क्लाउड कम्प्यूटिंग ने हर किसी के लिए हाईटेक शिक्षा की पहुंच आसान बनाई: राजेश

9/20/2021 2:47:03 PM

डेस्क: कुंवर्स ग्लोबल स्कूल के संस्थापक एवं प्रबंध निदेषक राजेश कुमार सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने हर किसी की जिंदगी को प्रभावित किया है। यह बदलाव बेहद कम समय में हुआ, जिससे सभी तरह की लर्निंग समेत हर कुछ ऑनलाइन पर केंद्रित हुआ, क्योंकि पूरी दुनिया तुरंत घरों में ही सीमित हो गई थी। कई जगहों पर पारंपरिक कक्षाएं अब काफी हद तक अतीत बन चुकी हैं।  

कोविड-19 संकट की वजह से, भारत ई-लर्निंग में तेजी दर्ज कर रहा है। हरेक स्कूल, कॉलेज और शैक्षिक संस्थान ने ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्मों के जरिए शिक्षण प्रक्रियाओं को बरकरार रखा है। इस बदलाव का शिक्षा की अवधारणा पर असर पड़ा है और नॉलेज शेयरिंग में बहुत तेजी से परिवर्तन आया है, डिजिटल लर्निंग शिक्षा उद्योग के लिए अनिवार्यता बन गई है। व्यापक और मजबूत 4जी नेटवर्क और देश के हरेक हिस्से में किफायती डेटा के साथ भारत की तैयारी की वजह से यह बदलाव संभव हुआ है। इसमें स्मार्टफोन की बढ़ती लोकप्रियता बेहद प्रभावी है, जिससे लर्निंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के चयन में तेजी लाने में मदद मिली है। 

आसान इंटरनेट की पहुंच के साथ डिजिटल टेक्नोलॉजी ने अहम योगदान दिया है। रिमोट लर्निंग अवसर, ऑनलाइन क्लासरूम, और हाई-क्वालिटी शिक्षा तक पहुंच ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी इलाकों में भी संभव हुई है। आज, भाषा, लोकेशन और वित्तीय संसाधन अब हाई-क्वालिटी की शिक्षा हासिल करने की राह में बाधक नहीं रह गए हैं। यह हमारे देश और पूरी दुनिया के लिए टेक्नोलॉजी के साथ प्रयोग करने और शिक्षा की पहुंच आसान बनाने के लिए उपयुक्त समय है। कुल मिलाकर, डिजिटल लर्निंग के लिए भारत में अच्छी संभावनाएं हैं और इससे शिक्षा का तौर-तरीका हमेशा के लिए बदल सकता है।

उन्होंने कहा कि स्कूलों और अन्य शैक्षिक संस्थानों के लिए, नवीनतम प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से सभी के लिए उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने में मदद मिलेगी। स्कूल अब पारंपरिक मॉडलों से बदले हैं और मजबूत ऑनलाइन ढांचा तैयार करने में सफल रहे हैं। मौजूदा समय में, जिस गति से लोग शिक्षा हासिल कर रहे हैं, वे लगातार बढ़ रही है, और इसलिए यह छात्रों की जरूरत भी बन गई है। ऐसे शैक्षिक संस्थानों को प्रौद्योगिकी में ज्यादा निवेश करने और इसे अपने दैनिक कार्य में शामिल करने की जरूरत है। इससे छात्रों को क्षमता बनाए रखने में बेहतर समझ और ज्ञान हासिल करने में मदद मिलेगी।

राजेश ने कहा कि पारंपरिक लर्निंग से ई-लर्निंग की दिशा में तेज बदलाव की राह स्कूलों के साथ साथ छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए भी चुनौतियों से भरी हुई है। हर किसी की जरूरत को संतुलित बनाना बेहद कठिन कार्य है। संस्थान इस लर्निंग व्यवस्था को मजबूती के साथ बनाए रखने पर भी ध्यान दे रहे हैं। लाइव लेक्चर संचालित करने से लेकर अध्ययन सामग्री अपलोडिंग करने और परीक्षाएं संचालित करने तक, संस्थान छात्रों को बेहतर ढंग से सीखने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।

ई-लर्निंग ट्रेंड्स पर अमल
नवाचार के स्रोत के तौर पर, एडटेक ने हमेशा शिक्षा को नवीनतम बनाया है। महामारी के दौरान एडटेक ने न सिर्फ पारंपरिक क्लासरूम लर्निंग अनुभव को खास बनाया है बल्कि लेक्चर संचालित करने के तरीके में भी बदलाव किया है। एआई ने छात्रों के बीच शिक्षा को खास बनाने में अहम योगदान दिया है। साथ ही, ग्रेडिंग और सुधार की जरूरत से संबंधित एरियाज पर फीडबैक देने जैसी ऑटोमेट गतिविधियों का इस्तेमाल भी बढ़ा है। एडटेक प्लेटफॉर्म जिस अन्य नवीनतम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं, वह है क्लाउड कम्प्यूटिंग। क्लाउड कम्प्यूटिंग ने हर किसी के लिए हाई-टेक शिक्षा की पहुंच आसान बनाई है। एडटेक के प्लेटफॉर्म सूचना तक एनीटाइम-एनीव्हेयर एक्सेस प्रदान करते हैं, जिसे रिमोट क्लाउड सर्वरों पर रखा जाता है। अब छात्रों के लिए एडवांस्ड लर्निंग को आसानी से हासिल करना संभव हो गया है। यह डिजिटल लर्निंग में तेजी लाने के बेहद महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक बन गया है।

डिजिटल लर्निंग के मुख्य ट्रेंड में यूजर-जेनरेटेड ओर क्यूरेटेड कंटेंट के साथ अप-स्किलिंग कोर्स की जरूरत शामिल है। यह उन लोगों के बीच बेहद महत्वपूर्ण है जो दूर बैठे सीख और कार्य कर रहे हैं। इससे ऐसा बेहद प्रभावी कंटेंट निर्धारित करने में मदद मिलेगी, जो छात्रों की जरूरतों के अनुरूप हो, जिसके परिणामस्वरूप्प सकारात्मक उपयोगकर्ता संबंध पैदा होगा और इसलिए परिणाम भी अच्छा आएगा। जैसे ही टेक्नोलॉजी विकसित होगी, ये नए ट्रेंड भी तेजी से विकसित होंगे। कस्टमाइज्ड लर्निंग, एंगेजमेंट, एक्सेसिबिलटी और यूजर-सेंट्रिक लर्निंग टेक्नोलॉजी से संबंधित स्तंभ और नए रुझान होंगे।

उन्होंने कहा कि भारत में बेहद गतिशील शिक्षा प्रणाली है। आधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ उसका संबंध एक ऐसा उपयोगी माध्यम साबित हो सकता है जिससे समुदायों के बीच जुड़ाव और दक्षता बढ़ाने में मदद मिल सकती है। सही माध्यमों का चयन शिक्षा प्रणाली में मददगार होता है और यह आखिरकार छात्रों की उपलब्धियों में सहायक होगा। इसलिए, ज्यादा शैक्षिक संस्थानों को डिजिटलीकरण की राह अपनानी चाहिए और जल्द से जल्द तकनीक के क्षेत्र में अपनी अच्छी पकड़ बनानी चाहिए। इस राह में, वे निष्चित तौर पर अपने छात्रों को एक ऐसी षिक्षा प्रदान कर सकेंगे जो उनकी व्यावसायिक क्षमताओं के साथ साथ गुणवत्ता से संपन्न होगी।  

 

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Content Writer

vinod kumar