हरियाणा में अब 112 करोड़ का मीटर खरीद घोटाला, नहीं हो रही कोई कार्रवाही

7/30/2019 2:19:03 PM

डेस्कः बिजली निगम में 112 करोड़ 99 लाख रुपए का मीटर खरीद घोटाला सामने आया है। विजिलेंस जांच में चीफ इंजीनियर और 3 एस.ई. समेत सात अधिकारियों को दोषी माना गया है लेकिन जांच रिपोर्ट मिलने के दो माह बाद भी इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। बिजली निगम की एमएम विंग ने साल 2014-2015 में दो कंपनियों से सिंगल फेज मीटर खरीदे थे, जिसमें यह गड़बड़ी मिली है। अनियमितता बरतकर न केवल दो कंपनियों को करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाया गया, बल्कि बिजली निगम और उपभोक्ताओं को भी चूना लगाया गया है।

इस मामले में हरियाणा पावर इंजीनियर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष केडी बंसल की शिकायत पर बिजली निगम के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीसी गुप्ता ने सीएमडी को विजिलेंस जांच के निर्देश दिए थे। विजिलेंस ने 31 मई को सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट में दोनों मामलों में बिजली निगम के चीफ इंजीनियर आरके जैन, एसई एसएस कंटूरा, एसई अनिल गोयल व अनिल बंसल, एसडीओ हितेश के अलावा एक एक्सईएन व एक एस.डी.ओ. को दोषी करार दिया है। विजिलेंस ने चीफ इंजीनियर पर मेजर पेनल्टी, जबकि अन्य पर माइनर पेनल्टी लगाने की सिफारिश की है। विजिलेंस की रिपोर्ट मिलने के बाद सीएमडी ने दो डायरेक्टरों की कमेटी गठित कर दी है, जिसकी जांच जारी है। हालांकि, सीएमडी का कहना है कि दोषियों को चार्जशीट कर दिया गया है।

एंटी-टेंपर टेस्ट में फेल हो गए थे मीटर
साल 2014 में 2 लाख 37 हजार 500 मीटर मैसर्ज एलटी कंपनी से एक हजार रुपये प्रति मीटर के हिसाब से 23 करोड़ 75 लाख रुपये के खरीदे थे। साल 2015 में बिजली निगम ने टेंडर के जरिये मैसर्ज जीनस कंपनी से 10 लाख 2 हजार 760 मीटर 890 रुपये प्रति मीटर के हिसाब से 89 करोड़ 24 लाख 56 हजार 400 रुपए में खरीदे।मैसर्ज एलटी कंपनी के मीटरों में आसानी से टेम्परिंग की जा सकती थी। जांच रिपोर्ट भी कंपनी के पक्ष में नहीं आई। वहीं, 2015 में मीटर खरीद के मामले में फरीदाबाद की एमऐंडटी लैब के एसडीओ ने हिसार स्थित मुख्यालय की एमएम विंग के चीफ इंजीनियर के पास टेस्टिंग फेल की जानकारी मार्च व अप्रैल 2015 में भेज दी थी। इसके बाद 17 व 18 जुलाई 2015 को जीनस कंपनी द्वारा उपलब्ध करवाए गए पहले चरण के 20 हजार मीटर इंस्पेक्शन के दौरान एंटी-टेंपर टेस्ट में फेल पाए गए। इस कारण इन मीटरों को रिजेक्ट कर दिया गया था।

जनवरी 2018 में विजिलेंस को दी गई थी जांच
31 जनवरी 2018 को एसीएस के आदेश पर सीएमडी ने विजिलेंस जांच के लिए लिखा। हरियाणा पावर यूटिलिटी के विजिलेंस डायरेक्टर कम डीजीपी ने एक्सईएन विजिलेंस करनाल व अंबाला से जांच करवाई। जांच में अधिकारियों ने माना है कि रिजेक्ट मीटरों की रिप्लेसमेंट होनी चाहिए थी।मगर मैटीरियल मैनेजमेंट (एमएम) विंग के तत्कालीन एसई एवं मौजूदा प्लानिंग, डिजाइनिंग एंड कंस्ट्रक्शन विंग के चीफ इंजीनियर आरके जैन ने जान-बूझकर कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए रिप्लेसमेंट नहीं करवाई। इस कारण डिफेक्टिव मीटर उपभोक्ता को जारी किए गए।

चीफ इंजीनियर ने सीएससी से लेकर बीओडी तक की बैठक में छिपाए तथ्य
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएम विंग के चीफ इंजीनियर आरके जैन ने कंपनी के साथ मिलीभगत करके 11 सितंबर 2015 को डब्ल्यूटीडी यानी होल टाइम डायरेक्टर, 21 सितंबर व 6 अक्तूबर 2015 को कॉमन स्पेसिफिकेशन कमेटी (सीएससी), जबकि 4 दिसंबर 2015 को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (बीओडी) की बैठक में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर मैनेजमेंट से 8 लाख 60 हजार मीटरों की खरीदारी के लिए अप्रूवल ले ली।निगम प्रबंधन ने 5 सितंबर 2015 को एसई आरके जैन को एमएम विंग में ही चीफ इंजीनियर बना दिया। चीफ इंजीनियर बनने के बाद आरके जैन ने मेमोरेंडम आइटम नंबर 119.15 के तहत डब्ल्यूटीडी की बैठक में 20 हजार रिजेक्ट किए गए मीटरों की मंजूरी दिलवा दी।

 

Isha