चुनावां म्है नेतावां नै फेर याद आवैगा किसानां का मुद्दा

punjabkesari.in Tuesday, Feb 05, 2019 - 12:36 PM (IST)

चंडीगढ़(मीनू): पूरे देस म्हैं चुनावां की लहर बहर सै लोकसभा चुनाव आन आलै एक दो महीनेआं म्हैं हो सकै सैं। अर सारी पार्टीआं नै मुद्दे बी चईए। अर किसान तो पूरे देश म्हैं ई सै तो यू मुद्दा इन वोटां म्हैं बी काम आवैगा। हरियाणा म्हैं तो दूजी वोटां बी गेल होन की बात हो रही सै। अर उरै बी किसानां के मुद्दे पै घनी राजनीति होवैंगी। किसानां का मुद्दा हर प्रदेश म्हैं छाया रवै। इनकै नाम पै वोट मांगी जावैं। इस मुद्दे पै वोट मिल बी ज्या करैं। पर वोट मिलन पै कुर्सी पै बैठै पाच्छै किसान किसी नै याद कोनी रवै सैं। किसी पर्देस म्हैं किसान की कर्ज माफी जिसी बातां पै काम बी होया सै अर कर्ज माफ बी होए सैं। फेर बी यू किसान कदै मौसम की मार झेल्लै कदै चुनावी मौसम म्हैं इनतै किए वादे पूरे होन की आस म्हैं रवै। सरकारी आंकडेआं म्हैं किसानां के आत्महत्या करन तै इस अन्नदाता की हालत का अंदाजा आपै ई लाग जावै।

बात किसानां खातर नीति बनान तक खत्म कोनी होवै इसनै अमलीजामा पैराना जरूरी सै।राजनीतिक पार्टियां नै बेरा सै के प्रदेस की सत्ता मिलन पाच्छै किसानां के फसल की आच्छी कीमत दिलान का जिम्मा केंद्र सरकार का होवै अर सरकार जदै इनकी सुनै न तो यू किन्नै रोवैं। सडकां पै आकै इसनै अपनै हक खातर लडना पडै सै। औडे जाकै बी यू न्यारै वादेआं तै बलो लिया जावै अर फेर तै इसके कल्यान की बडी बडी बातां सुनन नै मिल ज्या करै। किसी बी सरकार नै देस के अन्नदाता की बेकदरी कोनी करनी चईए। इनकै नाम पै राजनीति छोड कै सारीआं पार्टीआं आलै नै इनकी खातर इसा करना चईए के इन्नै अपने हक खातर सडकां पै न उतरना पडै अर कोई किसान अपनी जान तै हाथ ना धोवै।

 


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Deepak Paul

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