अहम खबर: 1983 PTI टीचर्स को मिल सकती है बड़ी राहत, किया जा सकता है एडजस्ट

7/11/2020 2:04:59 PM

चंडीगढ़: हरियाणा में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुड्डा सरकार में भर्ती 1983 पीटीआई टीचरों को बर्खास्त किया गया है लेकिन अब इन टीचरों को गेस्ट टीचरों की तर्ज पर एडजस्ट करने की तैयारी है। इन पीटीआई टीचर्स की नौकरी के लिए बिजली मंत्री रणजीत सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है जिसमें सीएम के प्रधान सचिव आरके खुल्लर, करनाल से सांसद संजय भाटिया और सीएम के राजनीतिक सचिव कृष्ण बेदी शामिल है।

बताया जा रहा है कि बर्खास्त किए गए पीटीआई टीचर्स को गेस्ट टीचर्स की तर्ज पर एडजस्ट करने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए हायर लेवल की कमेटी कर्मचारियों की सदस्यीय कमेटी के साथ बातचीत कर चुकी है। इसमें कर्मचारियों को ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कहा है। लेकिन कर्मचारी अपनी नौकरी बहाली का प्रयास कर रहे हैं। कर्मचारियों की तरफ से 11 सदस्यों की कमेटी बनाई गई है। माना जा रहा है कि आज कर्मचारियों के पदाधिकारियों की सीएम के साथ बातचीत हो सकती है। कर्मचारियों की मांग है कि दोबारा से बहाली की जाए और जिन मृत कर्मचारियों की पेंशन रोकी गई है उसे चालू किया जाए।

गेस्ट टीचर्स के लिए सरकार विधानसभा में विधेयक लेकर आई थी जिसमें 58 साल की उम्र तक नौकरी पर बने रहेंगे। आपको बता दें कि हुड्डा सरकार के दौरान हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने साल 2006 में 1983 पीटीआई टीचर्स को भर्ती करने की नोटिफिकेशन की थ, इसके बाद साल 2008 में इस भर्ती की प्रक्रिय शुरु हुई थी  जिसमें कई बार चयन प्रक्रिया बदली गई। आखिरकार साल 2010 में इंटरव्यू के जरिये यह भर्ती पूरी हुई थी।  मामला हाईकोर्ट चला गया था। इस भर्ती की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए भर्ती को रद्द करने की मांग की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस भर्ती को रद्द कर दिया है।

कब शुरू हुआ था ये मामला 
सितम्बर 2012 में में हाईकोर्ट के ने एक साथ 68 याचिकाओं फैसला सुनाते हुए पीटीआई भर्ती रद्द कर दी थी। हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन ने 10 अप्रैल 2010 को फाइनिल सिलेक्शन लिस्ट जारी कर यह नियुक्तियां की थी। हाईकोर्ट ने कमीशन को निर्देश जारी किए था कि आयोग नियमों के तहत नए सिरे से भरती प्रक्रिया शुरू करे और पांच महीने के अंदर इस भरती प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए। हाईकोर्ट ने इस नियुक्ति प्रक्रिया में आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाया था।

हाईकोर्ट ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान साक्षात्कार होल्ड करवाने वाले आयोग की सिलेक्शन कमेटी के सदस्यों द्वारा कार्यवाहियों में शामिल न होने से आयोग की नाकारात्मक छवि को उजागर करता है। हाईकोर्ट ने कहा था कि दस्तावेज खुलासा करते हुए एक बिंदु की तरफ इशारा करते हैं कि यह नियुक्तियां आयोग के निर्धारित नियमों के तहत नहीं हुई है और इन्हें गैरकानूनी कहलाना गलत नहीं है। एकल फैसले को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी सही करार दिया था जिसके बाद प्रभावित पक्ष सुप्रीम कोर्ट गया था।

 

Isha