भारत के ''गोल्डन बॉय'' शिवम ठाकुर की निगाहें विश्व चैंपियनशिप के स्वर्ण पर
punjabkesari.in Tuesday, Sep 16, 2025 - 07:36 PM (IST)

गुड़गांव, ब्यूरो : भारत की विशाल और विविधता भरी भूमि में, जहाँ हर गली में क्रिकेट के सपने देखे जाते हैं, वहाँ कुछ कहानियाँ ऐसी भी जन्म लेती हैं जो लीक से हटकर एक नई प्रेरणा बनती हैं। यह कहानी है बिहार के एक छोटे शहर से निकले उस असाधारण निशानेबाज की, जिसने क्रिकेट के बल्ले को छोड़कर पिस्टल थामी और आज दुनिया के शीर्ष निशानेबाजों में गिना जाता है। यह कहानी है शिवम ठाकुर की, भारत के 'गोल्डन बॉय', जो अब तुर्की में होने वाली प्रतिष्ठित विश्व काउंटी चैंपियनशिप 2025 में भारत का परचम लहराने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। 29 अंतरराष्ट्रीय पदकों के विजेता और विश्व में तीसरी रैंक पर काबिज़ शिवम की यात्रा सिर्फ पदकों का लेखा-जोखा नहीं है, बल्कि यह दृढ़ संकल्प, अटूट अनुशासन और देश के प्रति असीम प्रेम की एक जीवंत गाथा है। यह कहानी बताती है कि कैसे जुनून और कड़ी मेहनत के बल पर साधारण परिस्थितियों से उठकर भी असाधारण ऊँचाइयों को छुआ जा सकता है। आज जब वह विश्व चैंपियनशिप के लिए अपनी तैयारी के अंतिम चरण में हैं, तो उनके साथ 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदें और दुआएं जुड़ी हैं।
क्रिकेट के मैदान से शूटिंग रेंज तक का अप्रत्याशित सफर
शिवम ठाकुर के खेल जीवन का आरंभ भारत के सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट से हुआ। एक प्रतिभाशाली युवा क्रिकेटर के रूप में, उन्होंने अपनी लगन और कौशल से अंडर-17 स्तर पर केरल जैसे राज्य का प्रतिनिधित्व करने का गौरव हासिल किया। मैदान पर उनकी ऊर्जा और खेल की समझ सराहनीय थी, और कई लोगों का मानना था कि वह क्रिकेट में एक उज्ज्वल भविष्य बना सकते हैं। लेकिन, नियति ने उनके लिए एक अलग ही मार्ग तय कर रखा था। एक ऐसा मार्ग जहाँ सफलता टीम के सामूहिक प्रयास पर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत ध्यान, अटूट एकाग्रता और एक क्षण की सटीकता पर निर्भर करती है। यह पिस्टल शूटिंग का खेल था जिसने शिवम को अपनी ओर आकर्षित किया। जहाँ क्रिकेट में शोर और जुनून का माहौल होता है, वहीं शूटिंग में असीम शांति और आत्म-नियंत्रण की आवश्यकता होती है। इस विरोधाभास ने ही शिवम को चुनौती दी और उन्होंने इस नए खेल में अपना सच्चा जुनून खोज लिया। 2017 में उन्होंने पूरी तरह से निशानेबाजी को अपना लिया। यह एक बड़ा जोखिम था, लेकिन शिवम ने इसे एक अवसर के रूप में देखा और खुद को इस खेल के प्रति पूरी तरह समर्पित कर दिया।
सफलता की सीढ़ियाँ: एक के बाद एक मील का पत्थर
एक बार जब शिवम ने शूटिंग रेंज में कदम रखा, तो उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी मेहनत और प्रतिभा जल्द ही रंग लाने लगी। शुरुआती विजय (2016-2018): उनके करियर के शुरुआती वर्षों ने ही उनकी क्षमता का संकेत दे दिया था। 2017 में फेडरेशन कप में स्वर्ण पदक जीतना उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान बनाई। 2018 उनके लिए एक शानदार वर्ष रहा, जहाँ उन्होंने न केवल इंडिया स्टार प्लेयर का खिताब जीता, बल्कि नेपाल काउंटी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की जीत का खाता खोला। इसी वर्ष उन्हें प्रतिष्ठित ध्यानचंद ट्रॉफी से भी सम्मानित किया गया। अंतरराष्ट्रीय पहचान (2019-2022): अगले कुछ वर्षों में, शिवम ने खुद को एक भरोसेमंद अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया। 2020 में इंडो-मलेशिया चैंपियनशिप में स्वर्ण और रजत पदक, 2021 में एशियन गेम्स में स्वर्ण, और 2022 में थाईलैंड और दुबई में आयोजित प्रतियोगिताओं में स्वर्ण और रजत पदक जीतकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि वे किसी भी परिस्थिति में देश के लिए पदक ला सकते हैं। उनकी निरंतर सफलता ने उन्हें वैश्विक शूटिंग समुदाय में एक सम्मानजनक स्थान दिलाया। शिखर की ओर (2023-वर्तमान): 2023 में वर्ल्ड काउंटी चैंपियनशिप में रजत पदक जीतना उनके करियर का एक और बड़ा पड़ाव था। यह पदक उन्हें दुनिया के शीर्ष तीन खिलाड़ियों में ले आया। आज, वह काउंटी वर्ल्ड रैंकिंग में तीसरे, काउंटी एशियन रैंकिंग में पांचवें और ऑल इंडिया काउंटी रैंकिंग में नौवें स्थान पर हैं। ये रैंकिंग उनके कौशल, उनकी मेहनत और उनके विश्व स्तरीय प्रदर्शन का प्रमाण हैं।
सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, एक देशभक्त
शिवम ठाकुर के लिए, खेल केवल व्यक्तिगत गौरव या पदक जीतने का माध्यम नहीं है; यह देश सेवा का एक रूप है। उनका दर्शन सरल और शक्तिशाली है: "भारत के लिए खेलो और राष्ट्र के लिए गर्व से खड़े रहो।" यह भावना उनके हर प्रयास में झलकती है। जब वह शूटिंग रेंज में खड़े होते हैं, तो उनकी आँखों में लक्ष्य के साथ-साथ तिरंगे का सम्मान भी होता है। वह कहते हैं, "जब मैं भारत की जर्सी पहनता हूँ, तो यह सिर्फ एक कपड़ा नहीं होता, यह एक ज़िम्मेदारी होती है। यह मुझे उन करोड़ों भारतीयों की याद दिलाता है जो मेरी सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं। मेरा हर निशाना, हर पदक मेरे देश को समर्पित है।"
मिशन तुर्की: स्वर्ण से कम कुछ भी नहीं
अब सभी की निगाहें तुर्की में होने वाली विश्व काउंटी चैंपियनशिप 2025 पर हैं। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ निशानेबाज इस प्रतिष्ठित खिताब के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे, और शिवम ठाकुर स्वर्ण पदक के सबसे प्रबल दावेदारों में से एक हैं। वह अपनी तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं—घंटों का अभ्यास, मानसिक कंडीशनिंग और अपनी तकनीक को और बेहतर बनाने पर उनका पूरा ध्यान केंद्रित है। पिछले विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक ने उनकी भूख को और बढ़ा दिया है, और इस बार वह उस चांदी को सोने में बदलने के लिए दृढ़ हैं। शिवम ठाकुर की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की कहानी नहीं है। यह 'नए भारत' की कहानी है, जहाँ छोटे शहरों के युवा बड़े सपने देखते हैं और उन्हें साकार करने का साहस भी रखते हैं। उनकी यात्रा संघर्ष, धैर्य और अनुशासन की एक मिसाल है, जो देश के लाखों युवाओं को अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रेरित करती है। पूरा देश अपने इस सितारे को गौरव और शुभकामनाओं के साथ समर्थन दे रहा है, और हम सभी को विश्वास है कि शिवम ठाकुर तुर्की में एक बार फिर तिरंगा लहराकर इतिहास रचेंगे।