खतरनाक गैसों का नियंत्रण किसके हाथ ?
punjabkesari.in Wednesday, Jul 30, 2025 - 07:59 PM (IST)

गुड़गांव, (ब्यूरो): शहर के अस्पताल व पब बारों में प्रयोग की जा रही खतरनाक गैसों का नियंत्रण व निगरानी किस विभाग के पास है अधिकारियों के पास इसका जवाब नही है। बताया यह भी गया है कि केवल आक्सजीन को छोड एक भी गैस ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट के दायरे में नही आती।
ज्ञात हो कि 29 जुलाई को एक नीजि कंपनी में कार्यरत कर्मचारी ने हीलियम गैस पीकर सुसाइड कर लिया था। जिसके बाद शहर में गैस उपभोग व वितरण को लेकर गंभीर सवाल खडे हो गए। बताया गया है कि इस तरह की गैसे खरीददारों को ऑनलाइन आफलाइन दोनो मोड में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। ऐसे में तनाव व मस्ती के लिए लोग कई बार इन गैसों का उपभोग कर गंभीर स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पैदा कर लेते है। बताया गया है कि गुडगांव में हीलियम पीकर सुसाइड करने का मामला पूरे देश में पहली बार आया है। हीलियम गैस के सांस लेने से दम घुट सकता है, क्योंकि ये ऑक्सीजन को रिप्लेस कर देता है।
क्या होती है हीलियम
ज्ञात हो कि हीलियम एक रंगहीन, गंधहीन व स्वादहीन गैस है। जो ब्रह्मांड में दूसरी सबसे ज्यादा पाई जाने वाली गैस है। रासायनिक विशेषज्ञों की मानें तो ये एक नेक गैस है जिसका मतलब है कि ये अन्य तत्वों के साथ प्रतिकृति नहीं करता है। इसका उपयोग गुब्बारे में भरने के काम आता है जो उसे ऊपर उठाने मदद करती है। क्योंकि यह गैस हवा से भी हल्की होती है। इसे कूलिंग एजेंट, सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट को ठंडा करने, मेडिकल इमेजिंग व अंतरिक्ष अन्वेषण में उपयोग किया जाता है।
नाइट्रोजन पीकर हुआ गंभीर
ज्ञात हो कि इससे पूर्व 3 जुलाई 2017 को एक युवक ने काकटेल समझकर शराब की जगह नाइट्रोजन पी लिया। जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड गई अस्पताल में जांच पर पता चला कि उसकी आंत में सुराख हो गया था। हालांकि लंबे उपचार व सर्जरी के बाद उसकी जान बचा ली गई।
वर्जन-
''सामान्य व खतरनाक गैसों की बिक्री, निगरानी व नियंत्रण की जिम्मेदारी किसकी है, हमें नही पता। सिर्फ आक्सजीन छोडकर एक भी गैस ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट के दायरे मं नही आती। अमनदीप चौहान, डिस्ट्रीक ड्रग कन्ट्रोलर गुडगांव