारा किए गए वृक्षारोपण और स्वच्छता अभियानों का उल्लेख किया। उपाध्यक्ष साक्षी जोशी और अनुराग कौशल ने इको-क्लब्स के बीच सहयोग को और मज़बूत करने की अपील की।
चौपाल का महत्व और आगे की योजना
कार्यक्रम का समापन छात्रों द्वारा एक शपथ के साथ हुआ कि वे अपनी दैनिक जीवनशैली में सतत आदतें अपनाएंगे और अपने समुदाय में जागरूकता फैलाएंगे। ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन ने घोषणा की कि क्लाइमेट चौपाल को अन्य विश्वविद्यालयों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी विस्तार दिया जाएगा। संस्था का मानना है कि यदि युवाओं को प्रारंभिक स्तर पर पर्यावरणीय शिक्षा दी जाए, तो समाज में दीर्घकालिक बदलाव लाया जा सकता है। यह पहल संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) जैसे SDG-13 (क्लाइमेट एक्शन), SDG-6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता) और SDG-11 (सतत शहर और समुदाय) से भी सीधा जुड़ा हुआ है।
भारत सरकार की पहल से जुड़ाव
ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन की यह पहल भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं और अभियानों से भी मेल खाती है:
मिशन LiFE (Lifestyle for Environment): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2021 में लॉन्च किया गया यह मिशन लोगों को पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करता है। क्लाइमेट चौपाल इसी सोच को आगे बढ़ा रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन: कार्यक्रम में कचरा प्रबंधन और प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली पर चर्चा सीधे तौर पर इस राष्ट्रीय अभियान से जुड़ती है।
जल जीवन मिशन: जल संरक्षण और जल के विवेकपूर्ण उपयोग पर छात्रों का फोकस इस योजना के उद्देश्यों से मेल खाता है।
नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन और सोलर मिशन: नवीकरणीय ऊर्जा और स्वच्छ परिवहन पर जोर देकर चौपाल ने इन पहलों के महत्व को रेखांकित किया।