सरहद पै जवान खेत म्हैं किसान दोनुआं की स्थिति एक समान

punjabkesari.in Saturday, Sep 22, 2018 - 09:06 AM (IST)

अंबाला: प्रदेस म्हैं आधी से ज्यादा आबादी खेती पै ही निर्भर सै अर देस की सेना म्हैं हर 10वां जवान हरियाणा का सै। इसकै बावजूद बी न तो किसान सुरक्षित सै अर न ही जवान सुरक्षित सै। दोनुआं  की स्थिति एक जीसी हो रह्यी सै। सरकारां तो पांच साल पाच्छै बदल जावैं पर किसान अर जवान के नाम पै होण आली राजनीति कदै बी कोणी बदलै सै। किसान कर्जे म्हैं डूबया पडय़ा सै। आच्छी फसल होण पै बी किसान नै उतणी कीमत कोणी मिल पावै अर कर्जा बढ़दा ही जावै, किसान आत्महत्या करण पै मजबूर हो रह्यै सै। 

दूजी ओड़ किसानां कै बच्चे देस की सीमा पै तैनात होकै म्हारी रक्षा कर रह्यै सै। वा बी सरकार की गलत नीतियां की खातर शहीद हो रह्यै सैं। जवानां कै नाम पै राजनीति तो घणी हो ज्यै सै अर इनकी शहादत पै दुश्मन नै मचा चखाण के वादे बी घणे करे ज्यैंसै पर असल म्हैं होंदा कुछ बी नई। किसानां खातर बी बड़ी-बड़ी बातां की जावैं, फसल की सही कीमत देण की बात की जावै पर यूं तो आज बी आत्महत्या करण नै मजबूर हो रह्यै सै। सोचण आली बात सै कै ‘अन्नदाता’ कहाण आला आप्पै ही भूखा मरै। सरकार नै जवान अर किसान दोनुआं की स्थिति नै देख कै इसी नीति बनाणी चइए कै दोनुआं गेल इंसाफ हो सकै।


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Rakhi Yadav

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