सामापा संगीत सम्मेलन में सूफी-भक्ति संगीत रस और संतूर रस में डूब भाव-विभोर हुए दर्शक
punjabkesari.in Sunday, Nov 23, 2025 - 07:48 PM (IST)
गुड़गांव ब्यूरो :राजधानी दिल्ली के कमानी सभागार में दो दिन से जारी 21वां सामापा संगीत सम्मेलन रविवार शाम सम्पन्न हुआ। सोपोरी एकेडमी आॅफ म्यूजिक एंड परफाॅर्मिंग आटर््स द्वारा आयोजित इस वार्षिक संगीत समारोह की तीनों ही दिन दिल्लीवासी भारतीय शास्त्रीय संगीत से सरोबोर हुए, जिसने ना केवल उन्हें आनन्दित और अभिभूत किया, बल्कि गुलाबी ठंड के बीच सौम्य वातावरण का अहसास कराते हुए संगीत रस में डुबाया। पिछले दोनों ही दिनों की तरह तीसरी शाम भी स्कूली बच्चों द्वारा प्रस्तुत सरसवती वंदना से हुई। जिसके बाद मंच संगीत शैलियों की दो विभिन्न प्रतिभाओं के नाम रहा। इनमें पहली प्रतिभा रहीं भक्ति और सूफी संगीत गायिका रागिणी रैनू और दूसरे रहे संतूर उस्ताद पंडित अभय रूस्तुम सोपारी।
शाम की पहली प्रस्तुति में प्रख्यात सूफी एवं भक्ति गायिका रागिणी रैनू ने अपने गायन की शुरूआत पंडित भजन सोपोरी की कम्पोजिशन और शाह लतीफ भिटटाई के कलाम ‘अजब नैन तेरे’ से की। उसके बाद उन्होंने ’जिंदऱी लुत्ति तैन यार साजन’ जो कि एक पारम्परिक कफ़्ती है और खुवाजा गुलाम फरीद का कलाम। उनकी अगली प्रस्तुति रही कबीर का प्रसिद्ध भजन ’चंदरिया झिनी रे झिनी’। रागिणी रैनू ने बाबा बुल्ले शाह के कलाम और पंडित भजन सोपोरी की कम्पोजिशन उठ चले गवाँडो यार के साथ अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। इस प्रस्तुति में रागिणी ने ना केवल अपने कला-कौशल से सभी को प्रभावित किया, बल्कि यह भी साबित किया कि मंच को अपना कैसे बनाया जाता है। इन खूबसूरत कलामों को प्रस्तुत करना एक कलाकार को वाह-वाही दिलाने में सक्षम है, लेकिन अपने अंदाज में ढालते हुए उसे अपना बनाकर प्रस्तुत करना उस कलाकार के कौशल का परिचय देता है। उन्हें सचिन शर्मा (तबला), चंचल सिंह (ढोलक), उस्ताद मुराद अली (सारंगी), और जाकिर ढोलपुरी (हारमोनियम) की संगत में रागिणी की प्रस्तुति पर कमानी सभागार में मौजूद दर्शकों पर उनका जादू सर चढ़कर बोला और सभी भाव-विभोर दिखे।
शाम की अगली और 21वें सामापा संगीत सम्मेलन की अंतिम प्रस्तुति रहीं पंडित अभय रूस्तुम सोपोरी के संतूर वादन की। इस प्रस्तुति की एक खास बात यह रही कि पहली ही बार मंच पर तीन दिग्गज कलाकारों, पंडित संजू सहाय (तबला), संकट मोचन मंदिर, बनारस के महंत प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्रा (पखावज) और संतूर उस्ताद पंडित अभय रूस्तुम सोपोरी ने एक साथ जुगलबंदी प्रस्तुत की। इस प्रस्तुतिकरण की शुरूआत अभय ने राग हेमंत में आलाप-जोड के साथ की और अपने पिता व गुरू पंडित भजन सोपोरी द्वारा तैयार सोपोरी बाज की शैली में मंद, गमक, ग्लाइड की विविधतायें प्रस्तुत की। यहां अपनी तंत्रकारी अंग को कायम रखा और धु्रपद अंग एवं ख्याल अंग भी प्रस्तुत किय। विलम्बित गत जपताल में तबला संग, और पखावज संग चैताल की जुगलबंदी देखते-सुनते बनती थी। इसके बाद एकताल में तबला-पखावज की जुगलबंदी, दु्रत लय तीन ताल में गत, सोपोरी परम्परा का तराना, मध्य लय तीन ताल आदि उनकी प्रस्तुति के आकषर्ण रहे। जिन्होंने पंडित रितेश-रजनीश मिश्रा के ख्याल गायन द्वारा फेस्टिवल के आग़ाज को अपनीे मंत्र-मुग्ध करते संतूर वादन से यादगार अंजाम दिया।
इससे पूर्व पिछले दो दिनों के दौरान सम्मेलन में पंडित रितेश मिश्रा और पंडित रजनीश मिश्रा का गायन, पंडित रोनू मजूमदार का मंत्र-मुग्ध करता बांसुरी वादन, उस्ताद अकरम खान का एकल तबला और पंडित उमाकांत गुंडेचा और अनंत गुंडेचा के द्रुपद गायन कार्यक्रम हुए। सम्मेलन के विषय में प्रो. अपर्णा सोपोरी ने कहा, सामापा संगीत सम्मेलन, हमारी शास्त्रीय संगीत धरोहर को सभी के समक्ष लाता है। यह संगीत क्षेत्र के प्रतिष्ठित और युवा कलाकारों को अवसर प्रदान करते हुए दिल्लीवासियों को असीम संगीत रस से सराबोर करते हुए उन्हें भारतीय कला-संस्कृति से रूबरू कराता है। यह पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा का उत्सव है और हमें सुकून मिलता है जब दर्शकों का साथ मिलता है और वे मनोरंजन के साथ-साथ खुद को इस संगीत से जुड़ा महसूस करते हैं।