साइकोलॉग्स मैगज़ीन वर्ल्ड बुक फेयर दिल्ली-2023 में लोगो को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति कर रही जागरूक

3/1/2023 2:12:14 PM

गुडगांव ब्यूरो : दिल्ली के प्रगति मैदान में 25 फरवरी से 5 मार्च 2023 तक बुक फेयर का आयोजन किया जा रहा है। यहाँ लाखों की तादाद में देश-विदेश से किताबों के शौक़ीन आते हैं, वे सभी लोग इसका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे क्योंकि यह संस्करण कोरोना (तीन साल के लम्बे अंतराल) बाद इस तरह का पहला आयोजन है। इससे पहले जनवरी 2020 में इसका आयोजन किया गया था। इस वर्ष की थीम "आज़ादी का अमृत महोत्सव" को बनाया गया है। 

 

 

इस मेले की खासियत यह है कि ये किताब प्रेमियों एंव प्रकाशकों को आपस में जुड़ने का एक मंच प्रदान करता है। गौरतलब है कि इस वर्ष 2000 से भी ज्यादा प्रकाशक इसमें हिस्सा ले रहे हैं और यहाँ 500 के करीब स्टाल का आयोजन किया गया है।  यहाँ कई प्रसिद्द लेखक पुस्तकों का विमोचन भी करेंगे | इस साल के महोत्सव का उद्घाटन  शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनैन और एनबीटी के अध्यक्ष गोविंद प्रसाद शर्मा द्वारा किया गया।  

 

 

इस मेले का समय सुबह 11 बजे से रात आठ बजे का रखा गया है।  बच्चों को किताबों की ओर प्रोत्साहित करने के लिए उनका शुल्क मात्र 10 रूपये रखा गया है, एवं बड़ों के लिए इसका शुल्क 20 रूपये रखा गया है। दिव्यांगजन और  स्कूली बच्चे अगर अपने पहचान पत्र के साथ मेले में जाएँगे, तो उनके लिए ये मेला नि:शुल्क रहेगा। यहाँ पहुँचने के लिए आप सुप्रीम कोर्ट मेट्रो स्टेशन से पैदल भी जा सकते हैं। क्योंकि भारत इस साल ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G20) का अध्यक्ष है (जो की  अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है), तो यहाँ उसका भी ध्यान रखा गया है और उसके प्रतिभागियों की भी इसमें मेजबानी की जाएगी।  

 

 

इस वर्ष साइकोलॉग्स मैगज़ीन भी इस आयोजन में भाग ले रही है। आप इसके लिए हॉल नंबर 5 में स्टॉल नं 434 पर जा सकते हैं। इसके मुख्य संस्थापक डॉ अरविन्द ओत्ता हैं, जो की इस देश के जाने माने मनोवैज्ञानिकों में से एक हैं। जो की देश में मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं और वह इस बात का भी ख़ास ख्याल रखते हैं कि मानसिक बिमारियों से जूझ रहे पीड़ितों को भी समाज़ में बराबर का दर्जा मिले एवं उनके प्रति लोग हीन भावना को त्याग कर करुणा से उनकी देखभाल करें क्योकि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले व्यक्तियों को अपने सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह बिगड़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के दुष्चक्र को जन्म देता है, जिससे उनके लिए मदद लेना और ठीक होना और भी मुश्किल हो जाता है। 

 

 

अरविन्द ओत्ता ने बात करते हुए बताया कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर खुलकर चर्चा चर्चा होने से इससे जुड़े कलंक में कमी आती है और एक ऐसा वातावरण बनाने में मदद करता है जहाँ शारीरिक स्वास्थ्य की तरह मानसिक स्वास्थ्य समस्या के प्रति व्यक्ति संवेदनशील हो। कई लोगो ने साइकोलॉग्स पत्रिका की प्रशंसा व्यक्त करते हुए कहा कि स्टाल ने लोगों को अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बात करने और सलाह लेने के लिए प्रोहत्साहित किया है। साइकोलॉग्स पत्रिका का स्टॉल इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे विश्व पुस्तक मेले जैसे आयोजनों का उपयोग महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

 

 

साइकोलॉग्स देश की पहली प्रिंट मैगज़ीन है जो की मनोविज्ञान और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े अनुसन्धान, ख़बरों के बारे में ज्ञान और लोगों में जागरूकता फैलाने का काम करती है। लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने में झिझकते हैं, लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि समस्या को स्वीकार करना और फिर मदद मांगना ताकत का संकेत है, कमजोरी का नहीं।

 

Content Editor

Gaurav Tiwari