हरियाणा के सैंडी खांडा बने देश के 50 चेंजमेकर, संघर्षों से शुरू हुआ सफ़र आज बना युवाओं के लिए प्रेरणा
punjabkesari.in Thursday, Sep 11, 2025 - 09:06 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो : हरियाणा की धरती हमेशा से परिश्रम और संघर्ष की मिसाल रही है। इसी धरती से निकले हैं सैंडी खांडा, जिन्होंने बचपन में साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखते हुए तमाम चुनौतियों का सामना किया, लेकिन समाज में बदलाव लाने का सपना कभी नहीं छोड़ा। आज उसी जज़्बे और लगन का नतीजा है कि उन्हें चेंजमेकर समिट 2025 में पूरे भारत के 27 राज्यों से चुने गए 50 चेंजमेकर की सूची में शामिल किया गया। इस आयोजन का संचालन समन्वय प्रतिष्ठान ने किया, जिसका नेतृत्व डॉ. जिगर इनामदार कर रहे हैं। समिट में गुजरात विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी ने सभी चेंजमेकरों को संबोधित किया और युवाओं की भूमिका की सराहना की। साथ ही, वडोदरा के सांसद हेमांग जोशी ने वर्चुअली जुड़कर समाज सेवा में लगे युवाओं का उत्साह बढ़ाया।
संघर्षों से बदलाव की राह
सैंडी खांडा हरियाणा के जींद जिले के एक छोटे से गाँव खांडा में पैदा हुए। बचपन से ही परिवार की आर्थिक स्थिति मज़बूत नहीं थी। पढ़ाई के दौरान उन्हें बार-बार आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने शिक्षा और समाज सेवा को कभी नहीं छोड़ा। दिल्ली में उच्च शिक्षा हासिल करते समय उन्होंने ग्रामीण और शहरी दोनों समस्याओं को गहराई से समझा—चाहे वह महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी चुप्पी हो या दिल्ली-एनसीआर की बिगड़ती हवा। ग्रीन पेंसिल फ़ाउंडेशन की शुरुआत इन्हीं अनुभवों से प्रेरित होकर सैंडी खांडा ने ग्रीन पेंसिल फ़ाउंडेशन की स्थापना की। यह संगठन युवाओं और समुदायों को जोड़कर महिला स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर काम करता है।
फ़ाउंडेशन की प्रमुख पहलें:
‘पीरियड्स ऑफ़ प्राइड’ अभियान: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लड़कियों व महिलाओं को मासिक धर्म स्वास्थ्य और क्लॉथ पैड उपयोग के बारे में जागरूक करना। ‘स्लम टू स्कूल’ प्रोग्राम: झुग्गी बस्तियों के बच्चों को शिक्षा और संसाधन उपलब्ध कराकर उनके जीवन को नई दिशा देना। सस्टेनेबल प्रैक्टिसेज वर्कशॉप्स: स्कूलों और कॉलेजों में जाकर बच्चों को कचरा प्रबंधन, पानी बचाने, कपड़े के थैले व स्टील बोतल इस्तेमाल जैसे छोटे लेकिन असरदार कदम सिखाना। क्लाइमेट चौपाल और क्लीन-अप ड्राइव्स: दिल्ली-एनसीआर और विभिन्न राज्यों में नदियों, तालाबों और सार्वजनिक स्थलों की सफाई कर लोगों को सीधे तौर पर पर्यावरण की जिम्मेदारी से जोड़ना। मेंटल हेल्थ वेलनेस प्रोग्राम: सरकारी स्कूलों में 6वीं से 12वीं कक्षा तक के बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक संतुलन की शिक्षा देना।
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
आज ग्रीन पेंसिल फ़ाउंडेशन हरियाणा से निकलकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, केरल और देश के कई हिस्सों में काम कर रहा है। सैंडी खांडा के नेतृत्व में अब तक हज़ारों छात्र, महिलाएँ और युवा इस आंदोलन से जुड़े हैं। उनके प्रयासों को देश-विदेश में सराहा जा रहा है। चेंजमेकर समिट 2025 में मिला यह सम्मान न सिर्फ़ उनकी मेहनत की पहचान है, बल्कि हरियाणा के उस संघर्षशील युवा की कहानी है जो अपने सपनों को समाज के लिए हकीकत बना रहा है।
सम्मान पाकर सैंडी खांडा ने कहा यह उपलब्धि मेरे गाँव, मेरे हरियाणा और उन सभी युवाओं को समर्पित है जिन्होंने कभी हार नहीं मानी। बदलाव आसान नहीं होता, लेकिन जब समाज का साथ मिलता है तो कोई भी सपना बड़ा नहीं होता। ग्रीन पेंसिल फ़ाउंडेशन का सपना है—हर बच्चे, हर महिला और हर परिवार तक सतत विकास का संदेश पहुँचाना। आज सैंडी खांडा और उनकी टीम का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में 1 मिलियन से अधिक लोगों तक पहुँचकर भारत को स्वच्छ, हरा-भरा और समावेशी बनाने में योगदान दें।