बिजली दरों में बढ़ोतरी पूर्व सरकार के प्रस्ताव पर हुई,हमारा ऐसा इरादा नहीं : सीएम

12/29/2015 5:27:03 PM

चंडीगढ़ : मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि उनकी सरकार का अपने कार्यकाल के दौरान बिजली दरों में बढ़ोतरी का कोई इरादा नहीं है। वे आज यहां हरियाणा कैबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देने के लिए हरियाणा निवास में बुलाई गई प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों बिजली दरों में जो बढ़ोतरी की गई थी वह पूर्व की सरकार के प्रस्ताव पर बिजली विनियामक आयोग द्वारा की गई थी।

मनोहर लाल ने कहा कि वर्तमान सरकार ने बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए अनेक निर्णय लिए हैं, ताकि भविष्य में बिजली दरों में बढ़ोतरी की नौबत ही न आए। वर्तमान में बिजली निगमों का घाटा लगभग 29 हजार करोड़ रुपये है। प्रदेश सरकार इस घाटे को खत्म करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। बिजली सुधारों की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के बाद बिजली पर आने वाले लागत मुल्य में कमी आएगी,इसके बाद उपभोक्ताओं को भी बिजली दरों में राहत दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए केंद्र सरकार की ‘उदय’ योजना में शामिल होने को लेकर अपनी स्वीकृति दे दी है। योजना के तहत प्रदेश सरकार बिजली निगमों के 75 प्रतिशत घाटे को अपने ऊपर ले लेगी, इससे बिजली विभाग पर ऋण के ब्याज के रूप में पडने वाला बोझ कम होगा।

झज्जर बिजली घर से पैदा होने वाली बिजली के संदर्भ में केंद्र को लिखे गए पत्र का जिक्र करते हुए मनोहर लाल ने कहा कि इस पत्र को लेकर विपक्षी दल जनता को गुमराह कर रहे हैं। हकीकत य​ह है कि तत्कालीन प्रदेश सरकार ने भी फरवरी, 2012 में ऐसा ही पत्र लिखा था। उन्होंने कहा यह वित्त व्यापार लेनदेन का एक हिस्सा मात्र है। यह एक प्रशासनिक निर्णय है जो महज एक वर्ष के लिए लिया गया है। इसके जरिए प्रदेश सरकार महंगी बिजली के इस्तेमाल से बचना चाह रही है। सरकार यह प्रयास कर रही है, इस सयंत्र की अपेक्षाकृत महंगी बिजली के बदले अन्य बिजली संयंत्रों से प्रदेश को 1 रुपये 50 पैसे या 1 रुपये 75 पैसे की दर से सस्ती बिजली मिल जाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भी पानीपत की एक से आठ इकाइयों को बंद करके उनकी महंगी बिजली के स्थान में सस्ती बिजली ली जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के लिए बिजली उपलब्धता के कुल 65 स्रोत हैं जिनमें से 14 स्रोत राज्य के पास अपने खुद के है। विभिन्न समय खंडों में 1 से 8 रुपये प्रति युनिट के हिसाब से बिजली लागत मूल्य वहन करना पडता है। उन्होंने कहा कि सस्ती बिजली के लिए सरकार के पास कई विकल्प हैं,मसलन सरकार झारखंड में अपना बिजली संयंत्र लगा सकती है या फिर वहां पहले से लगे किसी संयंत्र को ठेके पर ले सकती है।

एक प्रश्न के उत्तर में मनोहर लाल ने कहा कि यह आम धारणा है कि सरकार बिजली बिलों का भुगतान न करने वाले लोगों के बिलों का बोझ उन लोगों पर डालती है तो नियमित तौर से बिजली बिलों का भुगतान करते है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भुगतान न करने वाले लोगों के बिलों का बोझ सरकार भुगतान करने वाले लोगों पर नहीं डालती बल्कि सब्सिडी के रूप में खुद वहन करती है।

मनोहर लाल ने कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि जिस बिजली का वे इस्तेमाल करते है वह एक कमोडिटी हैं इसके बदले उन्हें ईमानदारी से बिजली का इस्तेमाल व भुगतान करना चाहिए। ‘म्हारा गांव, जगमग गांव’ योजना का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इस प्रकार की कई योजनाओं पर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस योजना में शामिल कुल 83 गांवों में प्रदर्शन के आधार पर फेरबदल किया जा सकता है।

इस अवसर पर मुख्य सचिव डा.एस.ढेसी,मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव आर के खुल्लर,वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल तथा मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव भी उपस्थित थे।