महामारी के बाद बेरोजगारी दर में गिरावट के पीछे क्या हैं प्रमुख कारण? : गिगिन टेक्नोलॉजीज
punjabkesari.in Thursday, Sep 26, 2024 - 05:58 PM (IST)
गुड़गांवए ब्यूरो : गिगिन टेक्नोलॉजीज, एक उभरता हुआ एचआरटेक प्लेटफॉर्म है, जो ब्लू-कॉलर, ग्रे-कॉलर और व्हाइट-कॉलर श्रमिकों को विभिन्न उद्योगों में रोजगार के अवसर प्रदान करता है। महामारी के बाद, बेरोजगारी दर में गिरावट के पीछे कौशल विकास, डिजिटलाइजेशन और सरकार की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का बड़ा योगदान है। गिगिन, श्रमिकों को औपचारिक और बेहतर भुगतान वाली नौकरियों तक पहुँचाने के साथ-साथ, कौशल विकास और अपस्किलिंग के अवसरों को भी बढ़ावा देता है। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर यह प्लेटफॉर्म श्रमिकों की आय में सुधार और सुरक्षित नौकरियों की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
● आपके अनुसार, बेरोजगारी दर में पिछले साल के मुकाबले गिरावट आने के पीछे मुख्य कारण क्या हो सकते हैं?
सुरिंदर भगत, सीईओ और को फाउन्डर, गिगिन टेक्नोलॉजीज के मुताबिक बेरोजगारी दर में कमी के पीछे कोई कारण नहीं हो सकता। सबसे पहला, महामारी के बाद आर्थिक सुधार ने आईटी, मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल जैसे क्षेत्रों में ज्यादा नौकरियां पैदा की हैं। इसके अलावा, सरकार की बुनियादी ढांचा परियोजनाएं और उद्योगीकरण को बढ़ावा देने के प्रयास से भी रोजगार के अवसर बड़े हैं। कौशल विकास, उद्यमिता और एमएसएमई के लिए वित्तीय सहायता जैसे कार्यक्रमों ने भी रोजगार के अवसरों में वृद्धि की है।
● क्या आप मानते हैं कि बेरोजगारी दर में और गिरावट आने की संभावना है, या यह एक अस्थायी सुधार हो सकता है?
वर्तमान में बेरोजगारी दर में एक कमी आई है, लेकिन इस लाभ को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता होगी। बेरोजगारी दर और काम हो सकती है यदि उद्योगों का विकास जारी रहा और सरकार आर्थिक सुधारों, कौशल विकास और बुनियादियों में निवेश पर ध्यान केन्द्रित करती रहे। हलांकी, वैश्य आर्थिक स्थिति, महँगाई और तकनीकी बदलाव जैसे कारक इस एक अष्टयी सुधार बना सकते हैं, जब तक हम ग्रामीण क्षेत्रों और अनुपचारिक श्रम बल की समस्याओं को सही तारीख से पता नहीं लगा पाते।
● आपके विचार में, बेरोजगारी दर में गिरावट के बावजूद युवाओं को रोजगार के अवसरों में किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है?
युवा, खास नए ग्रेजुएट्स, को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे उनके पास मौजुद कौशल और उद्योगों की मांगो के बीच अंतर। जबकी नौकरियाँ उपलबध हो सकती हैं, कोई युवा अवसर तकनीकी कौशल या अनुभव की कमी के कारण उन नौकरियों को हासिल नहीं कर पाता। ऑटोमेशन और डिजिटलाइजेशन के बढ़ते प्रभाव का मतलब है कि युवाओं को अपने कौशलों को अपडेट करना होगा। इसके अलावा, हाई-डिमांड शेत्रों में नए प्रतिभाओं के लिए प्रवेश करना मुश्किल हो रहा है, जो एक और चुनौती है।
● आने वाले वर्षों में बेरोजगारी दर में और गिरावट के लिए किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता होगी?
बेरोज़गारी दर को और काम करने के लिए निम्लिखित क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा:
- शिक्षा और कौशल विकास: शैक्षिक पथ्यक्रमों को उद्योग की जरूरतों के साथ जोड़ना होगा, और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा दे कर युवाओं को नौकरी के लिए कौशल प्रदान करना होगा।
- ग्रामीण रोजगार: कृषि, कृषि-प्रसंस्करण और ग्रामीण उद्यमियों में पहलों के माध्यम से ग्रामीण रोजगार पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए गैर-शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी कम हो सकती है।
- एमएसएमई का समर्थन: एमएसएमई के लिए वित्त और नियमात्मक समर्थन प्रदान करना, विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी सृजन को प्रोत्साहन करेगा।
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर: ग्रामीण क्षेत्र में रिमोट वर्क और उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना, नए रोजगार का अवसर खुल सकता है।
● क्या आप मानते हैं कि यह गिरावट लंबे समय तक टिक पाएगी, या फिर बेरोजगारी दर में फिर से वृद्धि हो सकती है?
वर्तमान गिरावत तब तक जारी रह सकती है जब तक आर्थिक विकास अपनी वर्तमान गति से चलता रहे और नौकरी सृजन को ठोस नीतिगत उपायों के माध्यम से समर्थन मिलता रहे। लेकिन, वैश्विक बाज़ारों में गिरावत, तकनीकी बदलाव, या कौशल विकास पर ध्यान कि कमी बेरोज़गारी दर को फिर से बढ़ा सकती है। मजबूर, ज्वलंत अर्थव्यवस्थ के साथ लचीला उद्योग को बनाए रखना अवसर है ताकि बेरोजगारी दर में गिरावत जारी रहे।
● बेरोजगारी दर में सुधार के बावजूद, क्या कुछ विशिष्ट क्षेत्रों या वर्गों में बेरोजगारी की समस्या अभी भी गंभीर बनी हुई है?
हां, कुल बेरोजगारी दर में सुधार के लिए, कुछ शेत्रों और वर्गों को अभी भी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कृषि क्षेत्र, उधारण के रूप में, अभी भी मौसमी प्रकृति और काम का उत्पादन, रोजगार की कमी से जूझ रहा है। इसी तरह, निर्माण और कपड़ा उद्योग जैसे शेत्रों में काम करने वाले ब्लू-कॉलर श्रमिक अक्सर नौकरी की सुरक्षा और काम वेटन का सामना करते हैं। अनुपचारिक श्रम बल, महिलाएं और ग्रामीण शेत्रों में बेरोजगारी और कम रोजगार की समस्या ज्यादा गंभीर बनी है।
● क्या बेरोजगारी दर में गिरावट का असर केवल आंकड़ों में दिख रहा है, या युवाओं की जीवनशैली और आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है?
बेरोज़गारी में आई कमी, आंकड़ों में साफ है, लेकिन इसका प्रभाव युवाओं के जीवन शैली और आर्थिक स्थिति पर मिश्रित रूप से देखा जा सकता है। शहरी क्षेत्र में, जहां आईटी, सेवा, और ई-कॉमर्स में नौकरियों का विकास हुआ है, युवाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार देखा गया है। हलांकि, ग्रामीण क्षेत्र और अनुपचारिक श्रम बल में इस लाभ का प्रभाव कम दिखता है। काई लोग अभी भी कम वेतन, नौकरी की सुरक्षा, और दीर्घकालीन करियर विकास के अवसरों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
● ब्लू-कॉलर वर्कर्स की इतनी कम आय का प्रमुख कारण क्या है?
ब्लू-कॉलर श्रमिकों की नौकरी का मुख्य कारण नौकरी की प्रकृति है जो वे करते हैं। ये भूमिकाएं अक्सर मजबूत कौशलों की मांग करती हैं और निर्माण, विनिर्माण, और सेवा जैसे उद्योगों में केन्द्रित होती हैं, जो बाजार के आशाओं के प्रति संवेदनाशील होती हैं। इसके अलावा, काई ब्लू-कॉलर श्रमिक अनुपचारिक क्षेत्र में नियोजित होते हैं, जहां न्यूनतम वेतन, नौकरी की सुरक्षा और सामाजिक लाभ जैसी सुरक्षा कम होती है।
● क्या ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं जिनसे ब्लू-कॉलर वर्कर्स की आय बढ़ सके?
हां, ब्लू-कॉलर श्रमिकों के वेतानों और कार्य स्थितियों में सुधार के लिए विविध प्रयास किये जा रहे हैं। सरकार ने श्रम सुधारों का आगमन किया है और अनुपचारिक श्रम बल को औपचारिक बनाने के प्रयासों को बढ़ावा दिया है। गिगिन जैसे एचआरटेक प्लेटफॉर्म भी इस दिशा में महत्व पूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जो ब्लू-कॉलर, ग्रे-कॉलर और व्हाइट-कॉलर श्रमिकों को विभिन्न उद्योगों में रोजगार के अवसरों से जोड़ते हैं। ये प्लेटफ़ॉर्म ब्लू-कॉलर श्रमिकों को औपचारिक और बेहतर भुगतान वाली नौकरियाँ तक पाहुच प्रदान करता है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) जैसे कौशल विकास कार्यक्रम श्रमिकों के कौशलों को उन्नत कर रहे हैं, जिसे वे बेहतर वेतन वाली नौकरियों में प्रवेश करा सकें। डिजिटलीकरण और स्वचालन के साथ-साथ कुछ उद्योगों में अपस्किलिंग के अवसर भी बढ़े हैं, जो श्रमिकों की आय में सुधार ला सकते हैं।